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ईरानी डिश में भारतीय गरम मसाला

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अनहद

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विश्वविख्यात फिल्मकार माजिद मजीदी की फिल्म "चिल्ड्रेन ऑफ हैवन" को प्रियदर्शन हिन्दी में बना रहे हैं। इस महान ईरानी फिल्म के हिन्दी रीमेक का नाम "बम-बम भोले" है। मूल फिल्म में एक जोड़ी जूते के लिए परेशान रहने वाले बच्चे की भूमिका दरशील सफारी को दी गई है।

प्रियदर्शन के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू यह है कि वे अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में गहरी रुचि रखते हैं और संवेदनशील सिनेमा के लिए उनके मन में सम्मान है। उनकी फिल्म "कांजीवरम" गोआ फिल्म फेस्टिवल में दिखाई भी गई थी।

"चिल्ड्रेन ऑफ हैवन" के हिन्दी रीमेक की शूटिंग कश्मीर में की जा रही है। कश्मीर इसलिए क्योंकि इसे छोटा ईरान भी कहा जाता है। यहाँ शूटिंग करने से फ्रेम दर फ्रेम को हिन्दी में ढाला जा सकता है। कश्मीर में यह कहानी फिल्माई जाना किसी भी एंगल से गैर वाजिब नहीं लगेगा, बल्कि फिल्मकार को वहाँ बहुत सी सहूलियतें उपलब्ध होंगी।

कश्मीर में ईरान रचने के लिए न तो अलग से सेट्स लगाने होंगे और न दूसरा कोई नकली काम करना होगा। कश्मीर के कारण प्रियदर्शन सिंगापुर के नियो जैक की बनिस्बत ज्यादा फायदे में हैं, जो इस फिल्म का रीमेक "होम रन" के नाम से बना रहे हैं। प्रियदर्शन ज्यादा खूबसूरती और वास्तविकता के साथ छोटा ईरान प्रस्तुत कर सकते हैं। नियो के पास कश्मीर नहीं है। असल चुनौती प्रियदर्शन के सामने यह है कि क्या वे माजिद मजीदी जैसी सादगी और गहराई के साथ फिल्म बना सकेंगे? दरशील सफारी के सामने भी चुनौती बड़ी है। जिस फिल्म से दरशील को प्रसिद्धि मिली यानी "तारे जमीं पर", उसमें उनके अभिनय की खामियों पर बहुत ध्यान नहीं दिया गया, पर यहाँ उनका मुकाबला अंतरराष्ट्रीय स्तर के अभिनय से है।

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प्रियदर्शन की इस फिल्म में खटकने वाली बात फिल्म का नाम है। "बम-बम भोले" नाम से यह लगता है जैसे ईरानी डिश में भारतीय गरम मसाला डाला जा रहा है। मुमकिन है बाद में फिल्म का नाम बदला जाए, जैसा कि आजकल हो रहा है। देखना यह है कि कब तक आती है। प्रियदर्शन के माध्यम से काश कि दर्शकों तक "चिल्ड्रेन ऑफ हैवन" जैसी कृति आ जाए।


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