बॉलीवुड में एक दौर ऐसा था जब श्रीदेवी सफलता का परचम लहरा रही थीं। उनकी फिल्में लगातार सफलता हासिल कर रही थी और कई फिल्मों वे 'हीरो' हुआ करती थीं। हीरो का नाममात्र रोल होता था। हिंदी फिल्मों में श्रीदेवी की सफलता को देख कई दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माताओं ने श्रीदेवी की पुरानी फिल्मों को हिंदी में डब कर माल कमाया। श्रीदेवी ने अमिताभ बच्चन के साथ काम करने से यह कह कर इंकार कर दिया था कि उन्हें बराबरी का रोल ही चाहिए तभी वे काम करेंगी। इसी शर्त पर वे 'खुदा गवाह' के लिए राजी हुई थीं। कहने की जरूरत नहीं है कि अमिताभ बच्चन उन दिनों शिखर सितारा थे।
श्रीदेवी के सरपट दौड़ रहे सफलता के रथ को माधुरी नामक आंधी ने रोकने की कोशिश की थी। 'एक-दो-तीन' गाते हुए माधुरी तेजी से आगे बढ़ीं और उनका कद श्रीदेवी के बराबर हो गया। दोनों में नंबर वन सिंहासन को लेकर कशमकश चलती रही। कभी श्रीदेवी आगे तो कभी माधुरी।
बोनी कपूर से विवाह रचाने के बाद श्रीदेवी ने फिल्मों से किनारा कर लिया। कुछ वर्षों बाद माधुरी ने भी यही किया और अमेरिका में जाकर बस गईं जहां उनकी उपलब्धियों से लोग अपरिचित थे। शायद यही बात माधुरी को खलती थी और उन्होंने अपने डॉक्टर पति को भारत वापस आने के लिए मनाया।
इन दोनों अभिनेत्रियों ने फिल्म इंडस्ट्री में वापसी की, लेकिन जहां श्रीदेवी को सफलता मिली वहीं माधुरी को असफलता का मुंह देखना पड़ा। 2002 में माधुरी ने 'देवदास' फिल्म कर अभिनय से दूर हो गईं। 2007 में 'आजा नच ले' से उन्होंने वापसी की। यह फिल्म असफल रही।
माधुरी वही लटके-झटके दोहराने में लगी रही इस उम्मीद के साथ कि दर्शकों को यह पसंद आएंगे। पर उम्रदाराज माधुरी की ये अदाएं दर्शकों को पसंद नहीं आई। बाद में उन्होंने डेढ़ इश्किया और गुलाब गैंग जैसी फिल्में भी की, लेकिन ये फिल्में असफल रहीं। इन फिल्मों की स्क्रिप्ट दोषपूर्ण थी और लगा कि माधुरी अपनी उम्र के अनुसार फिल्में नहीं चुन रही हैं।
दूसरी ओर श्रीदेवी ने 1997 में फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहा। उनकी कुछ अटकी हुई फिल्में बाद में जरूर प्रदर्शित हुईं, लेकिन उन्होंने वापसी के लिए इंग्लिश विंग्लिश जैसी फिल्म चुनी। यह फिल्म एक ऐसी महिला की थी जिसे अंग्रेजी नहीं आती जिसकी वजह से उसके परिवार वाले ही उसे महत्व नहीं देते। इस अनोखी स्क्रिप्ट पर आधारित फिल्म को पसंद भी किया और सफल भी रही। श्रीदेवी को कई ऑफर मिलते रहे, लेकिन उन्होंने इसके बाद 'मॉम' ही चुनी। श्रीदेवी ने अपनी उम्र के अनुरूप रोल चुने और ऐसी स्क्रिप्ट को पसंद किया जिनमें कुछ नया था।
यही कारण है कि श्रीदेवी वापसी में सफल रही और माधुरी असफल। जरूरी है कि माधुरी इस मामले में श्रीदेवी से सीखें।