रणबीर कपूर ने जब से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की है, तब से उनमें सुपरस्टार बनने की संभावनाएं देखी जा रही हैं। रणबीर ने जब अपने करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म 'ये जवानी है दीवानी' दी तो ये संभावनाएं प्रबल हो गईं, लेकिन इसके बाद उनका करियर नीचे आ गया।
ये जवानी है दीवानी के बाद बतौर हीरो रणबीर कपूर की पांच फिल्में प्रदर्शित हुईं। बेशरम (2013), रॉय (2015) और तमाशा (2015) फ्लॉप रहीं जबकि बॉम्बे वेलवेट (2015) सुपर फ्लॉप रहीं। 2016 में प्रदर्शित ऐ दिल है मुश्किल औसत रही।
रणबीर की जगह और कोई हीरो होता तो अब तक बेरोजगार हो गया होता, लेकिन रणबीर की मांग अभी भी इसलिए बनी हुई है क्योंकि यह माना जा रहा है कि फिल्में फ्लॉप हुई हैं, रणबीर नहीं।
दोष रणबीर के अभिनय या स्टारडम को नहीं बल्कि उनके द्वारा चुनी गई फिल्मों को दिया गया। रणबीर ने प्रयोगात्मक फिल्में चुनीं जिनका बजट बहुत ज्यादा था और ये सभी फिल्में फ्लॉप रहीं।
दरअसल रणबीर को पहले कमर्शियल फिल्में करना चाहिए जो सफल रहें और एक बार स्थापित होने के बाद वे अपनी पसंद की प्रयोगात्मक फिल्में कर सकते हैं, लेकिन वे इस तरह के प्रयोग थोड़े जल्दी कर रहे हैं और नतीजा सामने है।
रणबीर के फिल्मों के चयन से उनके पिता ऋषि कपूर भी खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि रणबीर को ऐसी फिल्में करना चाहिए जिसे ज्यादा से ज्यादा दर्शक देखें और उनकी सितारा हैसियत मजबूत हो। पिता-पुत्र में इस बात को लेकर तकरार भी है।
रणबीर के लिए सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण यह बात है कि उन्हें बेहतरीन अभिनेता माना जाए और इस कारण वे अपने अंदर मौजूद स्टार बनने की संभावनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। उन्हें अक्षय कुमार से सबक लेना चाहिए जो इस समय हर तरह की फिल्में कर रहे हैं। एक ओर वे 'हाउसफुल' जैसी घोर व्यावसायिक फिल्में करते हैं तो दूसरी ओर 'बेबी' या 'एअरलिफ्ट' जैसी फिल्म।
यदि रणबीर इस तरह से लगातार फ्लॉप फिल्म देंगे तो निर्माताओं का विश्वास उन पर कम होगा। रणबीर की 'जग्गा जासूस' लंबे इंतजार के बाद 14 जुलाई को रिलीज होने जा रही है और इसकी सफलता रणबीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
फिल्म की कामयाबी न केवल उनमें आत्मविश्वास जगाएगी बल्कि उनकी सितारा मूल्य को भी मजबूत करेगी। इस फिल्म का बजट सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा बताया जा रहा है, लिहाजा फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर जम कर प्रदर्शन करना होगा।