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बॉक्स ऑफिस पर घमासान

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हमें फॉलो करें ऐ दिल है मुश्किल

रूना आशीष

इस हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर एक साथ दो फिल्में रिलीज हो रही हैं। एक है 'शिवाय' और दूसरी 'ऐ दिल है मुश्किल'। दोनों की स्टार कास्ट बड़ी है। फिल्म का कैनवास बड़ा है। एक तरफ लॉयल ऑडिएंस वाले 'शिवाय' यानी अजय हैं तो दूसरी ओर युवा जोड़ा और इंट्रेस्टिंग स्टार रणबीर और अनुष्का, साथ ही ऐश्वर्या राय जिसमें उनका उम्फ फैक्टर अच्छे से दिखने वाला है।
 
'शिवाय' के साथ इसकी पॉजीटिव इमेज काम करने वाली है तो वहीं पर इसे सपोर्ट करने के लिए फॉरेन लोकेशंस भी काम करने वाली हैं, लेकिन 'ऐ दिल है मुश्किल' को पिछले कई दिनों से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। निर्माता करण को इसे रिलीज करने में ही अपने जूते घिसने पड़े। 
 
अजय देवगन से जब हमने इस डेट क्लैश के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि अगर कोई दो बड़ी फिल्में एक ही साथ रिलीज हो रही हों तो भी फिल्म स्क्रीन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। सिर्फ 2 दिन की बात है। 2 दिन बाद जो फिल्म अच्छा करती है या लोगों को पसंद आती है, उसके स्क्रीन बढ़ जाते हैं। एक फिल्म निर्माता और निर्देशक के बतौर मुझे मेरी फिल्म पर पूरा भरोसा है और अगर किसी निर्माता या निर्देशक को ये भरोसा न हो तो उसे फिल्म नहीं बनाना चाहिए। वैसे ये पहली बार नहीं है, जब ऐसा हो रहा है। एक तो दिवाली का सप्ताह है, ऐसे में कई सारे निर्माताओं को लगता है कि यही सही समय है, जब किसी फिल्म को रिलीज कर दिया जाए ताकि बाजार और लोगों के मूड के हिसाब से फिल्म को देखने ज्यादा से ज्यादा लोग आएं।
 
अब देखिए न फिल्मी इतिहास की सबसे ज्यादा परफेक्ट मानी जाने वाली फिल्म 'शोले' को भी 'जय संतोषी मां' जैसी धार्मिक फिल्म से रूबरू होना पड़ा था। इतनी बड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्म के सामने टिक पाना एक मिसाल थी कि धार्मिक फिल्मों के लिए देश में अच्छा-खासा बाजार है।
बॉक्स ऑफिस पर 1998 में कुछ-कुछ होता है और बड़े मियां-छोटे मियां भी एक ही साथ 16 अक्टूबर को रिलीज हुई थीं, लेकिन दोनों फिल्मों का मिजाज अलग था। एक बिलकुल कॉलेज क्राउड के लिए थी और दूसरी फिल्म बिलकुल मास अपील वाली मसालेदार फिल्म जिसे अमिताभ के प्रशंसक और गोविंदा-डेविड धवन के फैंस सभी देखने आए।
 
27 अक्टूबर 2000 को ये संयोग फिर हुआ। मोहब्बतें और मिशन कश्मीर। कारगिल की लड़ाई से देशवासी अभी बाहर निकले ही थे, ऐसे में शायद मिशन कश्मीर लोगों को बहुत भारी लगी लेकिन हल्की-फुल्की मोहब्ब्तें लोगों को खूब भाई और उस साल की तगड़ी कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल हो गई।
 
इसके बाद आई फिल्म लगान और गदर 2001 में। उस साल की इन दोनों कमाऊ फिल्मों का सब्जेक्ट देशप्रेम था लेकिन दोनों का अपना ट्रीटमेंट था। एक की लड़ाई कर्जमाफी के लिए अंग्रेजों से थी तो दूसरे की लड़ाई अपने प्यार के लिए बंटवारे के बाद पाकिस्तान में रहने वाले अपने ही ससुराल वालों से, जहां उसके प्यार उसकी पत्नी को मर्जी के खिलाफ रख लिया गया था, लेकिन कमाल तो तब हुआ, जब दोनों फिल्मों को दर्शकों ने खूब देखा और हिट बना दी।
 
इस डेट क्लैश के बारे में निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन का कहना है कि पुराने समय में या कुछ साल पहले तक की बात अलग थी। उस समय इतने सारे थिएटर कहां थे तथा कहां इतने मल्टीप्लेक्सेस थे? दिन में एक थिएटर 12-3, 3-6, 6-9 और 9-12 की फिल्में दिखा देता था तो फिल्में कई दिनों तक चलती रहती थीं। आज तो 1 ही दिन में 25 से 28 शोज दिखा दिए जाते हैं। पहले 'सिल्वर' या 'गोल्डन जुबली' जैसी बातें होती थी, आज वे शब्द भी सुनने नहीं मिलते हैं। अब फिल्में सिर्फ शुक्रवार, शनिवार और रविवार तक सीमित हो गई हैं इसीलिए कभी डेट मिल भी जाती थी तो कमाई पर असर इतना नहीं पड़ता था जितना आज पड़ जाता है।
 
12 नवंबर 2004 को ऐतराज और वीर-जारा दोनों रिलीज हुईं। वीर-जारा को यश चोपड़ा के हाथों का कमाल और मरहूम मदन मोहन के संगीत दोनों का साथ मिला और फिल्म चमकती रही, वहीं ऐतराज को अपनी कहानी का फायदा हुआ और फिल्म ने खबू कमाई भी की। 
 
अगली बारी आई फिल्म डॉन और जानेमन की। ये दोनों 20 अक्टूबर 2006 के ही दिन रिलीज हुईं। इन फिल्मों में से डॉन बाजी मार ले गई और जानेमन ने उम्मीद से अलग हटकर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। सलमान और अक्षय की इस फिल्म से काफी आस लगी थी लेकिन उतना रिजल्ट इस फिल्म को नहीं मिला।
 
2012 में रिलीज हुई फिल्म जब तक है जान और सन ऑफ सरदार के साथ अजय देवगन के बारे में भी कहा गया कि अजय ने यशराज को एक लीगल नोटिस भेजा है जिसके हिसाब से अजय ने यशराज को कहा कि वे एक्जिबिटर्स को ज्यादा से ज्यादा सिनेमा स्क्रीन देने के लिए दबाव डाल रहे हैं, हालांकि इस बात को वे मीडिया में कहने से बचते रहे।
 
2014 में हैदर और बैंग-बैंग दोनों रिलीज हुईं और दोनों फिल्मों ने एक-दूसरे के मार्केट को कम किया है। हैदर के कई प्रशंसक होने के बावजूद तीसरे हफ्ते तक आते-आते फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी कमान खो दी। 
 
पिछले साल की बात करें तो 18 दिसंबर 2015 को दिलवाले और बाजीराव मस्तानी की टक्कर हुई। आंकड़ों की मानें तो दिलवाले ने ओवरसीज और देशी कमाई को मिलाकर 362 करोड़ का आंकड़ा छू लिया वहीं बाजीराव मस्तानी कई अवॉर्डों पर कब्जा करने के बाद 342 करोड़ के आंकड़े पर पहुंची, जो शाहरुख के करिश्मे के मुकाबले ये नई-नवेली जोड़ी रणबीर और दीपिका के किए बड़ी जीत थी।
 
इसी साल 12 अगस्त को 2 बड़ी फिल्में मोहन जोदाड़ो और रुस्तम दोनों रिलीज हुईं। जहां मोहेंजो दारो फ्लॉप रही और रुस्तम सफल। अगले साल 26 जनवरी के दिन रितिक की फिल्म काबिल और शाहरुख की फिल्म रईस रिलीज होने वाली है, जो एक बार फिर से टकराव की स्थिति को जन्म देगी।
 
काबिल फिल्म के निर्माता राकेश रोशन कहते हैं कि दो फिल्मों को एक ही दिन आकर कभी नहीं टकराना चाहिए। कहने को तो कहते हैं कि कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन सही कहें तो 20-25% फर्क तो पड़ ही जाता है। हां, अगर 4-5 दिन की छुट्टी हो तो ठीक है, लेकिन जब 1 ही दिन की छुट्टी हो तो जबर्दस्ती की ईगो प्रॉबल्म्स आती हैं। एक कहता है कि मेरी फिल्म अच्छी है तो दूसरा कहता है कि मेरी अच्छी है और दोनों एक-दूसरे का नुकसान कर बैठते हैं। जब मैंने एक  साल पहले ही रिलीज की तारीख बता दी थी अब उसी दिन दूसरी फिल्म को रिलीज करना एथिकली गलत है।

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