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रामगोपाल वर्मा के दामन में दाग

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समय ताम्रकर

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इन दिनों बॉलीवुड में ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ की नाकामयाबी के बाद इस फिल्म को रामगोपाल वर्मा के दामन में दाग नाम से पुकारकर मजाक उड़ाया जा रहा है। रामगोपाल के कॅरियर की यह सबसे घटिया‍ फिल्म मानी जा रही है। पिछले पन्द्रह दिनों में रामू के पास कई एसएमएस और ईमेल आए हैं और लोगों ने रामू को खराब फिल्म बनाने के लिए लताड़ा है। फिल्म के फ्लॉप होने से सभी को रामू की खिंचाई करने का अवसर मिल गया।

रामू द्वारा अपना नाम फिल्म के शीर्षक में उपयोग किए जाने से भी लोग खफा हैं। यउनके अहंकार को जाहिर करता है। राजकपूर या गुरुदत्त जैसे महान फिल्मकारों ने भी कभी ‘राजकपूर की बॉबी’ जैसा नाम नहीं सोचा।

कुछ लोगों का मत है कि फिल्म खराब बनाने के लिए फिल्म की आलोचना की जानी चाहिए, लेकिन उपहास रामू का उड़ाया जा रहा है।

रामू पर आलोचनाओं का असर पड़ा है और उनके मन में सफल होने की आग फिर एक बार ‍भड़की है। रंगीला, सत्या और कंपनी जैसी फिल्म बनाने वाले रामू की प्रतिभा पर किसी को शक नहीं है, लेकिन उन्हें इस भावना से मुक्त होना होगा कि वे जो दिखा रहे हैं वही दर्शकों को पसंद करना होगा।

फैक्टरियों में कार बन सकती है, लेकिन फिल्म नहीं। एक साथ चार-पाँच फिल्म बनाने के बजाय रामू को एक समय में एक ही फिल्म बनाना चाहिए, ताकि वे पूरा ध्यान केन्द्रित कर सकें।

खबर है कि रामू ‘ध्येय’ नामक फिल्म बनाने जा रहे हैं। यह फिल्म उनके प्रिय विषय अंडरवर्ल्ड पर आधारित होगी। सत्या बनाने के बाद से अंडरवर्ल्ड में भी काफी परिवर्तन हो चुका है। रामू इन्हीं परिवर्तनों को दिखाना चाहते हैं। इस फिल्म में वे नए कलाकार चुनेंगे।

इसमें कोई शक नहीं है कि रामू वापसी करेंगे। अपने दामन में लगे दाग को धोने की क्षमता उनमें है। जरूरत है सही दिशा में सोचने की और अपनी गलतियों के विश्लेषण की।

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