Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शर्त लगा सकती हूं कि आप मेरा चेहरा नहीं देखना चाहेंगे

Advertiesment
हमें फॉलो करें कंगना रनौट

रूना आशीष

मैंने हमेशा छोटे बजट की फिल्में की हैं या वे फिल्में की हैं, जो छोटी थीं लेकिन अच्छी थीं। हिट हो गईं तो बड़ी फिल्में बन गईं। लेकिन 'रंगून' बड़े बजट की फिल्म है। इसका कैनवास भी बड़ा है। ये कहना है 'रंगून' की मिस जूलिया यानी कंगना रनौट का जिनका कहना है कि 'रंगून' वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान 3 लोगों यानी उनकी, शाहिद और सैफ की जिंदगी पर बनी फिल्म है।
 
कंगना आगे बताती हैं कि इस फिल्म में कई बातों पर खास ध्यान दिया है, जैसे इसमें पहने गए कपड़े। हर मेन कैरैक्टर के कपड़ों पर अच्छा-खासा खर्चा हुआ है। इनके अलावा भी जो बाकी के कैरेक्टर हैं या बैकग्राउंड में जो महिलाएं हैं, युद्ध का दृश्य है या सैनिक हैं या उस समय के मुंबई की स्काईलाइन दिखाई गई है, 1920 के बर्मा की भी उस समय की स्काईलाइन दिखाई गई हैं- ये सब रीक्रिएट की गई हैं, तो ये फिल्म छोटा-मोटा काम नहीं था। ये बड़ी फिल्म है निर्देशक के लिए भी और अभिनेताओं के लिए भी।


 
वर्ल्ड वॉर 2 को इस फिल्म में कैसे दिखाया गया है? 
यह वर्ल्ड वॉर 2 पर बनी फिल्म है। उस लड़ाई को दिखाया गया है। अच्छा है कि हमने कोई वॉर नहीं देखा लेकिन ये उसकी पृष्ठभूमि है। फिल्म तो मेरे, शाहिद और सैफ के इर्द-गिर्द बनी है।
 
आप अपनी सफलता और विफलता के बीच कैसे तालमेल बनाती हैं?
मुझे लगता है कि मैं बहुत ही अच्छे से हैंडल कर लेती हूं दोनों। कुछ लोग शायद असफलता को अच्छे से नहीं संभाल पाते हैं। कभी वे असफल हो जाएं तो उनका ईगो इतना हर्ट हो जाता है कि हम कैसे असफल हो गए? अब देखिए, मेरी फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' आई, जो हिट हो गई और बाद में फिर 'कट्टी-बट्टी' आई, जो असफल हो गई, तो दोनों में मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा। और अगर मैं कह रही हूं कि फर्क नहीं पड़ा तो सच में नहीं पड़ा है। अगर पड़ता तो मैं बताती। मुझे बिलकुल नहीं लगता कि मैं कैसे...। अरे भई जैसे सब असफल हुए, वैसे आप भी असफल हो गए। तो मेरा लाइफ को लेकर जो नजरिया है और खुद को ज्यादा सीरियसली नहीं लेना, वो सबसे बेस्ट है। सक्सेसफुल हो गई फिल्म, तो लगता है अच्छा सफल हो गई फिल्म लेकिन इतनी ज्यादा... तो अचंभा होता है। कभी कोई फिल्म सोच से भी ज्यादा आगे चली गई और हिट हो गई तो लगता है कि अच्छा ये भी इतनी हिट हो गई।  मैं अपनी जिंदगी में समता बनाए रखती हूं, तो कभी गुस्सा नहीं आता। नहीं तो हम सभी को गुस्सा आता है। हम कभी-कभी तो गुस्से में पागल भी हो जाते हैं और कभी मैं गुस्से में पागल हो गई तो शर्त लगा सकती हूं कि आप मेरा चेहरा भी देखना नहीं चाहेंगे।
 
नेशनल अवॉर्ड जब मिलता है तो आप हमारे देश के पहले नागरिक यानी राष्ट्रपति से रूबरू मिलती हैं, तब कैसा महसूस करती हैं आप? 
बहुत अच्छा लगता है। वैसे भी जिस तरह के बैकग्राउंड से मैं आती हूं, उन लोगों के लिए यह बहुत मायने रखता है। मां-बाप भी आते हैं ऐसे समय आपके साथ में। उनके चेहरे पर गर्व देखने को मिलता है। वैसे भी हर बच्चे का सपना होता है कि हमारे मां-बाप हम पर गर्व कर सकें। मेरे मां-बाप को तो हिट-फ्लॉप का भी पता नहीं चलता है। उनको तो सारी फिल्में इतनी अच्छी लगती हैं कि कभी कोई फिल्म भी आ जाए तो हिट-फ्लॉप का पता नहीं चलता है। 'कट्टी-बट्टी' भी आई तो ये नहीं कहेंगे कि फिल्म अच्छी है या नहीं? वे कहते हैं कि फिल्म अच्छी हिट है। उन्होंने मेरी फिल्म पहले ही हिट कर दी होती है। 
 
जब अवॉर्ड मिलते हैं तो क्या करते हैं वे लोग?
जब कभी वे लोग किसी अवॉर्ड समारोह में जाते हैं तो उन्हें बड़ा अच्छा लगता है तथा यह उनके चेहरे पर ही दिख जाता है। वे घर पर नेशनल अवॉर्ड लेकर जाते हैं। वे घर पर हर जुड़ी हुई चीज लेकर चले जाते हैं। वे जो पासेस मिलते हैं या पिन या रिबिन्स मिलती हैं, वे सब घर ले जाते हैं। मैं तो पूछती भी हूं कि क्या करोगे तुम लोग इन सबका? लेकिन वे नहीं मानते और लेकर चले जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पूर्णा की खास स्क्रीनिंग