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'शिवाय' के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने के 4 कारण

हमें फॉलो करें 'शिवाय' के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने के 4 कारण
दिवाली पर प्रदर्शित अजय देवगन की महत्वाकांक्षी फिल्म असफल रही। इस फिल्म के लिए अजय पिछले दो वर्ष से परिश्रम कर रहे थे। अखबार में एक लेख को पढ़कर उन्हें यह फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली थी। अजय को लगा कि कोई और इस कहानी के साथ न्याय नहीं कर पाएगा इसलिए अभिनय के साथ-साथ निर्देशन की जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाल ली। फिल्म अब तक 90 करोड़ के आंकड़े के आसपास है और यह रकम इतनी नहीं है कि फिल्म सफल मान ली जाए। आइए चर्चा करते हैं उन कारणों पर जिनके कारण यह फिल्म असफल रही। 


 
अजय और सिर्फ अजय
फिल्म प्रदर्शित होने तक आम दर्शकों को यह नहीं पता था कि फिल्म में अजय देवगन के अलावा और कौन है। इतनी बड़ी फिल्म में वे एकमात्र परिचित चेहरा थे। जबकि जरूरत थी कि कुछ लोकप्रिय चेहरों को फिल्म में लिया जाता जिसके कारण फिल्म के प्रति दर्शकों का आकर्षण बढ़ता। फिल्म में सारा फोकस अजय देवगन पर ही है और दूसरे किरदार उनके आगे दब गए। यही कारण रहा कि फिल्म के प्रति लोगों में ज्यादा उत्साह नहीं जाग पाया और फिल्म की ओपनिंग प्रभावित हुई। यदि फिल्म की शुरुआत जोरदार रहती तो लंबे वीकेंड में शानदार व्यवसाय होता और संभव था कि फिल्म 'सेफ' हो जाती। 

कमजोर स्क्रिप्ट 
फिल्म की कहानी दमदार थी। इमोशन और एक्शन का इसमें मिश्रण था। नि:संदेह फिल्म का एक्शन जबरदस्त था, लेकिन इमोशन को ठीक से उभारा नहीं गया जिससे एक्शन दृश्यों में भी दर्शकों को मजा नहीं आया। इसका सारा दोष स्क्रिप्ट को दिया जा सकता है। स्क्रिप्ट कुछ इस तरह लिखी गई कि फिल्म में अजय देवगन की बेटी के प्रति दर्शकों में सहानुभूति ही नहीं पैदा होती। उसे फिल्म में गूंगा रखने की वजह ही समझ नहीं आती। दर्शकों को यह बात भी पसंद नहीं आई कि एक मां इतनी निष्ठुर कैसे हो सकती है कि बच्ची को जन्म देने के बाद उसका चेहरा भी नहीं देखे और उसे छोड़ कर चली जाए। भारतीय दर्शक इस बात को हजम नहीं कर पाए।

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फिल्म अंत में बहुत खींची गई और क्लाइमैक्स में गोलियों की बौछार के बीच जिस तरह से अजय और उनकी बेटी बच निकलते हैं वो किसी आश्चर्य से कम नहीं है। फिल्म में वन मैन आर्मी की तरह सब कुछ अजय करते हैं और अन्य किरदार सिर्फ उन्हें देखते रहते हैं। स्क्रिप्ट की कमजोरी के कारण फिल्म के जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस भी अपना असर छोड़ नहीं पाए। साथ ही फिल्म का मूड 'उदास' है। इसमें हल्के-फुल्के प्रसंग कम हैं। त्योहार के समय ऐसी फिल्म देखना दर्शकों को पसंद नहीं आता।  

महंगी फिल्म 
अजय देवगन ने ही एक बार कहा था कि कोई फिल्म असफल नहीं होती बल्कि बजट असफल होता है। अफसोस की अजय ने ही अपनी बात पर अमल नहीं किया। फिल्म की लागत लगभग 110 करोड़ रुपये थी। प्रदर्शन के पूर्व ही 55 करोड़ रुपये विभिन्न राइट्स के जरिये वसूल हो गए। लागत वसूलने के लिए फिल्म को 120 करोड़ रुपये का कलेक्शन करना था। अजय देवगन की बतौर सोलो हीरो की गई फिल्मों को इतना कलेक्शन करना मुश्किल रहता है।

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अजय को दिवाली के त्योहार पर विश्वास था इसलिए उन्होंने बजट बढ़ा दिया, लेकिन 'ऐ दिल है मुश्किल' से मुकाबला होने पर उन्हें नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि कलेक्शन आधे-आधे बंट गए। अजय को यह फिल्म लगभग 80 करोड़ रुपये में बनानी थी तो वे कुछ कमाते भी। 

लम्बाई से नुकसान 
मल्टीप्लेक्स वाले जोर देते हैं कि फिल्म की लंबाई दो से सवा दो घंटे के बीच होनी चाहिए। इसके पीछे उनका अर्थशास्त्र है। फिल्म का बिजनेस शुरुआती तीन दिनों में सबसे ज्यादा होता है। इसके बाद फिल्म रिपोर्ट्स के आधार पर चलती है। यदि फिल्म की लम्बाई कम होगी तो ज्यादा से ज्यादा शो एक दिन में चलाए जा सकेंगे और इससे कलेक्शन बढ़ जाते हैं। शिवाय 2 घंटे 52 मिनट 38 सेकंड की फिल्म है। ऐसे में एक स्क्रीन में चार से पांच शो ही चलाए जा सकें। यदि फिल्म की लम्बाई कम होती तो शो की संख्या सात तक हो सकती थी, इससे फिल्म के कलेक्शन में निश्चित रूप से इजाफा होता।

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साथ ही दर्शकों को फिल्म देखते समय 'शिवाय' बहुत लम्बी लगी। थक जाते हैं वे फिल्म देख कर और फिल्म खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। यदि शिवाय दो घंटे की फिल्म होती तो बेहद चुस्त लगती। अजय देवगन एक्शन सीक्वेंसेस को छोटा करने का मोह नहीं छोड़ पाए। रिलीज के कुछ दिनों बाद उन्होंने फिल्म को दस मिनट कम किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। साथ ही दस के बजाय तीस मिनट कम किए जाने थे। 

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