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क्रीचर भुतहा फिल्म नहीं है : बिपाशा बसु

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, मंगलवार, 9 सितम्बर 2014 (16:15 IST)
‘क्रीचर 3 डी’ के साथ हॉरर क्वीन बिपाशा बसु अब फियर गॉडेस बन चुकी हैं। और हो भी क्यों न? भारत की पहली क्रीचर फिल्म ‘क्रीचर 3 डी’ के साथ बिपाशा, बॉलीवुड की भी पहली 'ए' ग्रेड एक्ट्रेस बन गई हैं जिन्होंने सबसे अधिक हॉरर तथा सुपर नैचुरल फिल्में की हैं। फिलहाल फिल्म से जुड़े अनुभवों के अलावा आइए जानें निर्देशक विक्रम भट्ट और पाकिस्तानी को स्टार इमरान अब्बास के बारे में बिपाशा क्या कहती हैं...
 
क्रीचर 3डी’ के साथ अब आप एक और डरावनी फिल्म में नजर आने वाली हैं। क्या वजह है कि भूतों से इतना डरने के बावजूद इनके प्रति आपका मोह नहीं छूट रहा?
सबसे पहले तो मैं आपको यह बात साफ कर दूं कि ‘क्रीचर 3 डी’ भुतहा फिल्म नहीं बल्कि एक थ्रिलर फिल्म है। यह एक क्रीचर फिल्म है, जैसा कि जुरासिक पार्क, गॉडजिला और एनाकोंडा में देख चुके हैं। रही बात मोह की तो यह मेरा मोह नहीं उत्साह है, जो मुझे हर पल आगे होने वाली शूटिंग के लिए उत्सुक रखता था। इसमें जो डर है वह एक ऐसा डर है, जो आमतौर पर एक अनजानी चीजों को लेकर होता है। वैसे भी यह भारत की पहली क्रीचर फिल्म है। अगर मैं यह फिल्म नहीं करती तो मुझसे अधिक बेवकूफ और कोई नहीं होता।
 
तो क्या अपनी पिछली हॉरर फिल्मों को देखते हुए अब आप यह कह सकती हैं ‘डर के आगे जीत है’?

बिलकुल नहीं, बल्कि मैं आज भी यही कहूंगी कि मैं बहुत फट्टू हूं। अभी मैं अपनी अगली हॉरर फिल्म ‘अलोन’ की शूटिंग कर रही थी। शूटिंग के दौरान एक सीन में अंधेरे में मैं एक सोफे पर लेटी रहती हूं और हल्के से अपना सिर घुमाती हूं। जैसे ही मैं अपना सिर घुमाती हूं मेरा सामना उस भूत से होता है, जो ठीक मेरे सामने खड़ा होता है। मेरे और उसके चेहरे के बीच मात्र 1 इंच का फासला था और सीन के मुताबिक मुझे जोर से चिल्लाना था। मैंने जैसे ही उस भूत को देखा तो मैं चिल्लाने लगी। पहले लोगों को लगा कि मैं एक्टिंग कर रही हूं लेकिन जब उन्होंने देखा कि मैं लगातार चींखे जा रही हूं तो वे मेरे पास आए और मुझे शांत कराया। आपको जानकर हैरानी होगी कि मैं लगातार 15 मिनट तक गहरे सदमे में थी। मजे की बात यह है कि फिल्म में भूत का किरदार निभाने वाली एक 22-23 साल की युवा लड़की थी। उससे पहली मुलाकात भी काफी डरावनी थी। हुआ यूं कि वह कहीं अंधेरे में बैठी थी और जैसे ही उसने मुझे देखा एक स्माइल दी। आप यक़ीन नहीं करेगी कि अंधेरे में भूत का मैकअप लगाए उस लड़की की हंसी इतनी डरावनी थी कि मैं चीख पड़ी। हालांकि बाद में मैंने उस लड़की से कहा भी कि यार तुम ऐसे मैकअप लगाकर अंधेरे में बैठोगी तो जरूर किसी न किसी को हार्टअटैक आ जाएगा। 

 

बिपाशा बसु फिल्म क्रीचर में
 
आपको लगता है कि दर्शक ‘क्रीचर 3 डी’ जैसी फिल्मों के लिए अभी तैयार हैं?
बिलकुल। वैसे भी जब वे रुपहले पर्दे पर इतनी सारी घटिया चीजें देख सकते हैं तो यह तो उनसे काफी अलग और दिलचस्प है। यकीन मानिए हमारे यहां कई ऐसी फिल्में बनती हैं, जो बिना सिर-पैर की होती हैं लेकिन कई बार सौभाग्य से वे चल पड़ती हैं। अब जब ऐसी फिल्मों को दर्शक देख सकते हैं तो यह क्यों नहीं। मैं यह बात दावे से कह सकती हूं कि हमारी यह फिल्म काफी मनोरंजक होगी।
 
‘क्रीचर 3 डी’ की शूटिंग के दौरान काल्पनिक क्रीचर के साथ शूटिंग करना कितना मुश्किल था?
देखिए यह तो आप भी जानती हैं कि हर एक्शन का एक रिएक्शन होता है, लेकिन यहां हमें बिना एक्शन के रिएक्ट करना था। फिल्म 3 डी है सो हर शॉट को हमें तीन बार करना होता था। सच कहूं तो उत्साहित होकर इस फिल्म के लिए विक्रम से हामी तो भर दी थी लेकिन लगभग 10 दिन तक क्या हो रहा है, कुछ समझ नहीं आ रहा था। मजे की बात तो यह है कि हर शॉट को 3 बार करने में सबसे ज्यादा बैंड एक्शन के दौरान बजी, क्योंकि हर एक्शन को 3 बार करना मुश्किल काम था। हालांकि इतना सब होने के बावजूद मैं उत्साहित थी, क्योंकि मुझे लग रहा था जिस तरह ‘एनाकोंडा’ में जेनिफर लोपेज ने एनाकोंडा का सामना किया है, वैसे ही यहां मुझे ‘क्रीचर’ से लड़ना है। 
 
क्रीचर के अलावा अपने को स्टार इमरान अब्बास के बारे में क्या कहेंगी?
इमरान एक बहुत प्यारे इंसान हैं। वे पाकिस्तान से हैं और उनकी तहजीब का जवाब नहीं। मुझे याद है, जब मैं पहली बार उनसे मिली तो उन्हें बातें करते देख मुझे लगा कि मैं कितनी झल्ली हूं। जोर से चिल्लाना, ठहाके लगाना और जोर-जोर से बातें करना मेरी आदत है सो इमरान को देखकर मुझे लगा कि इनकी तरह शांत रहा जाए। यही नहीं, मैंने 2 दिन उनकी तरह तहजीब में रहने की कोशिश भी की लेकिन फिर मुझे लगा यह मेरे बस की बात नहीं। हां, जब वे साथ रहते तो मैं उनसे कहती कि तुम बातें करो, क्योंकि उनकी हिन्दी इतनी अच्छी है कि उनके सामने मेरी जुबान बंद हो जाती थी। वे अक्सर मुझसे पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के क्रेज और मेरी फैन फॉलोइंग का जिक्र किया करते थे। 
 
खबर है कि विक्रम भट्ट का क्रीचर, ब्रह्म राक्षस से प्रेरित है सो आपका सामना इनसे कब हुआ और आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगी?
देखिए हर क्रीचर को एक बैकड्रॉप देना जरूरी है। अब हम हॉलीवुड से उनका क्रीचर तो नहीं चुराएंगे न, सो भारतीय परिवेश में ढालते हुए उसे हमने 'ब्रह्म राक्षस' से लिया जिससे हम भारतीयों को वह समझ में आए। आमतौर पर ब्रह्म राक्षस ऐसी दूषित आत्मा होती हैं जिन्होंने जीते-जी कोई अच्छा काम नहीं किया होता। यही वजह है कि मरने के बाद उन्हें ब्रह्म राक्षस की योनि में आना पड़ता है। हमारी पौराणिक गाथाओं में ब्रह्म राक्षस से जुड़ी कई कहानियां हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां ब्रह्म राक्षसों की पूजा की जाती है। रही बात इनसे मिलने की तो इनके बारे में पहली बार मैंने इस फिल्म के दौरान विक्रम से ही सुना था वर्ना इनके बारे में अधिक जानने में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है।
 
सुना है ‘क्रीचर 3 डी’ की शूटिंग शुरू करने से पहले आप साउथ के मंदिरों में गई थीं?
जी नहीं, मैं गई नहीं थी, लेकिन हां मैंने उनका काफी अध्ययन किया है। अभी प्रमोशन के दौरान हो सकता है हम वहां जाएं। आखिर हम भी तो देखें कि हमारे राक्षस और उनके राक्षस में क्या समानताएं हैं।
 
हमने यह भी सुना है कि जिस तरह ट्रेलर लांच के दिन आपकी कलाई पर लाल धागा बांधकर आपको भयमुक्त करने का प्रयास किया गया था, उसी तरह आपकी शुद्धिकरण के लिए दक्षिण भारत से ब्राह्मण बुलाए जाएंगे?
मुझ पर लोग ये सब कुछ-न-कुछ करते रहते हैं। उन्हें लगता है कि इससे कुछ कम हो जाए, लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं। ‘राज 3’ के दौरान भी विक्रम मुझे न जाने कहां-कहां कितने मंदिरों में लेकर गए थे। अब अगर उन्हें लगता है कि साउथ से ब्राह्मणों को बुलाकर कुछ हो सकता है तो वे यह भी कर लें।
 
खबर है कि ‘क्रीचर 3 डी’ का फाइनल कट देखने से आपने इंकार कर दिया था। वाकई?
यह कोई नई बात नहीं। यह मैं हर फिल्म के दौरान करती हूं। मेरी तो कोशिश यही रहती है कि मैं उन्हें कभी न देखूं लेकिन क्या करूं मुझे उनकी डबिंग करनी होती है। डबिंग के दौरान चाहकर भी मैं कहीं छुप नहीं पाती। मजे की बात यह है कि उस समय तो ईमानदारी से मैं उसे कर लेती हूं लेकिन घर आने के बाद उसका एक-एक सीन मुझे याद आने लगता है। फिर एक-एक कर पूरे घर की लाइट चालू कर तेज आवाज के साथ मैं टीवी चालू कर लेती हूं। यही वजह है कि अपनी नौकरानी को मैं अपने कमरे में सुलाती हूं। कई बार जब ज्यादा डर जाती हूं तो अपने दोस्तों या बहनों को घर बुला लेती हूं। इंफैक्ट इस बार मैंने ‘अलोन’ के लिए भूषण से कह दिया है कि तुम लोग इसका सिंक वॉइस रख लेना, क्योंकि मैं डबिंग नहीं करने वाली हूं। 
 
विक्रम भट्ट के बारे में क्या कहना चाहेंगी?
विक्रम एक ऐसे निर्देशक हैं, जो मुझ में विश्वास करते हैं और मैं उनमें। मुझे याद है 'राज 3' के बाद जब उन्होंने मुझे इस फिल्म के बारे में बताया तो मैं उत्साहित हो गई। तभी हंसते हुए उन्होंने कहा कि इस पूरे बॉलीवुड में तुम एकमात्र ऐसी पागल एक्ट्रेस हो, जो क्रीचर फिल्म के लिए इतनी उत्साहित है। दरअसल, बतौर निर्देशक वे मेरे अभिनय को और मांजते हैं। वे आम निर्देशकों जैसे नहीं हैं, जो बंधी-बंधाई सीमा में फिल्में बनाएं। वे कुछ अलग करना चाहते हैं, समय के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। इसी में उन्हें खुशी मिलती है।

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