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सैयारा: बॉक्स ऑफिस पर हिट, पर क्या वाकई है एक अच्छी फिल्म? जानिए 5 कड़वे सच

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हमें फॉलो करें Saiyaara why to not watch

WD Entertainment Desk

, गुरुवार, 24 जुलाई 2025 (06:22 IST)
बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई और युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल करने के बावजूद, सैयारा एक ऐसी फिल्म है जिस पर सवाल उठते हैं कि क्या यह वास्तव में एक अच्छी फिल्म है। इसकी कहानी, किरदारों का चित्रण और भावनात्मक गहराई कई मायनों में कमजोर नज़र आती है। आइए उन पाँच प्रमुख कारणों पर गौर करें जो सैयारा को न देखने लायक बनाते हैं:
 
1. कृष की सफलता अविश्वसनीय
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी अविश्वसनीय कहानी है। कृष, जो संगीत जगत में अपनी पहचान बनाना चाहता है, को अचानक और अविश्वसनीय रूप से सफलता मिल जाती है, जिसके लिए कोई ठोस आधार नहीं दिखाया गया है। यह अचानक मिली सफलता दर्शकों को कहानी से जोड़ नहीं पाती और अवास्तविक लगती है। 
 
2. अचानक परवान चढ़ता प्यार
कृष और वाणी के बीच का प्रेम प्रसंग भी बेहद सतही है। उनका प्यार अचानक परवान चढ़ता है, जिसके लिए कोई पर्याप्त या ठोस सीन नहीं हैं जो उनके भावनात्मक जुड़ाव को स्थापित कर सकें। 
 
3. अल्जाइमर का मनमाना चित्रण
वाणी की अल्जाइमर नामक बीमारी का चित्रण लेखक ने अपनी सुविधा के अनुसार किया है। यह बीमारी फिल्म में एक प्लॉट डिवाइस से ज्यादा कुछ नहीं लगती। वाणी कभी भी कृष को भूल जाती है और कभी उसे सब याद आ जाता है, यह सब कहानी को आगे बढ़ाने के लिए मनमाने ढंग से इस्तेमाल किया गया है। अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी को इतनी लापरवाही से दिखाना न केवल अवास्तविक है, बल्कि उन लोगों के प्रति भी असंवेदनशील लगता है जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं। यह बीमारी को केवल नाटक पैदा करने के लिए इस्तेमाल करने जैसा है, बजाय इसके कि इसके मानवीय पहलुओं और चुनौतियों को गहराई से दर्शाया जाए।
 
4. कृष और पिता के बीच का जबरदस्ती का तनाव
कृष और उसके पिता के बीच जो तनाव दिखाया गया है, वह भी बेहद जबरदस्ती का और अस्वाभाविक लगता है। उनके रिश्ते में गहराई और जटिलता की कमी है। पिता-पुत्र के बीच की कड़वाहट के पीछे के कारणों को ठीक से विकसित नहीं किया गया है, जिससे उनका टकराव थोपा हुआ और अतार्किक लगता है। यह तनाव केवल कहानी में अनावश्यक ड्रामा जोड़ने के लिए है, न कि पात्रों के विकास या कहानी की भावनात्मक गहराई के लिए।
 
5. समग्र रूप से असर नहीं छोड़ती
फिल्म में निर्देशक ने छोटे-छोटे मोंमेट्स तो क्रिएट किए हैं, जो दर्शकों को आंदोलित करते हैं, लेकिन स्क्रिप्ट की उपरोक्त कमियों के कारण फिल्म समग्र रूप से असर नहीं छोड़ पाती। कहानी के अविश्वसनीय मोड़, किरदारों का सतही चित्रण और भावनात्मक दृश्यों की कमी फिल्म देखते समय खलती है।

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