’आ देखें ज़रा’ साबित करेगी कि नील में कितना है दम। हालाँकि नील को पहली फिल्म ‘जॉनी गद्दार’ में सराहा गया था और उन्हें कुछ उम्दा फिल्में भी मिली हैं, लेकिन बॉलीवुड में अंतिम कसौटी होती है बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का प्रदर्शन और इसके जरिए ही हीरो का मूल्यांकन होता है। रणबीर कपूर, इमरान खान और नील नितिन मुकेश में संभावनाएँ नजर आती हैं। संभव है कि आने वाले समय में ये युवा नायक सुपरस्टार बन जाएँ, लेकिन सुपरस्टार की पदवी और इनके बीच अभी बहुत बड़ा अंतर है। नील नितिन मुकेश के दादा मुकेश बेहतरीन गायक थे। आज भी उनके कई प्रशंसक हैं। नील के पिता नितिन मुकेश भी अच्छे गायक हैं, लेकिन वे अपने पिता की छाया से बाहर नहीं निकल सके। नील ने जब अपने पिता का हश्र देखा तो उन्होंने अभिनय की अलग राह चुनी। हीरो के रूप में अधिकांश हीरो पहली फिल्म के रूप में प्रेम कहानी का चयन करते हैं, लेकिन नील ने ‘जॉनी गद्दार’ जैसी थ्रिलर चुनी। इस फिल्म में उनका किरदार निगेटिव शेड्स लिए हुए था। वे न केवल अपने दोस्त की पत्नी से इश्क लड़ाते हैं, बल्कि एक-एक कर अपने साथियों का कत्ल भी कर देते हैं। ‘जॉनी गद्दार’ असफल रही, लेकिन नील को बॉलीवुड में पैर रखने की जगह मिल गई।रिमी सेन उनकी पहली नायिका थी, जो उम्र में उनसे बड़ी दिखाई देती हैं। नील की दूसरी फिल्म ‘आ देखें ज़रा’ भी थ्रिलर है। नायिका बिपाशा बसु की उम्र उनसे अधिक है, लेकिन नील को विश्वास है कि इस बार उनके हाथ सफलता जरूर लगेगी।
बॉडी बिल्डिंग का नायकों के बीच क्रेज है और नील भी इससे अछूते नहीं हैं। सुनते है कि उन्होंने ‘आ देखें ज़रा’ के लिए सिक्स पैक एब्स बनाए हैं। एक्शन दृश्यों में विश्वसनीयता लाने के लिए उन्होंने ताइक्वांडो सीखा। नौ मंजिल ऊँची बिल्डिंग से छलाँग लगाई।
जेल, न्यूयॉर्क और तेरा क्या होगा जॉनी जैसी फिल्में नील इस समय कर रहे हैं, जिन्हें मधुर भंडारकर, यशराज फिल्म्स और सुधीर मिश्रा जैसे नामी-गिरामी लोग बना रहे हैं, लेकिन उसके पहले ‘आ देखें ज़रा’ नामक टेस्ट में नील को दम दिखाना होगा।