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बंगाली सिनेमा के राजकपूर-नर्गिस थे उत्तम-सुचित्रा

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जिस तरह से हिंदी सिनेमा में राज कपूर और नरगिस की जोड़ी याद की जाती है उसी तरह बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार और सु‍चित्रा सेन का कोई मुकाबला नहीं है। प्रेम को इस त्रीवता से वे अपने अभिनय में व्यक्त करते थे कि दर्शक दंग रह जाते थे। यही वजह रही कि दर्शक इस जोड़ी से कभी बोर नहीं हुए। दो दशक तक तीस फिल्मों में दोनों ने अपने अभिनय के रंग बिखेरे और इनमें से ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।

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उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन बंगाली सिनेमा के व्यवसाय को एक बार फिर ऊपर की ओर ले गए क्योंकि जब उन्होंने बंगाली सिनेमा में कदम रखा था तब वहां के फिल्म उद्योग की हालत खस्ता था। ऐसे में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन के स्टारडम ने दर्शकों के बीच पहचान बनाई और बंगाली फिल्में फिर सफल होने लगी।

फिल्म 'अग्निपरीक्षा' से उत्तम-सुचित्रा की जोड़ी सफल हुई। दोनों ने फिल्म में इस कदर डूब कर रोमांस किया कि कई लोग उन्हें पति-पत्नी मानने लगे। स्क्रीन पर जिस तरह से वे रोमांस करते थे उस कारण आज भी कई लोग मानते हैं कि उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन में प्रेम था। स्क्रीन पर दर्शक दोनों को खुशहाल जोड़ी के रूप में देखना पसंद करते थे। फिल्म 'शिल्पी' में उत्तम कुमार के किरदार की आखिरी में मौत दिखाई गई और इस कारण फिल्म फ्लॉप हो गई थी।

सु‍चित्रा और उत्तम कुमार बेहतरीन कलाकार थे। दोनों साथ काम करते तो उनका अभिनय और निखर जाता था। उन्होंने कई अलग-अलग भूमिकाएं अभिनीत की और अपने बेहतरीन अभिनय से यादगार बनाया। बिना कहे दोनों बहुत कुछ कह जाते थे और दोनों के रोमांटिक सीन में स्क्रीन जगमगाने लगता था। उन पर फिल्माए गए गीत सुपरहिट रहे। ओरा ठाकरे ओधारे (1954), मरनेर पारे (1954), अग्नि परीक्षा (1954), गृह प्रबेश (1954), सांझेर प्रदीप (1955), एक्ति रात (1956), शिल्पी (1956), चन्द्रनाथ (1957), जीबन तृष्णा (1957) जैसी कई बेहतरीन फिल्में इस जोड़ी ने दी।

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