सफलता आत्मविश्वास पैदा कर देती है। जिस तरह से कई लोग नशे में बहकने लगते हैं उसी तरह सफलता का नशा भी अतिआत्मविश्वास पैदा करता है। आत्मविश्वास और अतिआत्मविश्वास की लाइन बहुत पतली है और आदमी को पता ही नहीं चलता कि वह कब और कैसे उस पार चला गया।
इस साल की सफलतम फिल्मों में से एक 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री मुखर हो चले हैं। दूसरों की सफलता पर सवाल खड़े करने लगे हैं। करण जौहर की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की सफलता को कुछ लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और फिल्म के कलेक्शन पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
ब्रह्मास्त्र ने बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मामले में 'द कश्मीर फाइल्स' को पीछे छोड़ दिया है और इस बात को विवेक अग्निहोत्री पचा नहीं पा रहे हैं। विवेक ने ट्वीट किया है कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने स्टिक्स, रॉड्स, हॉकी, पत्थर या एके47 के जरिये 'द कश्मीर फाइल्स' को कैसे पछाड़ा है या ये सब पेड पीआर या इन्फ्लुअंसर्स का काम है। बॉलीवुड फिल्मों को आपस में प्रतिस्पर्धा करने हो। हमें अकेला छोड़ दो। मैं इस बकवास रेस का हिस्सा नहीं हूं।
विवेक ने ट्वीट में भले ही 'ब्रह्मास्त्र' का नाम नहीं लिया हो, लेकिन समझने वाले समझ गए हैं निशाना ब्रह्मास्त्र की ओर है। एक अच्छा फिल्मकार अच्छी फिल्म बना कर कलेक्शन की ज्यादा चिंता नहीं करता है। बजट को पैमाना बनाया जाए तो विवेक की फिल्म की सफलता करण जौहर की फिल्म की सफलता से कहीं बड़ी है। और जब वे 'रेस' का हिस्सा ही नहीं है तो ट्वीट करने की जरूरत क्या है?
ब्रह्मास्त्र के कलेक्शन में उन्हें पीआर टीम की शरारत नजर आ रही है। किसी को 'द कश्मीर फाइल्स' के कलेक्शन में भी शरारत नजर आ सकती है। दरअसल बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को मापने का कोई सटीक पैमाना नहीं है। कई बार फिल्म निर्माता कलेक्शन जारी करते हैं और उसी पर विश्वास करना पड़ता है। कुछ बॉलीवुड के स्वयंभू विशेषज्ञ कुछ शहरों से कलेक्शन जुटाते हैं और उसके आधार पर पूरे देश के कलेक्शन का अनुमान लगाते हैं। लेकिन सटीक कलेक्शन का कोई दावा नहीं करता।
ग्रॉस और नेट कलेक्शन का अंतर भी कई लोग समझ नहीं पाते। ग्रॉस कलेक्शन की बात की जाए तो अभी भी ब्रह्मास्त्र का भारत में द कश्मीर फाइल्स से कलेक्शन कम है, लेकिन लोग समझ नहीं पा रहे हैं। विवेक को अपनी फिल्म के नेट कलेक्शन और ब्रह्मास्त्र के नेट कलेक्शन सामने रख कर अंतर बताना था जो ज्यादा सही होता। लेकिन वर्ल्डवाइड कलेक्शन की बात की जाए तो ब्रह्मास्त्र का पलड़ा भारी नजर आता है। आंकड़ों से अपने-अपने मतलब के अर्थ निकाले जाते हैं।
विवेक ने अपनी पहचान एक सुलझे हुए और गंभीर फिल्मकार के रूप में बनाई है। इस तरह के बेमतलब के मुद्दों में कूद कर फिजूल की बातों में उलझ कर अपनी ऊर्जा का उन्हें अपव्यय नहीं करना चाहिए।