आमिर खान कितने उम्दा अभिनेता हैं ये बात सभी जानते हैं। अपने किरदार में पूरी तरह डूब कर वे काम करते हैं इसलिए उनकी सफलता का प्रतिशत बहुत ऊंचा है। बॉलीवुड को उन्होंने तीन ऐसी बातें सिखाई, ऐसी राह दिखाई जिस पर आज तमाम सितारे चल रहे हैं।
एक समय में एक फिल्म
आमिर ने जब बॉलीवुड में कदम रखा तब एक साथ कई फिल्मों को करने का चलन था। फिल्म स्टार्स एक सेट से दूसरे सेट पर भागते रहते थे। एक साथ दर्जनों फिल्मों में काम करते थे और दिन में भी तीन-तीन फिल्मों की शूटिंग करते थे। आमिर ने भी इसी तरह काम किया, लेकिन जब वे स्थापित हो गए और उनका नाम हो गया तो उन्होंने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। 1998 में जब वे 'गुलाम' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तब उन्होंने निश्चय किया कि वे अब एक समय में एक ही फिल्म करेंगे। पहले उन्होंने बची हुई फिल्मों की शूटिंग कर डाली और फिर अपनी इस नीति को अपनाना शुरू किया। उनके इस निर्णय की कई लोगों ने यह कह कर आलोचना की कि इससे उनका करियर बरबाद हो जाएगा। एक-दो फिल्में असफल रहेगी तो कोई नहीं पूछेगा। असुरक्षा की भावना से ग्रस्त ये हीरो तभी तो कई फिल्में साथ में साइन कर लेते थे। लेकिन आमिर ने एक नहीं सुनी। वर्ष 2000 के बाद आमिर ने इसी नियम का पालन किया। इससे उन्हें अपने किरदार पर फोकस करने के लिए समय मिला। बाद में उनकी इस बात का अनुसरण तमाम बॉलीवुड स्टार्स ने किया।
किरदार के लिए मेहनत
एक समय में एक फिल्म करने का सुखद परिणाम यह रहा कि आमिर अपने किरदार के अनुरूप अपने को ढालने लगे। पहले तमाम स्टार्स सभी फिल्मों में एक जैसे दिखाई देते थे चाहे वो चोर बने या पुलिस, लेकिन आमिर ने अपने रोल के अनुसार अपने लुक और फिजिक में परिवर्तन किया। शुरुआत की गजनी से। इस फिल्म के लिए उन्होंने एट पैक एब्स बनाए। सिर मुंडवा लिया। पहले तो कोई स्टार ऐसा सोच भी नहीं सकता था। थ्री इडियट्स के लिए उन्होंने वजन कम किया। दंगल के लिए सौ किलोग्राम तक पहुंच गए। उनके इस समर्पण से फिल्म और किरदार का असर गहरा हो गया। कही कुछ बनावटी नहीं लगा इससे उनकी फिल्में दर्शकों के दिल तक पहुंच गई। एक ही किरदार को निभाने के कारण आमिर लंबे समय तक इसमें डूबे रहे और उनका अभिनय निखरता गया। आमिर के इस समर्पण का असर दूसरे सितारों पर भी हुआ। वे भी अपने लुक और फिजिक में परिवर्तन करने लगे।
प्रचार में नयापन
पहले फिल्म का प्रचार-प्रसार एक ही ढर्रे पर होता था। फिल्म का ट्रेलर जारी हो जाता था। कुछ सवाल-जवाब होते थे और फिल्म के प्रदर्शित होने के पूर्व शहर की दीवारों को पोस्टर्स से पाट दिया जाता था। गजनी के जरिये आमिर ने प्रचार के तरीके में नयापन ला दिया। उनके जैसे लुक सिनेमाघर कर्मचारियों ने अपना लिया और फिल्म का खासा प्रचार हो गया। थ्री इडियट्स के लिए वे भेष बदल कर घूमे। पीके के पोस्टर पर वे नग्न नजर आए। एक पोस्टर ने ही फिल्म को इतना प्रचार दिला दिया कि बाद में प्रचार की जरूरत महसूस नहीं हुई। आमिर ने टीवी शो में जाना कभी उचित नहीं समझा। ना ही शहर दर शहर घूमने पर उनका विश्वास रहा। फिल्म के लिए वे जितनी मेहनत करते हैं उससे ही फिल्म का खासा प्रचार हो जाता है। आमिर को यहां कोई कॉपी नहीं कर पाया क्योंकि हर फिल्म के लिए उनकी प्रचार की रणनीति अलग रहती है।