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रिवॉल्वर रानी से इसलिए डरा था : वीर दास

हमें फॉलो करें रिवॉल्वर रानी से इसलिए डरा था : वीर दास

वीर दास 'रिवॉल्वर रानी' फिल्म में कंगना रनोट के अपोजिट नजर आएंगे। वे ऐसे शख्स का किरदार निभा रहे हैं जो मुंबई जाकर हीरो बनने की कोशिशों में लगा हुआ है। वीर दास के लिए यह फिल्म बेहद महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं उन्हीं से इस फिल्म और उनके रोल के बारे में :


'रिवॉल्वर रानी' में क्या कर रहे हैं?
मेरी इमेज स्टैंडअप कॉमेडियन की है। मैं हर फिल्म में लोगों को हंसाने के लिए ही नजर आता हूं, पर 'रिवाल्वर रानी' में मैंने बहुत अलग तरह का किरदार निभाया है। किरदार बहुत रोचक है, पर वह अच्छा इंसान नहीं है। मैंने इसमें रोहन का किरदार निभाया है, जो कि बॉलीवुड से जुड़ा हुआ है। रोहन हमेशा औरतों का उपयोग करता रहता है। उसका मानना है कि वह बिस्तर पर बहुत अच्छा है। उसे जो कुछ चाहिए, उसे पाने के लिए वह अपने शरीर का उपयोग करता है। बहुत ही स्वार्थी इंसान है। अपने फायदे के लिए वह सारी जोड़-तोड़ कर लेता है। बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी है जबकि वह एक छोटे से शहर का लड़का है, जो कि बड़े शहर में आकर बहुत कुछ करना चाहता है। वह ड्रग्स का उपयोग करना हो या कानून तोड़ना हो, सब कुछ कर सकता है। सच कहूं तो जब मेरे पास तिग्मांशु धुलिया ने इस फिल्म का ऑफर भेजा तो स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि वे मुझसे रोहन का किरदार करवाना चाहते हैं। मैंने खुद तिग्मांशुजी से पूछा था कि क्या वे वास्तव में चाहते हैं कि मैं रोहन का किरदार निभाऊं, क्योंकि रोहन सिर्फ नेगेटिव ही नहीं, बल्कि बहुत ही डरावना किरदार है। मैं रोहन को कतई पसंद नहीं करता। एक इंसान के तौर पर मैं अपमानित महसूस करता हूं, पर तिग्मांशुजी ने कहा कि वे चाहते हैं कि मैं ही रोहन का किरदार निभाऊं। उन्होंने अपनी इस फिल्म में हर कलाकार को उसकी इमेज से विपरीत किरदार निभाने का मौका दिया है। इसके पीछे उनकी सोच यह रही है कि हर कलाकार ऐसे किरदार में नजर आए जिसके बारे में कोई सोच न सके। रोहन का किरदार निभाना मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती रही।

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क्या इस संसार में रोहन जैसे इंसान ज्यादा हैं?
मैं उम्मीद करता हूं कि संसार में रोहन जैसे इंसान न हो। यदि रोहन जैसे इंसान होंगे तो संसार खत्म हो जाएगा।

क्या 'रिवॉल्वर रानी' से आपकी स्टैंडअप कॉमेडियन की इमेज टूटेगी?
कुछ कह नहीं सकता।

पर आप पहले 'रिवॉल्वर रानी' करने से डरे क्यों थे?
मैं इसलिए नहीं डरा था कि 'रिवॉल्वर रानी' का किरदार रोहन फनी नहीं है। मैं इसलिए डरा था, क्योंकि यह एक अच्छा आदमी नहीं है। दिल का बहुत खराब और जाहिल आदमी है। मुझे डर था कि मैं इतना खराब आदमी परदे पर बन पाऊंगा या नहीं। सेक्सुअल अब्यूज, ड्रग एडिक्ट सहित बहुत बुराइयां हैं।

कंगना रनोट के साथ आपकी डार्क केमिस्ट्री कैसे बनी?
सेट पर में लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं करता था। बहुत चुप रहता था। यह किरदार फिल्म में धीरे-धीरे कुंठित होते जाता है तो इसमें मेरे पात्र रोहन की एक यात्रा है। पहले 30 दिन की शूटिंग में मैं दिन- प्रतिदिन फ्रस्टेटेड होता जा रहा था। अगले 30 दिन की शूटिंग के दौरान मैं फ्रस्टेटेड ही था। फिल्म के निर्देशक ने चालाकी से उसी हिसाब से मेरे सीन फिल्माए। हमने इस फिल्म के लिए ग्वालियर व चंबल के जंगलों में भी शूटिंग की। तो मौज-मस्ती के लिए समय ही नहीं था। यहां तो वायलेंस ज्यादा हो रहा था इसलिए हमारे बीच अच्छी केमिस्ट्री बनी।

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स्टैंडअप कॉमेडियन और अभिनेता दोनों में किस तरह का फर्क महसूस करते हैं?
स्टैंडअप कॉमेडी के शो थिएटर की तरह हैं। जहां हमें 2 सेकंड के अंदर पता चल जाता है कि सामने बैठा दर्शक इंज्वॉय कर रहा है या नहीं। फिर हम तुरंत दर्शकों से मिली फीडबैक के आधार पर कुछ बदलाव कर सुधार कर सकते हैं। स्टैंडअप कॉमेडी के लिए हम 4 घंटे सोचते हैं। 300 पन्नों की स्क्रिप्ट लिखते हैं। फिर उसको समेटकर 15 लाइन में करते हैं और बाद में उसे हम 15-20 मिनट के शो में खत्म कर देते हैं जबकि फिल्म का मामला बहुत अलग है। एक फिल्म को लेकर कलाकार की प्रतिभा और फिल्म के बारे में दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने में कम से कम 8 माह से 1 साल का समय लग जाता है। फिल्म के सेट पर पहले से लिखी हुई पटकथा मिलती है और जो लिखा होता है, उसी दायरे में रहते हुए काम करते हैं। तो दोनों माध्यम बहुत अलग हैं। इसके साथ-साथ मैं एक अलग तरह के माध्यम में भी काम करता हूं और वह है संगीत। मुझे गीत लिखने व गाने तथा संगीत को कम्पोज करने में भी आनंद मिलता है।

इस साल आने वाली फिल्मों के बारे में बताएं?
सबसे पहले बतौर हीरो मेरी फिल्म 'रिवॉल्वर रानी' रिलीज होगी, जो कि लाइट हार्टेड फिल्म नहीं है। यह बहुत ही ज्यादा डार्क फिल्म है जबकि 'अमित साहनी की लिस्ट' लाइट रोमांटिक फिल्म है जिसमें प्यार की तलाश है। 'संता-बंता' पूरी तरह से आम मुंबई मसाला कमर्शियल फिल्म है। यह एक पारिवारिक फिल्म है। संजय छैल की फिल्म एक कमर्शियल लव स्टोरी फिल्म है जिसमें मेरे साथ ऋषि कपूर और निलोफर हैं। सिख दंगों पर आधरित फिल्म '1984' एक ड्रामेटिक थ्रिलर फिल्म है। यह एक अतिगंभीर फिल्म है। तो हर फिल्म में कुछ अलग-सा मामला है।

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