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ज्वाला में जलता एक और रिश्ता...

हमें फॉलो करें ज्वाला में जलता एक और रिश्ता...

दीपक असीम

अजहरुद्दीन और बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा की दोस्ती चर्चा में है और आम सोच यही है कि संगीता बिजलानी ने जो कुछ नौरीन के साथ किया, वो अब खुद उनके सामने आ रहा है। इस तरह कहा जा सकता है कि कुदरत इंसाफ कर रही है और संगीता बिजलानी को उनके किए का फल मिल रहा है। मगर सवाल यह है कि क्या अजहर ने कुछ नहीं किया? अगर संगीता बिजलानी की दोस्ती किसी और से हो गई होती, तो हमारा रवैया क्या होता? तब हम क्या यह कहते कि जो अजहर ने नौरीन के साथ किया, वही अब संगीता अजहर के साथ कर रही हैं? चलो अच्छा है कि इंसाफ हो रहा है? शायद नहीं...। हम कहते कि संगीता को ऐसा नहीं करना चाहिए। अजहर ने उनके लिए नौरीन को छोड़ा। इससे बड़ा त्याग और क्या होगा? हम संगीता की लंपटता को कोसते। मगर शायद यह नहीं कहते कि अजहर के साथ जो हुआ अच्छा हुआ। तो फिर हम यह कैसे कह सकते हैं कि संगीता के साथ जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है।

संगीता बिजलानी और अजहर की दोस्ती जिन दिनों हुई थी, उन दिनों भी लोग संगीता को ही बुरा कहते थे। अजहर को दोष कम दिया जाता था और संगीता को ज्यादा। उस समय भी लंपटता अजहर ने दिखाई थी और इस समय भी अजहर ही दोषी दिख रहे हैं। लड़की उनसे इक्कीस साल छोटी है। ज्वाला गुट्टा महज छब्बीस साल की हैं। उनके पिता आंध्रप्रदेश में रहने वाले तेलुगु थे। उनकी माता चीनी थीं और बैडमिंटन उन्हें अपनी चीनी माँ से ही विरासत में मिला। उनकी भी एक शादी टूट चुकी है। चर्चा यह भी चल रही है कि अजहर ने ज्वाला को एक बीएमडबल्यू कार भेंट की है। बूढ़ा आशिक महँगे तोहफों से अपनी महबूबा को रिझाता है। अजहर कहते हैं कि हम दोस्त हैं। अजहर ने इतनी बड़ी उम्र बिना दोस्तों के नहीं गुजारी होगी। अब तक किसी को साइकल भी नहीं दी और नई दोस्त को महँगी कार दे डाली? एक जानकार का कहना है कि मर्द जब किसी लड़की को बिना वजह कोई तोहफा दे, तो समझना चाहिए कि जरूर कोई वजह है।

संगीता बिजलानी ने जो नौरीन के साथ किया, वो अब अगर सामने आ रहा है, तो अजहर ने जो संगीता और नौरीन दोनों के साथ किया, वो कब सामने आएगा? कुदरती इंसाफ केवल कल्पना है। असल में ऐसा कुछ नहीं होता। ईश्वर की जिस बेआवाज लाठी की बात की जाती है, इसीलिए की जाती है कि लोग उसकी आशा में चैन से जी सकें। वरना इस दुनिया में इतनी नाइंसाफी है कि जीना मुश्किल हो जाए। ताकतवर गरीब को सताता है। गरीब को कहीं से इंसाफ नहीं मिलता, तो वो कल्पना करता है कि उसके लिए भगवान लाठी निकालेंगे। ऐसी कल्पनाएँ न्याय का विकल्प होती हैं। अजहर, नौरीन, संगीता, ज्वाला... इस चतुर्भुज में सब पर अत्याचार करने वाली, सबसे ताकतवर भुजा तो अजहर की है। मजहब भी उनके साथ है और मान्यताएँ भी। हम सब तो खैर शुरू से ही स्त्री विरोधी हैं।

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