आज ना कोहिनूर रहा, ना रही जान, ना साहब रहे! दिलीप कुमार के निधन के साथ ही आज मुहब्बत में समर्पित जीवन की एक बेमिसाल कहानी भी जैसे थम गई। सायरा बानो अभिनय के सम्राट दिलीप कुमार को कोहिनूर, जान और साहब कहकर ताज़िदंगी बुलाती रहीं। उनकी आँखों का वो कोहिनूर आज चला गया। इसके साथ ही उनकी ज़िदंगी भी बेरौनक सी हो गई। जीने का मक़सद चला गया। उनकी बेशक़ीमती जान चली गई! वे अक्सर कहती थीं,.. दिलीप साहब के साथ हर लम्हा मेरी ख़ुशनसीबी है। उनका साथ ख़ुदा ने मुझे इनाम की तरह बख़्शा है, उनके साथ मेरा एक-एक पल बेहद शानदार और ख़ूबसूरत है।.. सायरा अपने इस ख़ूबसूरत हीरे का आख़िरी सांस तक पल-पल ख़याल रखती रहीं। हालांकि यह सच है कि एक दिन सबको जाना है।
सायरा को बचपन से बेपनाह मुहब्बत
12 साल की उम्र से सायरा बानो दिलीप कुमार से चुपके-चुपके मुहब्बत करने लगीं थी। बचपन से ही उनके दिल की रानी बनने का ख़्वाब देखने लगी थीं। दिलीप कुमार से शादी की वे बक़ायदा दुआ किया करती थीं। आख़िर क़ुदरत ने दोनों को मिलाया और दोनों का 55 बरस का साथ रहा। जब दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई थी, तब दिलीप कुमार 44 साल और सायरा महज़ 22 बरस की थीं। दोनों की उम्र में 22 साल का अंतर था। मगर अपने युसूफ़ के लिए सायरा की मुहब्बत ऐसी थी कि उन्होंने ज़िदंगी में कभी उम्र का यह फ़ासला महसूस ही नहीं किया। ना इस बात की कभी कोई शिकायत ही की। बल्कि वे साये की तरह उनकी हमसफ़र बनकर दु:ख और सुख में साथ चलती रहीं।
दिलीप के ऐसी थी दीवानगी
सायरा का बचपन लंदन में बीता था,बंटवारे के बाद वे वहीं पर पढ़तीं थीं। मगर जब भी मुंबई आतीं, दिलीप कुमार से मिलने की कोशिश करती। उनके परिवारों का आपस में मिलना-जुलना था। इसलिए घर पर उन्हें दिलीप साहब को देखने या मिलने का मौक़ा मिल जाता था। अगर ऐसा ना होता तब बेचैन सायरा अपने दिल की धड़कन को देखने सेट पर पहुंच जाती। वहां उन्हें शूटिंग करते देखा करती। घंटों उन्हें निहारने में बिता देती। यह सोचकर कि दिलीप साहब की उनपर नज़र पड़ेगी और उन्हें सबकुछ मिल जाएगा!
हीर को किसी की नज़र न लगे
दिलीप कुमार पर सायरा सम्मोहन आख़िरी तक बरकरार रहा। वे उनकी इस उम्र में भी नज़र उतारा करती थीं। कहती, दिलीप साहब पहले की तरह अब भी बेहद ख़ूबसूरत हैं, उन्हें बचपन से बहुत जल्दी औरों की नज़र लग जाती है। इसलिए उनकी नज़र उतारना पड़ता है। सायरा दिलीप साहब की सेहत के लिए ग़रीबों को ख़ाना खिलाती, सदक़ा यानी दान-दक्षिणा देती। दुआएं लेतीं। 55 बरस सबकुछ भूलकर ये अभिनेत्री दिलीप कुमार की समर्पित सेवा में जुटी रहतीं। अपनी जान के मूड और अक्सर नासाज रहने वाली तबियत का खयाल रखतीं रहीं। उसी हिसाब से उन्होंने ख़ुद को एडजस्ट किया। जीना सीखा। घर के तमाम काम किए। उन्हीं के हिसाब से जागती और सोती रहीं। उनकी जो फ़रमाइश होती, वे उसे पूरा कर बच्चों की तरह ख़ुश होती रहीं। मगर आज के बाद...ऐसा न होगा।
सायरा ने की थी शादी की पहल
दिलीप कुमार की आत्मकथा 'दि सब्स्टेंस एंड शैडो' में सायरा और दिलीप कुमार से जुड़ी बहुत सी बातें सामने आईं हैं। किताब के मुताबिक, सायरा ने जब पहली बार दिलीप साहब से कहा कि वे उनसे शादी करना चाहती हैं, तब दिलीप कुमार ने अपने बाल अंदर की तरफ़ से दिखाते हुए कहा, 'देखो ये सफ़ेदी। फिर मेरे बारे में सोचना।' मगर सायरा बानो बचपन से ही उनके साथ ज़िदंगी बिताने का ख़्बाब देख रही थीं। जबकि दिलीप कुमार अपनी उम्र का हवाला देकर इस खयाल को ही नामंज़ूर कर रहे थे। लंदन से लौटकर सायरा भी फिल्मी दुनिया में आ गईं। कुछ समय में लंदन की छरहरी,गोरी मैम इंडस्ट्री की लोकप्रिय अभिनेत्री बन गईं। उनकी जंगली, अप्रैल फूल, झुक गया आसमान, पड़ोसन, पूरब और पश्चिम, विक्टोरिया नंबर 203,आदमी और इंसान और ज़मीर जैसी हिट फिल्में रहीं हैं। वे शम्मी कपूर,राजेंद्र कुमार जैसे बड़े स्टार के साथ काम कर रहीं थी। तब भी निर्माताओं से दिलीप कुमार के साथ काम करने की ख्वाहिश जताने से नहीं रोक पाती थीं। हालांकि दिलीप कुमार उम्र का हवाला देकर फिल्में साइन करने से इनकार कर देते थे। वे कहते, लोग इतनी कम उम्र की हीरोइन के साथ उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे।
ऐसे हुई सायरा-दिलीप की शादी!
दोनों में रिश्ते की शुरूआत एक अजीब के संयोग से हुई। फिल्म झुक गया आसमान की शूटिंग के दौरान हीरो राजेंद्र कुमार से सायरा बानो के अफेयर की ख़बरें फैल रही थीं। राजेंद्र कुमार से सायरा के मिलने-जुलने की ख़बरें जब उनकी अम्मी नसीम बानों तक पहुंची तो वे काफी नाराज़ हुईं। वे नहीं चाहती थीं कि सायरा शादी शुदा राजेंद्र के साथ शादी के बारे में सोचे। उन्होंने यह बात परिवार से जुड़े दिलीप कुमार को बताई और कहा कि वे सायरा को इस तरह की नादानी से बचने को कहे। दिलीप कुमार ने सायरा बानो से मुलाक़ात की। तब सायरा ने एक बार फिर दिलीप कुमार के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। तब दिलीप कुमार ने सायरा की बात को मंज़ूर कर लिया और इस तरह 1966 में दोनों विवाह के बंधन में बंध गए। एक दौर ऐसा भी आया जब दिलीप कुमार का नाम पाकिस्तान की रहने वाली युवती अस्मां रहमान से जुड़ा। परंतु सायरा के समर्पण को देखते हुए दिलीप कुमार ने अस्मां से नाता तोड़ लिया। हालांकि करीब 2 साल तक दोनों के अफेयर का मामला सुर्खियों में बना रहा।
देविका रानी ने दिया था नाम
99 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले इस हीरो के जाने का पूरा इंडस्ट्री को अफ़सोस है। वो एक्टर जिसका नाम देविका रानी ने युसूफ ख़ान से दिलीप कुमार रखा था,तब दिलीप फल बेचने के कारोबार में थे। देविका रानी के साथ हर महीने 1250 रूपये के वेतन पर दिलीप कुमार का काम शुरू हुआ था। 1944 में आई ज्वार भाटा उनकी पहली फिल्म आई। इसके बाद करीब 60 फिल्मों में उन्होंने काम किया। दाग़, देवदास, नया दौर, मधुमति, मुगले आज़म, राम और श्याम, शक्ति, मशाल, कर्मा, सौदागर जैसी फिल्में उनके अभिनय की वजह से यादगार बन गईं। वे जीवंत पर्यंत दिग्गज अभिनेताओं के लिये एक्टिंग का इंस्टीट्यूट बने रहे। ख़ुद सायरा को दिलीप कुमार का अभिनय हमेशा अच्छा लगा, गंगा जमना उनकी पसंदीदा फिल्म रही। दिलीप साहब के साथ भी सायरा ने कई फिल्में की। सगीना महतो, बैराग, गोपी ऐसी फिल्में रहीं जो उन्हें हमेशा अच्छी लगीं। मगर उनका और दिलीप साहब का साथ अब एक याद रह गया है।