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एक्शन मूवी ने बना दिया लेडी अमिताभ : उपासना सिंह

- ब्रजभूषण चतुर्वेदी

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हमें फॉलो करें उपासना सिंह
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होशियारपुर की रहने वाली एवं हिन्दी फिल्म 'कहर' तथा राजस्थानी भाषा की सर्वाधिक सफल फिल्म 'बाई चाली सा‍सरिया' से फिल्म अभिनय में कदम रखने वाली अभिनेत्री उपासना सिंह को लेडी रॉबिनहुड व एक्शन लेडी अमिताभ बच्चन के नाम से जाना जाता है। पंजाबी के साथ भोजपुरी, मराठी, राजस्थानी, गुजराती फिल्मों और कई धा‍रावाहिकों में दर्शकों को हंसा-हसाकर लोटपोट करने वाली अभिनेत्री माना जाता है। मुंबई में उनके निवास पर उनसे लंबी चर्चा हुई।

पंजाब विश्वविद्यालय से ड्रामेटिक आर्ट में मास्टर डिग्री लेने वाली उपासना कहती हैं कि जब वे मात्र 7 वर्ष की थीं, तब स्कूल की ओर से दूरदर्शन पर प्रोग्राम देती थी। 12-13 वर्ष की उम्र में अपनी लंबी काठी होने से हीरोइन का रोल भी स्टेज व अन्य कार्यक्रमों में करने लगी।

उन्होंने कॉलेज के दिनों में अपनी मां की प्रेरणा से हिन्दी, उर्दू, पंजाबी में ड्रामों में अभिनय किया। बस यहीं से उन्होंने फिल्मों में सफर करने का इरादा किया आज दर्जनों फिल्में (हर भाषा में), दर्जनों धारवाहिकों में काम कर सफलता का डंका बजा रही है।

मैंने कुछ समय जालंधर सिटी में आकाशवाणी में भी काम किया व सफलता पाई। चूंकि मैंने नृत्य विधा में कथक भी सीखा था एवं स्कूल व कॉलेजों में वाद-विवाद, डांस व अभिनय भी किया तो फिल्मी चस्का लगा व पुणे आकर फिल्म एप्रीसिएशन कोर्स भी किया। जब मुझे 'बाई चाली सासरिया' फिल्म की कामयाबी का ताज मिला तो मेरी फिल्मी गाड़ी दौड़ चली व एक के बाद एक निर्माता-निर्देशक व टेलीविजन के लोग उन्हें फिल्मों के ऑफर देने लगे।

मैंने निर्देशक असरानी के साथ निर्माता केसी बोकड़िया की फिल्म 'अहमदाबाद नो रिक्क्षावालो' एवं पंजाबी फिल्म 'बदला जट्टी दा' की तो सफलता का लंबा सिलसिला शुरू हो गया। मैं ऐसी अभिनेत्री बन गई, जो तीन भाषा, तीन सुपरहिट फिल्में फिर 'रामवती' में डाकू की भूमिका ने मेरे सफलता के ग्राफ को आगे बढ़ा दिया।

उपासना सिंह कहती हैं, मैंने तीन-तीन शिफ्टों में काम शुरू किया व आज तक 42 भोजपुरी फिल्मों में काम किया है। 'फूलवती', 'मैं हूं गीता' 'गंगा का वचन', 'इंसाफ की देवी' 'खून का सिंदूर' ने मुझे लेडी अमिताभ बना दिया। अब बड़े-बड़े अभिनेता मेरे साथ सफलता देखकर काम करने को राजी हो गए।

'लोफर' (डेविड धवन) हिट हुई। राज कंवर की 'जुदाई' भी सफल रही। आज भी 'अब्बा-डब्बा-जब्बा' संवाद सर्वत्र चलता है। फिर 'एतराज', 'हंगामा' 'माय फ्रेंड गणेशा', 'बादल', 'मुझसे शादी करोगी' फिल्मों में मेरे कॉमेडी रोल को दर्शकों ने बहुत पसंद किया।

वे कहती हैं दर्शकों ने मुझे हर रोज पसंद किया है व आज भी पसंद कर रहे हैं। स्टार प्लस पर 'सोनपरी' धारावाहिक से तो मेरी और पहचान घर-घर में बढ़ गई। तीन बार मुझे भोजपुरी में सुपरस्टार के खिताब व सम्मान मिले। पंजाबी फिल्म 'जट्ट एंड जूलियट' ने 50 करोड़ का व्यवसाय किया एवं अब शीघ्र ही 'मि. मनी', 'तुक्का फिट', 'रिव्यू साजी', 'भंवरी का जाल' में भी काम कर रही हूं।

धारावाहिक 'मायका' , जी टीवी एवं दूरदर्शन पर 'फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी' एवं 'राजा की आएगी बारात' स्टार प्लस, 'ढाबा जंक्शन', 'मैं कब सास बनूंगी' सब टीवी सहित करीब दो दर्जन धा‍रावाहिकों में अभिनय जारी है।

उपासना सिंह कहती हैं कि हर भाषा की फिल्मों में अभिनय की सफलता ने मुझे स्टेज शो में जाने का मौका मिला व मैंने कई देशों की यात्रा की व दर्शकों को सर्वत्र खूब हंसाया व तालियां बटोरीं।

वे कहती हैं मेरी इस फिल्म यात्रा में मेरी मां व मेरी बहुन 'निरुपमा' का बहुत सहयोग रहा। मैंने विवाह भी इसी प्रोफेशन में सफल कलाकार नीरज भारद्वाज से किया। सरल स्वभाव से सभी का दिल जीतने वाली इस अभिनेत्री की जिंदादिली व आत्मीयता को देखकर लगता है वे अभिनय में फिल्म संसार को अच्छीत फिल्में व धा‍रावाहिकों का तड़का देते रहेंगी।

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