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गुलाब गैंग लोगों के मनोरंजन के लिए बनाई गई है: माधुरी दीक्षित

फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित से खास बातचीत

हमें फॉलो करें गुलाब गैंग लोगों के मनोरंजन के लिए बनाई गई है: माधुरी दीक्षित
अपनी नई फिल्म 'गुलाब गैंग' को लेकर क्या कहना चाहेंगी?
'गुलाब गैंग' एक मनोरंजक फिल्म है जिसमें औरतों के लिए संदेश भी है। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि आज की तारीख में नारियों के लिए शिक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्हें खुद की इज्जत करनी आनी चाहिए। लड़के व लड़कियों के बीच के भेदभाव को खत्म करना पड़ेगा। हमें लड़कों को भी सिखाना होगा कि वे लड़कियों की इज्जत करें। पहली जरूरत तो शिक्षा की ही है।

'गुलाब गैंग' के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी?
इसमें मैंने औरतों के एक ग्रुप की नेता रज्जो का किरदार निभाया है, जो कि एक आश्रम में रहती है। यह ग्रुप कई तरह के काम कर रहा है। ग्रुप मसाले बनाने से लेकर यह साड़ियां भी बुनता है, तो वहीं औरतों के साथ हो रहे अन्याय व अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करता है। रज्जो की लड़ाई सामाजिक अन्याय व असमानता के खिलाफ है। जब रज्जो को गुस्सा आता है तो वह अपने ग्रुप की औरतों के साथ लाठी/ डंडा लेकर निकल पड़ती है।

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'गुलाब गैंग' में जूही चावला और आपका एकसाथ काम करना ही सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है?
मेरे लिए इसमें कुछ भी आश्चर्य वाली बात नजर नहीं आती बल्कि एक एक्साइटमेंट है। 90 के दशक में चंद बेहतरीन कलाकारों में से हम दोनों रहे हैं। इस फिल्म में हम दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हैं। फिल्म में जिस तरह के सीन हैं, जिस तरह के संवाद हैं, वे भी लोगों को अपनी आकर्षित करने वाले हैं।

'गुलाब गैंग' की किस बात ने आपको इंस्पायर किया?
रज्जो के यकीन ने। रज्जो का यकीन है कि हर औरत पढ़ी-लिखी होनी चाहिए। हर औरत को अपने पैरों पर खड़े होने योग्य शिक्षा मिलनी चाहिए तभी वह अपने आपको स्ट्रांग समझ सकती है। शिक्षा से ही नारी सशक्त हो सकती है इसीलिए फिल्म में मेरा संवाद है- 'जैसे तिल में तेल है, चक-मक में आग, तेरा साई तुझ में है।' तो हर नारी में एक आग है, पर उसे जगाने की जरूरत है। हर औरत को खुद के अंदर की शक्ति को पहचानना पड़ेगा और कहना पड़ेगा कि मैं एक सशक्त नारी हूं।

आपको जूही चावला में क्या पसंद है?
जूही चावला का अपना एक अलग व्यक्तित्व है। मुझे उनकी आवाज बहुत पसंद है। मुझे उनकी कॉमिक टाइमिंग बहुत पसंद है। हम दोनों कई मायनों में एक जैसे हैं। हम दोनों अपने काम के प्रति समर्पित हैं। हम दोनों अनुशासित कलाकार हैं।

क्या बॉलीवुड में दो अभिनेत्रियों के बीच दोस्ती हो सकती है?
सच कहूं तो बॉलीवुड में मेरा कोई दोस्त नहीं है। मेरे सारे दोस्त बॉलीवुड के बाहर के हैं जिनके साथ हम पार्टी करते हैं या इंजॉय करते हैं। दोस्त वह होता है जिससे हम कहते हैं कि 'चलो चाय पीते हैं।' तो इस ढंग की मेरी दोस्ती बॉलीवुड में किसी के साथ नहीं है। हम सभी अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त रहते हैं। काम करते रहते हैं। फिल्म की शूटिंग के लिए कोई आउटडोर जाता है, कोई मुंबई में करता है। वैसे भी फिल्मी पार्टियों में जाना मुझे कभी रास नहीं आया। यदि कभी मुझे फिल्मी पार्टी में जाना पड़ता था तो एक दरवाजे से अंदर जाती थी, सभी से 'हलो-हलो' करती थी? फिर धीरे से दूसरे दरवाजे से बाहर आ जाती थी।

इन दिनों भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ आंदोलन के जरिए यानी कि बिना हथियार के लड़ाई हो रही है, जबकि आपकी फिल्म 'गुलाब गैंग' में डंडा उठाकर लड़ाई हो रही है?
हम अपनी फिल्म में दिखा रहे हैं कि सिस्टम से लड़ने के लिए आपको सिस्टम से जुड़ना होगा।

सुना है कि आपने फिल्म 'गुलाब गैंग' में गाना भी गाया है?
एक गाने में छोटा-सा टुकड़ा गाया है।

आप 'गुलाब गैंग' को नारी प्रधान फिल्म मानती हैं?
मैं यह नहीं कह रही हूं कि 'गुलाब गैंग' एक नारी प्रधान फिल्म है। लोगों को यह भूल जाना चाहिए कि यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें दो औरतों ने अभिनय किया है। मैं तो चाहती हूं कि लोग फिल्म देखें। लोगों को कहानी पसंद आए और वे कहानी के साथ जुड़ें। हम लोगों का मनोरंजन करना चाहते हैं, उन्हें हंसाना चाहते हैं। यह फिल्म लोगों के मनोरंजन के लिए ही बनाई गई है। यह महज एक संयोग है कि इस कहानी के पात्र नारी हैं और हम दो महिलाओं ने अभिनय किया है। इसी के साथ हमने नारियों को संदेश दिया है, उनके इम्पॉवरमेंट की बात कही है। लड़कियों को शिक्षा दिए जाने की बात कही है।

चर्चा है कि फिल्म में सारे स्टंट आपने खुद किए हैं?
जी हां! मैंने किए हैं। दूसरी बात एक्शन हो या डांस हो, चोटें लगती रहती हैं। मुझे तो एक्शन और डांस दोनों करते हुए मजा आया। एक्शन भी डांस की तरह होता है और मैंने कमांडो की जो ट्रेनिंग ले रखी है उसने मेरी मदद की। इस फिल्म में सारे स्टंट कलाकारों ने खुद किए हैं।

आपके लिए डांस या एक्शन में से क्या ज्यादा मुश्किल है?
मेरे लिए दोनों एक जैसे हैं।

क्या आप कभी राजनीति से जुड़ेंगी?
मुझे राजनीति में नहीं जाना है।

किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?
ऐसे किरदार जिनमें गहराई हो। अब सिनेमा में काफी बदलाव आ चुका है। अब संवादों में भी काफी गहराई होती है। संवाद अर्थपूर्ण होते हैं। अब नारी पात्र भी काफी यथार्थपरक होते हैं। मुझे लगता है कि औरतों के लिए फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का यह सुनहरा वक्त है।

सिनेमा में आए बदलाव से आप पर क्या असर पड़ रहा है?
पहले हम फिल्म को प्रमोट करने के लिए नहीं जाते थे। उस वक्त मीडिया भी कम था। हमें सिर्फ 4-5 इंटरव्यू देने पड़ते थे, पर अब तो फिल्म को प्रमोट करने के लिए कई शहरों में जाना पड़ता है। हमें लोगों से कहना पड़ता है कि यह हमारी फिल्म है, इसे आकर देखें। हर समारोह में 25-30 चैनल मौजूद होते हैं। हां! पहले वैनिटी वैन नहीं हुआ करती थी। अब यह सुविधा उपलब्ध है, पर मैं इस दौर को भी इंजॉय कर रही हूं।

फिल्मों में व्यस्तता के चलते परिवार को कम समय दे पा रही होंगी?
मैं अपनी दिनचर्या बनाते समय परिवार का ख्याल रखती हूं। काम से पहले मेरे लिए मेरा परिवार मायने रखता है। यदि बच्चों के स्कूल में कोई कार्यक्रम है तो पहले उनके साथ उनके स्कूल जाना पसंद करती हूं। एक कामकाजी महिला के लिए इस तरह से योजना तो बनानी ही पड़ती है।

क्या आप अपना डांस स्टूडियो भी शुरू करने वाली हैं?
जी नहीं! ऐसी कोई योजना नहीं है इसीलिए हमने इंटरनेट पर ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की है और इसके माध्यम से हम पूरे विश्व के दर्शकों तक पहुंच पा रहे हैं।

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