फिल्म इंडस्ट्री के लिए वर्ष 2020 और 2021 संकट से भर रहे। कोरोना के कारण ऐसी दहशत फैली कि लोग सिनेमाघरों को भूल गए। ओटीटी प्लेटफॉर्म ने लोगों को जकड़ लिया। बीच-बीच में फिल्में आती रहीं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाईं। सवाल उठने लगे कि लोग सिनेमाघर अब नहीं जाना चाहते। ओटीटी ने थिएटर्स पर बढ़त बना ली है। अब बॉलीवुड फिल्मों का टिकना मुश्किल है।
2021 के अंत में अच्छे दिन दिखने लगे थे। सूर्यवंशी और स्पाइडरमैन ने चमक दिखाई, लेकिन 2022 के शुरू होते ही ओमिक्रॉन की चपेट में भारत आ गया। तीसरी लहर का खौफ पैदा हो गया। क्या 2020 और 2021 की तरह 2022 भी बॉलीवुड और सिनेमाघरों के लिए बुरा जाएगा, जैसी बातें होने लगी।
बहरहाल, तीसरी लहर ज्यादा टिक नहीं पाई। फरवरी के मध्य तक स्थिति सुधरने लगी। पूरा जनवरी और आधा फरवरी सिनेमा व्यवसाय को चौपट कर गया। जब स्थिति सुधरी तो उम्मीद जागी और बड़े फिल्म प्रोड्यूसर्स ने अपनी फिल्म को रिलीज करने की हिम्मत दिखाई। बड़ी फिल्मों के रिलीज होने की शुरुआत संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' से हुई। नायिका प्रधान फिल्म होने के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को अच्छी ओपनिंग मिली, जिससे उत्तर से लेकर दक्षिण तक खुशी की लहर दौड़ी।
गंगूबाई काठियावाड़ी ने सौ करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन किया, लेकिन सबसे अहम बात की इस फिल्म ने मुरझाई फिल्म इंडस्ट्री में जोश भरा और सिनेमाघरों तक दर्शकों को खींचा। महिलाएं दर्शक नदारद थीं वे गंगूबाई काठियावाड़ी देखने के लिए सिनेमाघर आईं।
ट्रेड विशेषज्ञ तो बच्चन पांडे से उम्मीद लगाए बैठे थे कि यह सिनेमाघर वालों का भला कर जाएगी क्योंकि फिल्म में न केवल बड़े सितारे थे बल्कि ट्रेलर भी पसंद किया गया था। बच्चन पांडे के रिलीज होने के सात दिन पहले 11 मार्च को एक गुमनाम सी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' आई। किसी को भी पता नहीं था कि बॉक्स ऑफिस सुनामी आने वाली है। फिल्म में बड़े सितारे नहीं थे। 15 करोड़ के बजट में यह फिल्म बनी थी। प्रचार तक नहीं हुआ था, लेकिन फिल्म ने ऐसी कामयाबी हासिल की कि सिनेमाघरों और बॉलीवुड के अच्छे दिन लौट आए।
द कश्मीर फाइल्स ने दर्शकों को सिनेमाघर तक खींच लिया और दर्शकों के मन से सारा डर दूर हो गया। एक बार फिर उन्हें बड़े परदे पर जादू नजर आया और सिनेमाघर जाना उनकी आदत में शामिल हो गया। जो काम बच्चन पांडे न कर सका वो 'द कश्मीर फाइल्स' ने कर दिखाया। इस फिल्म के जरिये वो दर्शक भी सिनेमाघर में आए जिन्होंने थिएटर का मुंह बरसों से नहीं देखा था।
द कश्मीर फाइल्स के दो सप्ताह बाद 'आरआरआर' रिलीज हुई और इस फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त ओपनिंग ली। पूरे भारत में इस फिल्म को देखने के लिए दर्शक टूट पड़े। गांव से लेकर शहरों तक और मल्टीप्लेक्स से लेकर सिंगल स्क्रीन तक। आरआरआर ने द कश्मीर फाइल्स द्वारा बनाई गई लय को बनाए रखा।
लंबे समय बाद इतने सारे दर्शक सिनेमाघर में दिखाई दिए। पॉपकॉर्न और कोला बिके और सिनेमाघर के बाहर हाउसफुल के बोर्ड नजर आए। आरआरआर देखने लोग परिवार के साथ गए और बड़े परदे पर मजा लूटा। 25 फरवरी को गंगूबाई रिलीज हुई थी और 25 मार्च को आरआरआर। एक महीने में तीन ऐसी फिल्में बॉलीवुड को मिल गई जो सौ करोड़ पार कर गई। द कश्मीर फाइल्स तो 250 करोड़ के करीब है और आरआरआर का हिंदी वर्जन भी दो सौ करोड़ पार कर सकता है।
इस दौरान झुंड, बच्चन पांडे के साथ कुछ अन्य फिल्में रिलीज हुईं जो नाकाम रहीं, लेकिन हिट-फ्लॉप तो बॉलीवुड का हिस्सा है। खास बात यह है कि दर्शक सिनेमाघर लौट आए हैं और इस वजह से आगामी समय बॉलीवुड के लिए अच्छा रह सकता है।