करीब करीब सिंगल, संघर्ष और दुश्मन जैसी फिल्में बनाने वाली तनुजा चंद्रा महिला निर्देशक के रूप में हमेशा से मशहूर रही हैं। अब यही तनुजा अमेजन प्राइम पर एक नई वेब सीरीज 'हश हश' लेकर आई हैं। हर्ष यह वेब सीरीज कई नामी सितारों के साथ बनाए गई है। एक बार फिर से इसमें महिलाओं के किरदारों को ही ठोस तरीके से बताने की कोशिश की गई है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए तनुजा बताती हैं कि फिल्में तो कई बनाई हैं कई बार कहानी कुछ ऐसी होती है जिसे 2 घंटे में बताया जाना चाहिए। एक शुरुआत हो, कहानी में मोड़ आए और फिर उसे अच्छी तरीके से खत्म कर दिया जाए, लेकिन सिर्फ इतना ही स्टोरी टेलिंग नहीं होता है। मुझे ऐसा लगता है कि इसमें किसी भी किरदार का सिर्फ एक ही रूप दिखाई देता है जबकि वेब सीरीज में ऐसा नहीं है।
आपके पास पूरा समय होता है कि किसी एक किरदार को चुने, उसके हर रंग रूप को दिखाने की कोशिश करें और फिर उसे अच्छे से लोगों के सामने लेकर आए। वेब सीरीज आपको यह मौका देती है कि आप अपनी क्रिएटिविटी दिखा सके। मुझे ऐसा लगता है कि दर्शक भी यही चाहते हैं कोई अगर किरदार है, कोई अभिनेता है तो उसके पीछे क्या कहानी चल रही है। उसके घर में लोग कहते हैं। उसके आसपास का माहौल कैसा है और वेब सीरीज एक बहुत अच्छा समय उपलब्ध कराती है आपको उस किरदार के ग्राफ को दिखाया जा सके।
हश हश की बात करूं तो इसमें एक साथ पांच छह महिलाएं हैं और ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक महिला मुख्य किरदार में हैं बल्कि मैं कहूंगी कि जितनी भी महिलाएं हैं, सब का किरदार बहुत तरीके से लिखा गया है। सभी बहुत महत्वपूर्ण है और सभी की अपनी एक कहानी है जो एक साथ चलती है। और उसी को दिखाने का नाम है हश हश।
हश हश नाम क्यों रखा गया वेब सीरीज का?
हर एक की जिंदगी में ऐसे कई लम्हे होते हैं और कई घटनाएं होती है जिसके बारे में वह शायद बात नहीं करना चाहता है या फिर छुपा कर रखना चाहती है। कितने कलाकार हैं जो किरदार है उनकी जिंदगी में भी कुछ ऐसी बातें हुई है। अब हो तो गई सबने उसको छुपा भी लिया, लेकिन फिर एक ऐसा क्राइम सामने आ जाता है जिसकी वजह से यह सारे सीक्रेट बाहर आने लग जाते हैं और कैसे इन सभी लोगों की जिंदगी को मोड़कर और उलट-पुलट कर के रख देते हैं, हश हश इसी के लिए नाम रखा गया है।
आपसे पहले करिश्मा तन्ना से बात हुई थी। वह बता रही थीं कि टेलीविजन की दुनिया में जो क्रु मेंबर्स होते हैं, वह ज्यादा होते हैं। आपको कुछ अजीब नहीं लगता सीरियल की दुनिया महिलाओं से भरी रहनी चाहिए।
बिल्कुल यही तो एक ऐसी विडंबना जिससे मैं हराना चाहती हूं। सीरियल की दुनिया में जब शूट किए जाते हैं तो बहुत सारे पुरुष आसपास होते हैं। अब एक और अनोखी बात बताती हूं। सीरियल की दुनिया में जहां देखने वाली महिलाओं की संख्या ज़्यादा होती है, वहां पर ओटीटी पर पुरुषों की व्यूअरशिप अधिक देखने को मिलती है। चलिए इसी बहाने कम से कम मर्दों को समझ में तो आ रहा है कि महिलाएं किस चीज से गुजरती है। उनकी क्या-क्या भावनाए होती है और उन्हें क्या-क्या सहन करना पड़ता है?
इस सीरीज में नए और पुराने दोनों ही कलाकार आपके साथ काम कर रहे थे तो सामंजस्य बैठाने में कहीं कोई तकलीफ हुई हो नहीं?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। कहीं कोई तकलीफ नहीं आई और फिर यह सभी लोग अपना कैरेक्टर अपनी स्क्रिप्ट पढ़ कर आए थे। सभी को मालूम था कि उनको क्या रोल करना है। या फिर इस तरीके से उनका ग्राफ लिखा गया है। ऐसा तो बिल्कुल नहीं होता ना फिर लिखा कुछ और हो और हम शूट कुछ और कर रहे हैं। हां, यह बात मैं जरूर मानते हैं कि कई बार एडिटिंग टेबल पर कुछ एक चीजों को थोड़ा बदलना और् बनाना पड़ता है, लेकिन वह सीरीज को बेहतर दिखाने के लिए या फिल्म को बेहतर दिखाने के लिए होता है।
यहां मुझे यह भी कहना पड़ेगा कि अगर कोई स्टोरी टेलिंग है जिसमें एक कैरेक्टर बहुत उभर कर देख रहा हूं। दूसरा नहीं दिख रहा हो तो वह भी गलत होता है। जैसा मैंने पहले भी कहा कि इस सीरीज के जरिए आपको वह सारी सुविधाएं मिल जाती हैं वह समय मिल जाता है जहां पर आप हर कैरेक्टर को न्याय दे सके। और जहां तक बात रही सीनियर एक्टर जैसे जूही या आयशा जुल्का की। तो मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई परेशानी हमें महसूस हुई या इसका सामना करना पड़ा।
अब अपने ही मुंह से अपने कलाकारों की क्या तारीफ करूं लेकिन इतना बता सकती हूं कि? जब भी इन दोनों लोगों की बात आती है तो आपने अभी तक इनको बड़ी क्यूट और बबली और हंसमुख से रोल को निभाते हुए देखा होगा लेकिन जब हश हश देखेंगे। तब आपको समझ में आएगा कि इससे अलग हटकर भी ये काम कर रही हैं और बड़ी बखूबी निभा सकती हैं।