अनिल शर्मा के देओल से संबंध जगजाहिर हैं। उन्होंने तीनों के साथ काम किया है और उन्हें ही तीनो देओल को एक ही फिल्म में निर्देशित करने का मौका मिला है। आइए अनिल से जाने ‘अपने’ के बारे में :
क्या आपने तीनों देओल को ध्यान में रखकर फिल्म बनाने की सोची या आपके पास ऐसी कहानी थी जिसमें तीनों साथ में काम कर सकें?
जब मैं ‘गदर’ बना रहा था तब सनी की इच्छा थी कि मैं ऐसी फिल्म बनाऊँ जिसमें तीनों एक साथ काम कर सकें। हमें सही पटकथा तलाशने में चार वर्ष लगें। मैं तीनों को लेकर एक्शन फिल्म नहीं बनाना चाहता था। एक दिन मुझे आइडिया आया और मैंने भावनात्मक फिल्म बनाने की सोची।
क्या इस फिल्म की स्टारकास्ट इसका सबसे बड़ा आकर्षण हैं?
स्टारकास्ट के अलावा फिल्म की पटकथा भी बहुत सशक्त है।
क्या बॉक्सिंग का भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार है?
बॉक्सिंग से ज्यादा इस फिल्म में एक पिता और उसके दो बेटों के संबंधों को अहमियत दी गई है। हर फिल्म बताती है कि एक पिता ने अपने बेटों के लिए क्या-क्या किया परंतु इस बात को बेहद कम बताया जाता है कि बेटों ने अपने माता-पिता के लिए क्या किया। मैंने यहीं बात इस फिल्म के जरिए कहने की कोशिश की है।
आपने बॉक्सिंग जैसा खेल क्यों चुना क्योंकि इस खेल के बारे में भारतीय कम जानते हैं?
मैं जानता हूँ कि क्रिकेट और टेनिस भारत में लोकप्रिय है। क्रिकेट पर बहुत फिल्में बन रही हैं, इसलिए मैंने बॉक्सिंग को चुना। देओल्स की इमेज भी इस खेल के लिए सूट होती है।
सनी और बॉबी बॉक्सर बने हैं। क्या उन्हें प्रशिक्षित किया गया है?
आस्ट्रेलिया के प्रशिक्षक और भारत के कुछ मुक्केबाजों ने धर्मेन्द्र के घर जाकर उन्हें खेल की बारीकियाँ समझाई और प्रशिक्षित किया।
सनी और बॉबी की मार्केट वैल्यू इस समय कम है। क्या आपको लगता नहीं कि इससे आपकी फिल्म पर असर पड़ेगा?
कलाकार की मार्केट वैल्यू फिल्म को प्रभावित नहीं करती बल्कि फिल्म कलाकार की मार्केट वैल्यू को प्रभावित करती है। एक फिल्म अच्छी पटकथा और कहानी के बलबूते पर चलती है। मुझे तो लगता है कि दर्शक धर्मेन्द्र, सनी और बॉबी को बेहद चाहते हैं।