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सिंक साउंड का महत्व

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बॉलीवुड फिल्मों में साउंड रिकार्डिग में प्रयोगों का सिलसिला नया नहीं है। पटकथा की सजीव प्रस्तुति, समय और पैसे की बचत के मद्देनजर सिंक प्रणाली के उपयोग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

बॉलीवुड में 1931 में बनी पहली टाकी फिल्म ‘आलम आरा’ में सबसे पहले सिंक साउंड प्रणाली का उपयोग किया गया था। उसके बाद कई दशकों तक फिल्म निर्माताओं ने डबिंग प्रणाली पर ही भरोसा किया। लेकिन आमिर खान ने अपनी फिल्म ‘लगान’ में पटकथा और किरदार को जीवंत बनाने के लिए सिंक साउंड का उपयोग किया।

‘वीर ज़ारा’ में सिंक साउंड के उपयोग के बाद अभिनेता शाहरूख खान ने कहा था कि फिल्म में ध्वनि ऐसी चीज है जो कलाकार को पूर्णता प्रदान करती है। इस उद्देश्य में सिंक साउंड महत्वपूर्ण तत्व है जिससे बेहतर गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है।

अमिताभ बच्चन अभिनीत रामगोपाल वर्मा की आने वाली फिल्म ‘रण’ के साउंड रिकार्डिस्ट मनीष पिंगले ने कहा ‘सिंक साउंड एक ऐसी प्रणाली है, जिसके उपयोग से फिल्म की शूटिंग के दौरान माइक्रोफोन, अत्याधुनिक कैमरा, हार्ड डिस्क आदि के उपयोग से साउंड रिकार्ड की जाती है। इसके बाद डबिंग की जरूरत नहीं पड़ती है। इस प्रणाली का हॉलीवुड फिल्मों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।‘

उन्होंने कहा ‘पारंपरिक डबिंग प्रणाली में सेल्यूलायड फिल्मों को नीचे की ओर खींचा जाता था जिसकी गति सहज नहीं होती थी और एक सेकेंड के 24वें हिस्से पर ट्रैक रूकता था जिसके कारण कैमरे की ध्वनि भी उसमें दर्ज हो जाती थी। इस त्रुटि के मद्देनजर शूटिंग के बाद फिल्मों की डबिंग करनी पड़ती थी।‘

पिंगले ने कहा ‘अब हमारे पास अच्छे कैमरे आ गए हैं और नई तकनीक विकसित हो गई है जिससे शूटिंग के दौरान संवाद रिकार्ड करने में कोई परेशानी नहीं होती है। साउंड रिकॉर्डिग मशीन के कम्प्यूटर हार्ड डिस्क में विभिन्न कलाकारों के लिए अलग अलग ट्रैक उपलब्ध हैं। सिंक साउंड के उपयोग से फिल्म के बजट में डबिंग का खर्च बचता है।‘

फिल्म ‘रण’ में सिंक साउंड के उपयोग के बारे में पिंगले ने कहा ‘फिल्म में एक दृश्य में परेश रावल के साथ लगभग 8 00 जूनियर आर्टिस्ट हैं। ऐसे में साउंड रिकॉर्ड करने में हमें थोड़ी परेशानी आई और सभी कलाकारों पर केंद्रित माइक्रोफोन लगाना पड़ा।

‘कभी अलविदा ना कहना’ जैसी फिल्मों में सिंक साउंड से रूबरू होने के बाद अमिताभ बच्चन अब इस प्रणाली को काफी पसंद करते हैं क्योंकि इससे पटकथा में जान आ जाती है।

असमिया फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में ऑडियोग्राफी संकाय के प्राध्यापक फारूख इकबाल ने कहा ‘असमिया भाषा में फिल्म क्रंदन में सिंक साउंड का उपयोग किया गया है। इसके अलावा लगान, दिल चाहता है, कल हो ना हो, सरकार राज, गरम मसाला आदि में भी सिंक साउंड प्रणाली का उपयोग किया गया।

मूल ध्वनि प्रभाव पैदा करने के अलावा सिंक साउंड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे फिल्म निर्माण के बाद के खर्च में काफी बचत हो जाती है। इसी तरह का वाकया फिल्म गरम मसाला से जुड़ा हुआ है, जब फिल्म का निर्माण पूरा होने में अनावश्यक रूप से देरी को देखते हुए निर्माता प्रियदर्शन ने बाद में सिंक साउंड का उपयोग किया था।

(भाषा)


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