Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

इन पर कई ऑस्कर कुर्बान

हमें फॉलो करें इन पर कई ऑस्कर कुर्बान

अनहद

भारतीय फिल्मों को उनके संगीत के लिए भी जाना जाता है। दुनिया की तमाम फिल्मों में 8-8, 10-10 गाने हमारी ही फिल्मों में होते हैं। शुरुआती फिल्मों में तो 20-20 गाने होते थे। कई ऐसी फिल्में हैं जिनको गानों की ही वजह से पहचान मिली। सो, रहमान और गुलजार को ऑस्कर अवॉर्ड मिलना ठीक ही है।

ऑस्कर अवॉर्ड ने हमारे सामने नई प्रतिभा खोजकर नहीं रखी है, बल्कि जो हमारे देश में पहले ही सर्वश्रेष्ठ समझे जाते हैं, उन्हें अपनी मान्यता दी है। यह कहा है कि हाँ हम भी इन्हें बेहतरीन मानते हैं। हम बहुत खुश हैं कि रहमान और गुलजार को अवॉर्ड मिला। खुशी का कारण यह कि हमारे सर्वमान्य सर्वश्रेष्ठ को दुनिया ने भी सर्वश्रेष्ठ माना।

रहमान ने तो फिल्म "रोजा" के वक्त से ही अपना लोहा मनवा लिया था। फिर उनकी फिल्म "दिल से" का संगीत भी दिलों के बहुत करीब था। "बॉम्बे" का संगीत भी कम नहीं था। सच तो यह है कि "जय हो" दोनों का ही सर्वश्रेष्ठ गीत नहीं है। दोनों के सर्वश्रेष्ठ गीत कोई और ही हैं। मगर अवॉर्ड "जय हो" को इसलिए मिला कि वह एक ऐसी फिल्म में है, जो ऑस्कर के लिए गई।

"स्लमडॉग..." को बहुत-से ऑस्कर मिलने से खुश हो रहे लोगों को यह तथ्य याद रखना चाहिए कि यह भारतीय फिल्म नहीं है, बल्कि यह भारत के बारे में है। यह फिल्म वैसा भारत नहीं दिखाती जैसा कि वह है, बल्कि वैसा भारत दिखाती है जैसे भारत की कल्पना विदेशों में की जाती है। विदेश में भारत के बारे में कल्पना यही है कि यह एक बहुत ही गंदा और गरीब देश है।

क्या पुरस्कार देने वाले गोरी चमड़ी के लोगों के अपने कोई पूर्वाग्रह नहीं होते? "लगान" को अवॉर्ड नहीं मिला, क्योंकि उस फिल्म में गोरों को शोषक बताया गया है और अंत में उनकी हार हो जाती है। "तारे जमीं पर" को नहीं पहचान मिली, क्योंकि उसमें उस भारत का जिक्र नहीं है जिस भारत का जिक्र अक्सर गोरे करते हैं। इस फिल्म में खाता-कमाता परिवार है जिसका एक बेटा पढ़ाई में पीछे है। इस फिल्म में कॉन्वेंट स्कूल है जिसकी शानदार इमारत है, खेल का लंबा-चौड़ा मैदान है, संवेदनशील आर्ट टीचर है, स्कूल बसें हैं।

भारत का जिक्र है तो गरीबी चाहिए, रास्ते पर घूमते ढोर चाहिए, बंदर, हाथी और साँप चाहिए...। कहते हैं कि "स्लमडॉग..." में भारत को वैसा ही दिखाया गया है, जैसा वह है। ठीक है कि भारत गरीब है, पर यह तो लोगों को बहुत पहले से पता है। आपने नया तीर क्या मारा? फिल्म में एक सीन है कि छोटा-सा गरीब बच्चा मल में पूरी तरह सनकर अमिताभ से ऑटोग्राफ लेने जाता है। क्या हम भारतीय इतने गंदे हैं? क्या अमिताभ या कोई भी छोटा-मोटा सिने सितारा इतने गंदे बच्चे को करीब आने दे सकता है? फिल्म अतिशयोक्तियों से भरी हुई है। हाँ, गोरी चमड़ी वालों के पूर्वाग्रहों से जरूर मेल खाती है।

भारतीयों के लिए खुश होने की बात तब होती, जब किसी भारतीय फिल्म को अवॉर्ड मिलता और वह फिल्म ऐसी होती जिसे देखकर दुनिया को भारत की मौजूदा सूरत पता चलती। जहाँ तक रहमान और गुलजार का सवाल है, दोनों ही महान हैं। रहमान का पूरा ध्यान जहाँ संगीत पर है, वहीं गुलजार ने निर्देशन, संवाद और स्क्रीन प्ले लेखन हर विधा में हाथ आजमाया है और हर काम उनका ऐसा है कि जिस पर कई-कई ऑस्कर कुर्बान।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi