Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बीच सफर में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड?

Advertiesment
हमें फॉलो करें रेखा

अनहद

आग की कोई उम्र नहीं होती। आग या तो होती है या नहीं होती। हाँ कच्ची आग और पक्की आग ज़रूर होती है। कच्ची आग में धुआँ होता है, लपटों का रंग भी बदरंग होता है। जब आग पक जाती है, तो लौ एकदम नीली निकलती है। फिर शोले दहकते हैं...।

IFM
फिल्म अभिनेत्री रेखा आग हैं। आग के जलने की अवधि को आग की उम्र कहना हो तो कह लीजिए। रेखा ने अगर महाराष्ट्र सरकार का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड ठुकरा दिया, तो एकदम ठीक किया है। लाइफ तो अभी चल रही है मेरी जान और तुम अभी से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने आ पहुँचे!

लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड अब तक उन लोगों को दिया गया है, जिनकी लाइफ खत्म होने के करीब है, जो बूढ़े और दयनीय हैं। कई बार तो लगता है कि बुढ़ापा और दयनीयता ही लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के आधार हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने मजबूरन अवॉर्ड का नाम बदला है। वैसे नीयत अगर मरते-खिरते लोगों को याद करने, उनसे अंतिम मुलाकात करने और उन्हें आखिरी तोहफा देने की है, तो नाम से बहुत फर्क नहीं पड़ता। लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड को "राजकपूर प्रतिभा गौरव पुरस्कार" कहने से क्या हो जाएगा?

पिछले कुछ दिनों से अनेक फिल्मी अवॉर्ड समारोहों में एक बूढ़े को भी याद करने का चलन-सा चल पड़ा है। इससे आयोजन में थोड़ी-सी गंभीरता आ जाती है। मगर कुल मिलाकर लोग यही कहते हैं कि अवॉर्ड वालों ने अच्छा किया जो अमुक को पुरस्कार दिया, बेचारा मरने को बैठा है, क्या पता कब बुलावा आ जाए, अच्छा है मरते-मरते खुशी तो मिल गई। पुरस्कार लेने वाले भी ऐसे ही भाव दर्शाते हैं मानो उन्हें याद करके बहुत अहसान किया गया है। बारात के स्वागत के समय घर की बूढ़ी दादी को कोई पूछ ले और दूल्हे से मिलवा दे, तो बूढ़ी दादी जैसी आँसुओं से भीगी दुआएँ देती है, वैसी ही दुआएँ लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड पाने वाले देते हैं।

रेखा आग हैं। आग छोटी हो या बड़ी कभी दयनीय नहीं होती। रेखा भी कभी दयनीय नहीं हो सकतीं। बात ये नहीं कि रेखा उम्र छुपाना चाह रही हैं। सबको पता है कि उम्र उनकी अमिताभ के आस-पास है। रेखा उम्र छुपाना नहीं चाहतीं, आत्मसम्मान बचाना चाहती हैं। वो कहना चाहती हैं कि जनाब अभी मुझ पर दया करने की कोई ज़रूरत नहीं। मेरे हाथ-पैर चलते हैं, मैं किसी के रहमोकरम पर नहीं हूँ, खुदमुख्तार हूँ। चिंगारी में भी वही चमक होती है जो भड़की हुई आग में होती है। बुझते हुए शोले की आग भी आग ही होती है और तब तक जलती-जलाती है, जब तक बुझ नहीं जाती। रेखा आग हैं। आग!

(नईदुनिया)


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi