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सिनेमाघर बनाम ओटीटी प्लेटफॉर्म : तू डाल-डाल मैं पात-पात

हमें फॉलो करें सिनेमाघर बनाम ओटीटी प्लेटफॉर्म : तू डाल-डाल मैं पात-पात

समय ताम्रकर

, शनिवार, 16 मई 2020 (06:33 IST)
मुसीबतें आती हैं तो कुछ ऐसे रास्ते खुल जाते हैं जो पहले नजर नहीं आते थे या जिन पर चलने में डर लगता था। कोरोना वायरस से सिनेमाघरों में ताला लग गया और उन फिल्मों पर बिजली गिर गई जो प्रदर्शन के लिए तैयार थीं। 
 
बड़े निर्माता तो कुछ दिनों तक इंतजार कर सकते हैं, लेकिन छोटे निर्माताओं के लिए यह काम मुश्किल है। ब्याज पर पैसा लेकर फिल्म बनाई जाती है ताकि रिलीज करने के बाद जो आमदनी हो उससे पैसा चुकाया जा सके। लेकिन यदि फिल्म ही रिलीज नहीं होगी तो पैसा कैसे चुकाएंगे? साथ में ब्याज अलग लगेगा। ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म ने अपने मंच का ऑफर दे दिया। 
 
ओटीटी प्लेटफॉर्म वाले तो अरसे से चाहते थे कि सिनेमाघर के बजाय सीधे उनके प्लेटफॉर्म पर ही फिल्म का प्रीमियर कर दिया जाए। इससे उनके प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता बढ़ेगी क्योंकि ये प्लेटफॉर्म्स के ज्यादातर ग्राहक केवल बड़े शहरों में ही मौजूद हैं। उन्हें तो भारत के भीतरी गांव तक पहुंचना है। 
 
लेकिन उनके इस प्रस्ताव को इसलिए अस्वीकार किया जा रहा था क्योंकि फिल्म को थिएटर में रिलीज कर सफलता हासिल करना या वाहवाही लूटने का अलग ही मजा है। साथ ही सिनेमाघर के मालिकों का भी जबरदस्त दबाव था। करोड़ों रुपये इंवेस्ट कर वे बैठे हुए हैं। उनका ध्यान रखना जरूरी है। सिनेमाघर से कई कर्मचारी भी जुड़े हैं और उनके भी भविष्य का सवाल है। 
 
फिल्म व्यवसाय की मुख्यत: तीन धुरियां हैं। फिल्म निर्माता (Producer), फिल्म वितरक (Distributor) और फिल्म प्रदर्शक (Exhibitor)। इसमें से वितरक धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं क्योंकि बड़े वितरकों ने छोटे वितरकों का सफाया कर दिया है। 
 
फिल्म निर्माताओं में भी बड़ी मछलियों ने छोटी मछलियां निगल ली है। कमोबेश यही स्थिति फिल्म प्रदर्शक में भी है। प्रदर्शक यानी सिनेमाघर वाले। मल्टीप्लेक्स ने आकर सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों को भारी नुकसान पहुंचाया और देश के कई सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर बंद हो गए हैं। अब मल्टीप्लेक्स से भी बड़ी मछली ओटीटी प्लेटफॉर्म आ गए हैं। 
 
इन्होंने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति का फायदा उठाया और कई ऐसे निर्माताओं को राजी कर लिया जिनकी फिल्में सीधे इनके प्लेटफॉर्म पर प्रीमियर होगी। इनमें अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना और विद्या बालन जैसे सितारों की भी फिल्में हैं। 
 
लॉकडाउन के कारण अमेज़ॉन प्राइम, नेटफ्लिक्स, जी 5 और हॉटस्टार जैसे प्लेटफॉर्म के ग्राहकों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। लोग अब इनके आदी हो गए हैं और यह मौका ये कंपनियां हाथ से नहीं जाने देना चाहती हैं। चूंकि नई वेबसीरिज नहीं बन पा रही हैं इसलिए उन्होंने उन फिल्मों निर्माताओं को दाना डाला है जिनकी फिल्में प्रदर्शन के लिए तैयार है। कई फिल्म निर्माता राजी हो गए हैं। 
 
अक्षय कुमार की लक्ष्मी बम के बारे में भी खबर है कि यह फिल्म भी सीधे इस पर ही प्रीमियर होगी। सूर्यवंशी और 83 जैसी बड़ी फिल्म निर्माताओं को भी आकर्षक प्रस्ताव दिए जा चुके हैं। फिलहाल ये निर्माता सोच रहे हैं, लेकिन यदि परिस्थितियां जल्दी सुलझी नहीं तो ये फिल्में भी लोग घर बैठे देख सकते हैं। 
 
पीवीआर, आयनॉक्स सहित देश के सिनेमाघर मालिक घबराए हुए हैं। उन्हें डर है कि कहीं लोग सिनेमाघर आना ही नहीं छोड़ दे। उनकी आदत ही नहीं बदल जाए। घर बैठे यदि नई फिल्म देखने को मिल रही है तो भला कौन सिनेमाघर जाएगा। 
 
माना कि बड़े परदे पर फिल्म देखने का मजा है, लेकिन कोरोना के बाद दुनिया में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे और ऐसे में सिनेमाघर जाना भी खतरनाक ही है। 
 
सिनेमाघर वाले फिल्म निर्माताओं से नाराज हैं। उनका मानना है कि फिल्म निर्माताओं को अपनी फिल्म सिनेमाघर में ही पहले रिलीज करना चाहिए। लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि कई छोटे बजट की अर्थपूर्ण फिल्मों को यही लोग अपने सिनेमाघर में लगाने में आनाकानी करते हैं। खूब सारी शर्तें लाद देते हैं। ये लोग केवल बड़े सितारों की फिल्मों को ही ढंग से रिलीज करते हैं। अब खुद परेशानी में हैं तो उन लोगों से मदद मांग रहे हैं जिनकी वे मदद नहीं करते थे। 
 
दूसरी ओर फिल्म निर्माता ओटीटी प्लेटफॉर्म की ओर इसलिए भी जा रहे हैं क्योंकि इससे उनका जोखिम कम हो जाता है। भले ही फायदा कम होता हो, लेकिन नुकसान की गुंजाइश न के बराबर होती है। ऐसे में वे ज्यादा अर्थपूर्ण और फॉर्मूलों से आजाद फिल्म बना सकेंगे। 
 
कुल मिलाकर सिनेमा का व्यवसाय अब बदलाव की करवट ले रहा है। सिनेमाघर की चमक पिछले कुछ सालों से लगातार कम होती जा रही है, लेकिन अब ऐसा झटका लग रहा है या लगने वाला है जिससे कई सिनेमाघरों में परमानेंट ताले भी लग सकते हैं।  
 
 

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