Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नर्गिस : महानतम अभिनेत्रियों में से एक

हमें फॉलो करें नर्गिस : महानतम अभिनेत्रियों में से एक
हिंदी सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में से एक नर्गिस ने करीब दो दशक के फिल्मी सफर में दर्जनों यादगार भूमिकाएँ की और 1957 में प्रदर्शित फिल्म मदर इंडिया में राधा की भूमिका के जरिये भारतीय नारी का एक नया और सशक्त रूप सामने रखा।

नर्गिस ने मदर इंडिया के अलावा आवारा, श्री 420, बरसात, अंदाज, लाजवंती, जोगन परदेशी, रात और दिन सहित दर्जनों कामयाब फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया। राजकपूर के साथ उनकी जोड़ी विशेष रूप से सराही गई और दोनों की जोड़ी को हिंदी फिल्मों की सर्वकालीन सफल जोड़ियों में से गिना जाता है। सिनेप्रेमियों ने इस जोड़ी की फिल्मों को खूब पसंद किया। इस जोड़ी की हिट फिल्मों में आग, बरसात, आह, आवारा, श्री 420, चोरी-चोरी, जागते रहो शामिल हैं।

एक जून 1929 को पैदा हुई नर्गिस का असली नाम फातिम रशीद था और वे मशहूर गायिका जद्दनबाई की पुत्री थीं। कला उन्हें विरासत में मिली थी और सिर्फ छह साल की उम्र में उन्होंने फिल्म ‘तलाशे हक’ से अभिनय की शुरुआत कर दी।

1940 और 50 के दशक में उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया उनकी सर्वाधिक चर्चित फिल्मों में रही। इस फिल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया गया था।

मदर इंडिया में राधा की भूमिका के लिए नर्गिस को फिल्म फेयर सहित कई पुरस्कार मिले। इसी फिल्म में शूटिंग के दौरान अभिनेता सुनील दत्त ने आग से उनकी जान बचाई थी और बाद में दोनों परिणय सूत्र में बँध गए। शादी के बाद नर्गिस ने अभिनय से नाता तोड़ लिया और लाजवंती, अदालत, यादें, रात और दिन जैसी कुछेक फिल्मों में ही अभिनय किया।

रोमांटिक भूमिकाओं को सहज रूप से निभाने वाली नर्गिस ने लीक से हटकर कई भूमिकाएँ की। लाजवंती में उन्होंने बलराज साहनी की पत्नी की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म पति-पत्नी के बीच अविश्वास तथा उससे उनके बच्चे पर पड़ने वाले असर पर आधारित थी। इस फिल्म में नर्गिस ने बेहतरीन भूमिका की और दर्शकों को भावनात्मक रूप से उद्वेलित किया।

अभिनय से अलग होने के बाद नर्गिस सामाजिक कार्य में जुट गईं। उन्होंने पति सुनील दत्त के साथ अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप की स्थापना की। यह दल सीमाओं पर जाकर जवानों के मनोरंजन के लिए स्टेज शो करता था। इसके अलावा वे स्पास्टिक सोसाइटी से भी जुड़ी रहीं।

नर्गिस को पद्मश्री सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले। इनमें फिल्मफेयर पुरस्कार के अलावा फिल्म रात और दिन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनय का राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल है। बाद में उन्हें राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं।

इसी कार्यकाल के दौरान वे गंभीर रूप से बीमार हो गईं और तीन मई 1981 को कैंसर के कारण उनकी मौत हो गई। उनकी याद में 1982 में नर्गिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की गई। इस प्रकार निधन के बाद भी नर्गिस लोगों के दिल में बसी हुई हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi