लोमड़ फिल्म अपने आप में अनोखी इसलिए है कि यह रंगीन फिल्म के दौर में ब्लेक एंड व्हाइट फिल्म है। साथ ही यह सिंगल शॉट में शूट की गई है। इसे बनाया है हेमवंत तिवारी ने। इस फिल्म को कुछ फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया है जहां पर इसे खूब तारीफ मिली। हेमवंत अब इसे सिनेमाघरों में रिलीज करना चाहते हैं। ओटीटी पर भी कोशिश कर रहे हैं। ये ताज्जुब की बात है कि अनोखी फिल्म होने के बावजूद फिल्म को रिलीज करने में हेमवंत को परेशानी हो रही है जो दर्शाता है कि नए और युवा फिल्मकारों को किस तरह से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
हेमवंत कहते हैं- 'ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी अब बदल गए हैं। बड़े बजट की फिल्म, बड़े चेहरे वाली फिल्मों को वे तवज्जो देते हैं। लॉकडाउन के पहले परिस्थिति दूसरी थी। लॉकडाउन के दौरान कई बड़े बैनर्स और सितारों ने अपनी फिल्में रिलीज की और इसके बाद ओटीटी वालों का नजरिया ही बदल गया। मेरी फिल्म के बारे में उनका कहना है कि आप हमें आइडिया दे दो। हम इस पर बड़े सितारों के साथ फिल्म बना लेंगे। मैं कैसे अपना आइडिया किसी और को दे दूं? ये तो मेरी टीम के साथ अन्याय होगा।'
आखिर वन शॉट फिल्म बनाने का आइडिया कैसे आया? इस बारे में जब हेमवंत से पूछा गया तो उन्होंने कहा- 'मैं एक लोकेशन फिल्म का दीवाना हूं। वन शॉट फिल्में भी मुझे आकर्षित करती है। वन शॉट फिल्मों में अक्सर ठोस कहानी की कमी होती है, लेकिन 'लोमड़' की कहानी इतनी अच्छी है सभी इसे पसंद करेंगे।'
लोमड़ नाम क्यों रखा? 'लोमड़ को धूर्त और चालाक माना जाता है। हर इंसान के अंदर लोमड़ रहता है। इस बात को फोकस करते हुए फिल्म का नाम लोमड़ रखा गया है।' हेमवंत बताते हैं।
हेमवंत आर्मी बैकग्राउंड से हैं। क्या यह बात उनके काम आई? 'बहुत काम आई। मुझे मेरे पिता ने हमेशा अनुशासित रखा। यह बात हमेशा मेरी जिंदगी में काम आई है। यदि आप अनुशासित होते हैं तो काम बहुत आसानी से हो जाता है। फिल्म इंडस्ट्री और अनुशासन में 36 का आंकड़ा है। मैं चाहता हूं कि यह इंडस्ट्री भी अनुशासित होकर काम करे। लोमड़ फिल्म आप देखेंगे तो इसमें अनुशासन आपको नजर आएगा और मैं खुश हूं कि मेरी पूरी यूनिट ने अनुशासित होकर काम किया है।