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रिश्तों के टूटे धागे में समझौते की गठान

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हमें फॉलो करें सनी देओल

अनहद

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राजकुमार संतोषी और सनी देओल का राजीनामा जैसा हो गया है। मुद्दत से दोनों में अबोला था, मनमुटाव था। वजह वही अहं। राजकुमार संतोषी को अहं यह था कि मैंने सनी देओल को स्टार बनाया। "घायल", "घातक", "दामिनी" जैसी फिल्मों से मैंने सुपरहिट की हैटट्रिक लगाई। इन फिल्मों के बाद तो सनी देओल का बाजार भाव बहुत बढ़ गया और खुद राजकुमार संतोषी का भी।

उधर सनी देओल के पास घमंड करने का कारण यह कि वे सितारा पुत्र हैं। उन्हें सितारा बनाने के लिए ये नहीं तो कोई और राजकुमार संतोषी पैदा हो जाता। राजकुमार संतोषी ने सड़क पर चलते लड़के को स्टार नहीं बनाया बल्कि सितारा पुत्र को बनाया जिसकी किस्मत में स्टार बनना भले ही न लिखा हो, उसकी कोशिशें जरूर लिखी होती हैं।

अलग होने के बाद सनी देओल और राजकुमार संतोषी दोनों ही बहुत कामयाब नहीं हो सके। सनी के पास तो फिर भी एक कामयाब फिल्म "गदर" है, पर राजकुमार संतोषी के पास तो वह भी नहीं है। हो सकता है कुछ नाकाम फिल्में सनी ने भी दी हों, पर फिल्म चूँकि डायरेक्टर का माध्यम है, इसलिए संतोषी की नाकामियाँ सनी के मुकाबले बहुत बड़ी हैं।

"चाइना गेट" तो शर्मिंदगी की हद तक फूहड़ फिल्म थी। "शोले" की नकल। "लज्जा" और "खाकी" में भी कोई दम नहीं था। "लीजेंड ऑफ भगतसिंह" अच्छी फिल्म थी, पर इसकी नाकामी का कारण यह था कि इसी विषय पर सनी देओल एंड कंपनी ने भी फिल्म बनवाई और फाइट फिल्मों के निर्देशक गुड्डू धनोवा से बनवाई। कुछ और उत्साही भी इस विषय पर फिल्म बनाने टूट पड़े और दर्शक बँट गए, भ्रमित हो गए। राजकुमार संतोषी के बारे में सनी देओल का कहना है कि वे एक पेंट के कपड़े के लिए पूरा थान खराब कर देते हैं। बार-बार रिटेक लेते हैं। फिल्म बहुत धीरे बनाते हैं। पैसा बहुत ज्यादा खर्च करते हैं। जाहिर है राजकुमार संतोषी के पास भी कुछ शिकायतें होंगी और वाजिब-सी ही होंगी।

बरसों एक-दूसरे से दूर रहकर दोनों ने महसूस कर लिया है कि दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं। सो दोनों के अहं ने समझौता कर लिया है। दोनों अपने अहं का खामियाजा भुगत चुके हैं।

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तय ये हुआ है कि एक बार फिर राजकुमार संतोषी सनी देओल को डायरेक्ट करेंगे। कहानी तलाशने का काम एक बार फिर सनी देओल के पारिवारिक मित्र गुड्डू धनोवा को दिया गया है। दोनों के बीच मेल कराने का काम भी गुड्डू धनोवा ने ही किया है। देखना है कि ये बेल कब तक मंडे चढ़ती है और चढ़ती भी है या नहीं। रहीम का दोहा है - रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय / जोड़े से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाए।

(नईदुनिया)


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