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मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिल्मों में जाना है : नुसरत भरुचा

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रूना आशीष

, बुधवार, 25 सितम्बर 2019 (06:19 IST)
'मुझे मेरा ये सफर बहुत पसंद है। मैं किसी फिल्मी परिवार से ताल्लुक नहीं रखती हूं। ऐसे में मुझे फिल्में मिल रही हैं और उसमें अलग-अलग तरह की फिल्में मिल रही हैं। वैसे सच बात तो ये है कि 'प्यार का पंचनामा' भी मेरी फिल्म नहीं थी और न ही 'ड्रीमगर्ल' मेरी फिल्म है। अगर किसी दूसरी हीरोइन को ये फिल्म मिलती तो हो सकता था कि वो मना कर देती। अब फिल्म का नाम तो 'ड्रीमगर्ल' है लेकिन वो आप नहीं कोई और ही है। यहां मुझे लगता है कि कई बार भले ही फिल्म आप पर बनी न भी हो तो भी इतनी अच्छी होती है कि एक एक्टर को वो फिल्म कर लेनी चाहिए एक मजबूत कहानी की वजह से। वैसे भी ये फिल्म कोई न कई तो करता ही। तो मैंने कर ली।'


'ड्रीमगर्ल' में आयुष्मान खुराना के अपोजिट नजर आने वाली नुसरत को भले ही इस बात का इल्म हो कि ये फिल्म में लाइमलाइट पूरी आयुष्मान पर रहने वाली है लेकिन उनकी मौजूदगी दर्ज कराने में नुसरत कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।
'वेबदुनिया' से बात करते हुए नुसरत बताती हैं कि मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिल्मों में जाना है। एसएसडी जब आई, सो मैंने फिल्म कर ली। फिर 'पंचनामा' आई तो वो भी कर ली। अब ये फिल्म मेरे सामने आई तो ये कर ली। लेकिन एक बात है कि मैं इस बात पर खुश हूं कि मेरे काम को लोगों ने देखा है। शायद फिल्मी दुनिया ने मुझे चुना और किस्मत ने चाहा कि मेरा सफर ऐसे ही शुरू हो और अब यहां तक पहुंचे। एक बात की तसल्ली है कि लोग जब मुझसे काम का पूछेंगे तो सही।

'प्यार का पंचनामा 1' के बाद सफलता कार्तिक आर्यन को मिली, आपको इस बात का रंज है?
फिल्म में 3 तरीके होते हैं या तो आप किसी घटना का कारण होते हो या वो घटना आपके साथ होती है या किसी बड़ी घटना के अंत में खड़े मिलते हो। 'प्यार का पंचनामा 1' करने के समय हम तीनों महिला कलाकारों को मालूम था कि ये हमारी फिल्म नहीं है और हम इसमें एक घटना का कारण बनने वाले हैं। हम पर जोक्स बनेंगे और हर पंचनामा गर्ल्स बनकर रह जाने वाले हैं फिल्म के अंत में।

हर कलाकार जबसे जान लेता है कि फिल्म में मुद्दा क्या है और कौन है तो काम आसान हो जाता है और पंचनामा में हम तीनों मुद्दा नहीं थे। फिल्म के बाद दिव्येंदु को बहुत सराहना मिली लेकिन 'पंचनामा 2' में वो नहीं था और अब मिर्जापुर सीरीज से वो फिर मशहूर हो गया है। सफलता कहां और किसे आगे ले जाती है, इसे कोई नहीं पढ़ सकता।

क्या आप जानती हैं कि आपके गाने 'ढगाला लागली कळं' दादा कोंडके का द्विअर्थी गाना है?
हां, इसे शूट करते समय मुझे रितेश ने बताया था कि इसका एक और डबल मीनिंग भी है। मैंने उसे कह दिया था कि मुझे नहीं जानना और न ही सुनना है। जान लिया तो मेरे एक्सप्रेशन बदल जाएंगे, जो मैं नहीं चाहती हूं। मुझे ये गाना एक रेन डांस का तरह से याद है। हम दोस्त कितनी पार्टी पर इस गाने पर नाचे हैं और आज भी मुझे वही याद रखना है।

फिल्मों का चयन कैसे करती हैं?
मुझे जो भी फिल्म सुनने में अच्छी लगती है, सुनकर मैं बोर नहीं होऊं, क्योंकि अगर फिल्म की कहानी सुनकर मुझे मजा नहीं आए तो दर्शकों को क्या मजा आएगा? फिल्म आपको अपनी कुर्सी से बांधे रहे बस। जैसे 'ड्रीमगर्ल' में मुझे 1 घंटे का नरेशन दिया गया और नरेशन के 1 घंटे बाद मैंने हां कह दी। 'प्यार का पंचनामा' में भी मेरा रोल बहुत सही था। उसमें एक लड़की है, जो आपके साथ जिंदगी बिताने जा रही है तो आप बताइए आप क्यों उसके साथ घर के पर्दे खरीदने नहीं जा सकते। अगर मैं ये काम भी अपने पापा या मम्मी या भाई-बहन के साथ कर रही हूं तो क्यों मैं आपसे शादी करूं?
यानी मैं आपको क्रिकेट मैच देखने दूं और आपको बोलूं कि मैं घर की शॉपिंग के लिए अपनी दोस्त या सहेली के साथ जाती हूं तो फिर आप क्या कर रहे हैं? अगर कोई भी आम लड़की अपने होने वाले पति या कोई बॉयफ्रैंड है, उससे ये सब अपेक्षा कर रही है तो गलत नहीं है। कभी 'प्यार का पंचनामा' लड़की के एंगल से बनती तो लड़कियां सही लगतीं। इसलिए फिल्म करके मैं खुश थी वरना कुछ फिल्में मेरे पास आती हैं और मैं कहती हूं कि अच्छा बताती हूं या सोचकर जवाब देती हूं।

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