नंदना सेन इस समय ‘रंग रसिया’ को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म को विदेश में काफी सराहना मिली है और भारत में यह जल्दी प्रदर्शित होने वाली है। पेश है नंदना सेन से बातचीत :‘ब्लैक’ के बाद अब ‘रंग रसिया’। किस तरह के रंग आपने इसमें भरे हैं? मैंने अपना ज्यादातर काम भारत में नहीं किया है, लेकिन लोग मुझे ‘ब्लैक’ में मेरे रोल के लिए याद करते हैं। ‘ब्लैक’ के बाद आठ से दस फिल्में मैंने की, जिन्हें बॉलीवुड की नहीं कहा जा सकता। ‘रंग रसिया’ मेरी महत्वपूर्ण फिल्म है क्योंकि यह बेहद साहसी फिल्म है। विश्व के किसी भी कोने में इसे पसंद किया जा सकता है। ‘रंग रसिया’ देखने के बाद लोग अपनी स्वतंत्रता का महत्व समझेंगे।केतन मेहता ‘मिर्च मसाला’ के अलावा भी बहुत कुछ हैं? हाँ। मुझे गर्व है कि केतन ने इस फिल्म को निर्देशित किया है और इस फिल्म को पूरी दुनिया के लोगों ने लंदन फिल्म फेस्टिवल में देखा। केतन ने इस लम्हे का बहुत लंबा इंतजार किया है। केतन इस इंडस्ट्री के ऐसे निर्देशक हैं जो प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ फिल्म को ऐसा बनाते हैं कि वो सभी को पसंद आती है। केतन और मैं लंबे समय से साथ काम करना चाहते थे और ‘रंग रसिया’ ने हमें वो अवसर दिया। रणदीप का साथ कैसा रहा? रणदीप और मैं लंबे समय से एक-दूसरे को जानते हैं। कुछ वर्ष पूर्व मुंबई हम दोनों साथ आए थे। आखिर हमने साथ फिल्म की और दोनों ने अच्छा काम किया। आपके पिता अमर्त्य सेन लंदन प्रीमियर में उपस्थित थे। इस बात से आप बेहद खुश हुई होंगी।बिलकुल। उन्होंने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं शिक्षा के क्षेत्र में जाऊँ और मैं होशियार विद्यार्थी भी थी। लेकिन मैंने अभिनय के क्षेत्र में जाने का फैसला किया। उन्हें आश्चर्य तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन किया। ‘रंग रसिया’ में बोल्ड दृश्य हैं और उन्होंने इसके लिए भी मेरा सपोर्ट किया है। सुना है कि आप केतन मेहता के साथ ‘रंग रसिया’ के पहले भी काम करना चाहती थीं? मैं ‘द राइजिंग’ में काम करने वाली थी, जिसका पहले नाम ‘कारतूस’ था। जब फिल्म फ्लोर पर गई तब मैं न्यूयॉर्क में थी। तारीखों की समस्या के कारण मैं वह फिल्म नहीं कर पाई। क्या आप इस फिल्म में ‘देवदासी’ बनी हैं? आप सही कह रहे हैं। ‘रंग रसिया’ में मैं उन्नीसवीं शताब्दी की देवदास बनी हूँ। चौदह वर्ष की आयु में ही उसको देवदासी बना दिया जाता है। इस लड़की को प्यार का अहसास कभी नहीं हुआ। जब वह राजा रवि वर्मा से मिलती है तो उसे सुंदरता के मायने पता चलते हैं। इस मुलाकात के बाद उसकी दुनिया बदल जाती है। मेरे किरदार की खासियत उसकी मादकता और मासूमियत का बेहतरीन संतुलन है। आपने एक वास्तविक किरदार निभाया। क्या यह मुश्किल था? नहीं। मैं अपने किरदार के लिए राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स पर आश्रित थी क्योंकि उन्होंने अपनी पेंटिंग्स में महिलाओं को बेहद खूबसूरती के साथ पेश किया है। मैंने अपनी देह को भी मांसल बनाया। क्या बॉलीवुड की फिल्में पसंद करने वाली जनता ‘रंग रसिया’ को पसंद करेगी?‘रंग रसिया’ को हर वो व्यक्ति पसंद करेगा जो स्वतंत्रता पर विश्वास करता है। यह बहुत ही पॉवरफुल फिल्म है। अभिव्यक्ति की आजादी को इस फिल्म में रेखांकित किया गया है।
और कौन-सी फिल्में कर रही हैं?
टिप्स की एक फिल्म विवेक ओबेरॉय के साथ कर रही हूँ। इस फिल्म में दुश्मनों को किक जमा रही हूँ और बीच-बीच में विवेक के साथ रोमांस करती हूँ। फिल्म का नाम अभी तय नहीं हुआ है। अनुभव सिन्हा की ‘जिंदाबाद’ कर रही हूँ, जिसमें राजनीति पर व्यंग्य किया गया है। इसमें मैं एक ऐसी रिपोर्टर बनी हूँ जो अपने आदर्शों से दुनिया बदलना चाहती है। राजनीतिक पार्टियाँ किस तरह सरकार बनाने और गिराने का व्यवसाय करती है, यह इस फिल्म में दिखाया गया है। शबाना आजमी इसमें मेरी बॉस बनी हैं। एक बंगाली फिल्म भी कर रही हूँ। तब्बू, श्रेयस तलपदे के साथ यूटीवी की फिल्म ‘सीज़न्स ग्रीटिंग्स’ भी आने वाली है।
अपने प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
हर दिन को पूरी आजादी के साथ जियो।