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अजय देवगन को अब अंकल नहीं कह सकता हूं: कुणाल खेमू

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रूना आशीष

कुणाल खेमू का हाल ही में पापा बनना और गोलमाल अगेन का सुपरहिट होना उनके लिए एक साथ दो-दो लॉटरी लगने जैसा है। उनसे बात कर रही हैं 'वेबदुनिया' संवाददाता रूना आशीष।
 
फिल्म 'गोलमाल अगेन' में भूतों की बातें हो रही हैं। आपको भूतों पर विश्वास है?
हां है। हम काफी बार मुकेश मिल में शूट करते हैं तो कहते हैं कि वहां भूत होते हैं। फिर वसई फोर्ट के बारे में भी कहते हैं कि वहां सिर्फ दिन में ही शूट होता है, रात में वहां भूतों के किस्से सुने हैं। फिर एक ट्रेन के बारे में भी कहते हैं कि रात को उस ट्रेन में भायंदर से कोई शख्स चढ़ता है और वो नयगांव क्रीक में कूद जाता है। ये कई कहानियां सुनी हैं मैंने।
 
'गोलमाल अगेन' आपकी पेंशन प्लान का हिस्सा है?
हंसते हुए, हम सबकी पेंशन प्लान का हिस्सा है। हम कोई भी गड़बड़ कर लें, हम हर दो ढाई साल में एक तो 'गोलमाल' कर ही लेंगे। मैं तीसरी 'गोलमाल' से फिल्म के साथ जुड़ा हूं। अष्टविनायक के साथ मैंने पहले भी फिल्में की थीं। तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि इसमें हम एक ही नया कैरेक्टर ला रहे हैं और हम चाहते हैं कि वो आप करें। मैं तो सोचने लगा कि वैसे ही इतने सारे कैरेक्टर्स हैं इसमें, तो मैं अकेले क्या कर लूंगा? मैं जब मीटिंग लिए भी पहुंचा तो मुझे इतना आश्चर्य हुआ कि वो तो मीटिंग नहीं बल्कि नरेशन था।
 
कैसा रहा तीसरी और चौथी 'गोलमाल' का सफर?
लेखक साजिद फरहाद ने ऐसी कहानी सुनाई कि मैं तो खुश हो गया था कि कैसे इतने सारे कैरेक्टर्स के बीच में मुझे भी सही जगह मिली। ये सिर्फ गोपाल की ही कहानी चल रही है, ऐसा नहीं था कि फिर बीच में से कहीं लकी भी आ जाए। वो इन पांचों लोगों की कहानी थी। जब मुझे कहानी सुनने में इतना मजा आया तो मुझे शूट करने में कितना मजा आया होगा? आप बस सोचकर देखिए। तो जब बात हुई कि 'गोलमाल 4' बननी है तो हमने कहा तो बनाओ। वैसे भी नरेशन सुनना तो बहाना था। हमें तो फिर से एकसाथ मिलना था। वैसे भी रोहित पर इतना भरोसा है।
 
सेट का माहौल कैसा था?
सब कहते हैं कि फलां फिल्म में सेट पर एक हैप्पी फैमिली जैसा माहौल था। लेकिन सच में ऐसा हुआ है इस फिल्म के साथ। हम तो एकसाथ शूट करने की बात को लेकर ही बड़े एक्साइटेड थे। शूट के दौरान हम एकसाथ ही बैठते थे। कोई वैनिटी में नहीं जाता था। वरना दो शॉटों के बीच की सेटिंग के दौरान कुछ घंटे भी लग सकते हैं। कभी कोई मस्ती होती थी। खाना साथ में खा रहे हैं और हैदराबाद की शूटिंग के बाद जब हम लोग पैकअप कर लेते तो सब लोग मिलकर वर्कआउट करते थे। कभी वॉलीबॉल खेलते। हमारी यूनिट कम से कम 350 लोगों की तो होती है। जब फिल्म खत्म होती है तो खुशी होती है कि चलो अब देखें कि कैसी फिल्म बनकर आई है। लेकिन थोड़ा दुख भी होता है कि अब अलग हो जाएंगे। इसीलिए सब इंतजार कर रहे थे कि कब नई 'गोलमाल' शुरू होगी।
 
कहते हैं घर में बेटी आई है यानी लक्ष्मी आई है?
मैं बहुत खुश हूं कि घर में एक बच्चा आया है। वो मेरी प्यारी बेटी है और वो बहुत स्वस्थ है। मेरे लिए इतना ही काफी है। मैं कभी किसी रिश्ते पर बोझ या दबाव नहीं डालता कि वो आई है तो किस्मत खुलने वाली है। मेरा बच्चा मेरे सरआंखों पर है।
 
आपने 'जख्म' जैसी फिल्म में अजय देवगन के बचपन का रोल किया था और अब सह-कलाकार हैं उनके?
बड़ी ऑकवर्ड की स्थिति हो जाती है मेरे साथ। मैं जब इन लोगों से पहले मिला था तो बहुत अजीब भी लगा था। बचपन में जब इनके साथ काम किया था तो मैं 'अंकल' कहता था, जैसे 'अजय अंकल' लेकिन अब तो 'अंकल' नहीं कह सकता हूं ना! उनके लिए भी यही बात हुई कि अब इसको क्या बोलूं? लेकिन वो सिर्फ शुरुआती दौर था। बाद में सब ठीक हो गया था।

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