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पूरे विश्व को परिचित कराने के लिए बनाई 'अन्ना' : शशांक उदापुरकर

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‘अन्ना’ नामक फिल्म को बनाया है मराठी लेखक, डायरेक्टर और एक्टर शशांक उदापुरकर ने। शशांक महाराष्ट्र के छोटे-से गांव से मुंबई एक्टर बनने का सपना लेकर आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने कुछ मराठी फिल्मों में समानांतर भूमिकाएं निभाईं, लेकिन वे कुछ ऐसा करना चाहते थे, जो कुछ अलग, नया तथा अनोखा हो। 
 
एक दिन उनके दिमाग में आया कि क्यों न अन्ना हजारे को लेकर कुछ किया जाए, बस इसके बाद उन्होंने अन्ना को लेकर रिसर्च करना शुरू कर दिया। करीब सालभर की अथक मेहनत के बाद उन्होंने अन्ना के जीवन की बारीक से बारीक चीज को भी अपनी स्क्रिप्ट में कैद कर लिया।
जब स्क्रिप्ट तैयार हो गई तो वे अन्ना से मिलने उनके गांव जा पहुंचे। वहां उन्होंने अन्ना के मैनेजर से अन्ना से मिलने के लिए सिर्फ 5 मिनट का समय मांगा। वहां शशांक को यह भी पता चला कि इससे पहले कई बड़े-बड़े फिल्म मेकर्स अन्ना को लेकर फिल्म बनाने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन अन्ना के मना करने पर वे सभी पीछे हट गए थे। 
 
शशांक बताते हैं 'मैं 5 मिनट के वक्त के साथ अन्ना से मिला और उन्हें अपने आने का मकसद बताया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि फिल्म बनानी हैं तो गांधीजी पर बनाओ। मुझे कोई क्यों देखना चाहेगा?'  
 
इस पर मैंने कहा- 'सर, गांधीजी जैसे महान लोग तो भगवान के करीब के संत हैं। उन पर फिल्म बनाना मेरी औकात से बाहर की बात है, लेकिन आपकी बात की जाए तो आपके बारे में मैं इतना कह सकता हूं कि एक महज 7वीं तक पढ़ा लगभग अनपढ़ शख्स जब दिल्ली के मंच से 'भारतमाता जिंदाबाद' कहता है तो उसके पीछे लाखों-करोड़ों स्वर एकसाथ गूंजते हैं। बड़े-बड़े आलिम उनसे और उनके विचारों से काफी प्रभावित हैं। उनकी हर बात पर विश्वास करते हुए युवा उनके पीछे खड़े हैं, लिहाजा उन्हें और उनके विचारों से पूरे देश क्या, पूरे विश्व को परिचित करवाना चाहिए। इसके लिए मेरे पास एक माध्यम है फिल्म।'
 
अन्ना ने इतना सुन मुझसे पूछा कि तुम मेरे बारे क्या जानते हो? तो मैंने उन्हें कहा कि आप मुझे थोड़ा और वक्त दें। उनकी सहमति के बाद मैंने उन्हें अपनी कहानी सुनाई तो उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि तुम्हारी रिसर्च सुनने के बाद ऐसा लगता है कि बचपन से अभी तक तुम मेरे साथ रहे हो। इसके बाद उन्होंने मुझे फिल्म बनाने के लिए हरी झंडी दे दी। अब मेरे सामने अगला काम था फिल्म के लिए प्रोड्यूसर ढूंढना।
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जब ये सब्जेक्ट (स्व.) रवीन्द्र जैन ने सुना तो वे बहुत प्रभावित हुए। बाद में उन्होंने अपने भाई मनीन्द्र जैन से कहा कि तुम ये फिल्म प्रोड्यूस कर सकते हो। जहां तक अन्ना के किरदार की बात है तो वो मैंने शुरू से ही निश्चय कर लिया था कि ये भूमिका तो मुझे ही करनी है, बाकी कास्टिंग के तहत किशन बाबूराव हजारे यानी अन्ना की मां की भूमिका में अश्विनी गिरि को साइन किया गया। साहूकार को अभिनीत किया गोविंद नामदेव ने। रमैया के किरदार में दयाशंकर पांडे दिखाई देने वाले हैं। मिलिट्री ऑफिसर बने हैं शरत सक्सेना। शिखा की भूमिका में तनीषा मुखर्जी हैं तथा सूत्रधार हैं रजित कपूर और किशोर कदम भी एक अहम किरदार में दिखाई देंगे।
 
फिल्म की शूटिंग मनाली, दिल्ली तथा महाराष्ट्र की विभिन्न लोकेशनों पर की गई। हाल में जब अन्ना को फिल्म का फर्स्ट ट्रेलर दिखाया गया तो उन्होंने अपनी भूमिका निभाने के लिए मेरी पीठ ठोंकते हुए कहा कि तुमने वाकई भूमिका निभाने में बहुत मेहनत की है तथा ऐसा लग रहा जैसे मैं अपने पुराने समय में चला गया हूं।
 
मैं इतना ही कह सकता हूं कि अन्ना पर फिल्म बनाने का मेरा सपना सच होने में साढ़े 3 साल लगे। 14 अक्टूबर को फिल्म रिलीज होने जा रही है जिसका मुझे बेताबी से इंतजार है।

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