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फिल्म 'जुग जुग जीयो' में अपने किरदार गुरप्रीत के बारे में मनीष पॉल ने कही यह बात

हमें फॉलो करें फिल्म 'जुग जुग जीयो' में अपने किरदार गुरप्रीत के बारे में मनीष पॉल ने कही यह बात

रूना आशीष

, गुरुवार, 23 जून 2022 (15:54 IST)
लोग जानते हैं कि मैं जो रोल करता हूं और उसमें पूरे मजे ले कर डूब जाता हूं। गुरप्रीत की किरदार कि मैं बात बताता हूं, इसकी लिखावट बहुत अच्छी है तो मुझे बड़ा मजा आया यह रोल करने में और चाहे वह इमोशनल सीन हो, चाहे वह फनी सीन हो। अगर उसके लिखावट अच्छी हो और लिखा बहुत अच्छे तरीके से गया हो तो एक-एक सीन में जान आ जाती है। जब मैंने अपना रोल पढ़ा तो मुझे लगा कि मैं कुछ तो मजेदार करने वाला हूं और ऐसे में फिर कई सीन वरुण के साथ है। 

 
मेरी और वरुण की टाइमिंग बहुत कमाल की है। इसलिए यह किरदार निभाने में मुझे बड़ा मजा आया। साथ ही गुरप्रीत की एक और मैं बात बताता हूं। मेरे निर्देशक को मालूम है कि मैं कई बार ऑन द स्पॉट या इंप्रॉन्प्टू बातें जोड़ देता हूं। राज ने मुझे पूरी इजाजत दे दी और कहां बेटा तू खेल ले रोल में। इस बात पर तो मैंने भी राज को कह दिया कि भाई अब तुमने मेरे हाथ में बल्ला दे दिया। मैं बैटिंग करने वाला हूं, बस बीच में रोकना मत। यह कहना है मनीष पॉल का जो फिल्म 'जुग जुग जियो' में गुरप्रीत के रोल में नजर आने वाले हैं। 
 
अपनी फिल्म के प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान वेबदुनिया की बात का जवाब देते हुए मनीष ने बताया कि मैं असल जिंदगी में भी ऐसा ही हूं। बड़ा मस्ती करता रहता हूं। हंसता रहता हूं कि घर में हमेशा ही माहौल रहा है कि जिंदगी में हर चीज को सीरियस नहीं लिया जा सकता है, लेकिन हर परिवार में कभी उतार-चढ़ाव आते हैं। पैसे को लेकर आते हैं, कभी रिश्ते को लेकर आते हैं। कभी कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, लेकिन उससे आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी है कि आप उस बात को वहीं छोड़ दें और फिर जिंदगी जीना शुरु कर दे। 
 
मेरे घरवालों ने मुझे यही सिखाया है। हालांकि मेरे साथ यह भी है कि मैं कई बार ऐसी सिचुएशन पर भी हंस पढ़ता हूं जहां मुझे नहीं हंसना चाहिए। मिसाल के तौर पर मेरा कभी कोई दोस्त आता है और अपनी दिल की कोई बात मुझे बता रहा होता तो मैं उससे एक कान से सुन रहा हूं लेकिन दिमाग में चल रहा होता है कि मैं उसको तो कैसे पंच बना सकता हूं। मैं अपने काम में कैसे बात को इस्तेमाल कर सकता हूं। वह तो भगवान का भला है कि यह बात मेरे दिमाग से कभी बाहर नहीं निकलती। थोड़ी दिन बाद जब मेरे दोस्त उस सिचुएशन से आगे बढ़ चुके होते हैं और मैं अपनी बातें शेयर करता हूं तब मेरे दोस्त भी मुझे कहते कि हां तो सही सोच रहा था उस समय। तो ऐसा भी होता है मेरे साथ। 
 
आप एक एक्टर होने के पहले एक एंकर है क्या यह चीज आपको फिल्म में मदद करती है? 
बिल्कुल करती है। मुझे मालूम होता है कि मुझे किसी डायलॉग को किस तरीके से बोलना और किस लाइन पर पंच मारना है उसका फायदा मुझे बहुत होता है और दूसरा यह भी फायदा होता है कि मैं इन कलाकारों को पहले से जानता हूं। कितने सारे अवॉर्ड शो मैं अनिल कपूर जी के साथ काम कर चुका हूं या उनसे मैं मिल चुका हूं या किसी रियलिटी शो में यह लोग आए हैं तो मैं उनसे अलग से बात कर चुका हूं तो फायदा तो होता ही है। 
 
साथ ही मैंने यह भी अंतर महसूस किया कि जब आप बतौर होस्ट मिलते हैं तब इन कलाकारों के साथ आपकी दोस्ती अलग होती है। लेकिन जब आप उनके साथ काम कर रहे होते हैं तब आपकी रैपो कुछ अलग हो जाती है। मिसाल के तौर पर जैसे अनिल कपूर जी के साथ में कोई सीन कर रहा हूं तो आएंगे और कहेंगे अब इस सीन में इस बात का ध्यान रखें या फिर इसे इस तरीके से बोले तो बड़ा मजा आएगा बड़े बैनर की फिल्म है खूब जमकर काम कर। उन्हें क्या जरूरत है, मुझे मदद करने की या मेरा सीन अच्छा जाए इसके लिए कोई टिप्स देकर जाने की। लेकिन उन्होंने मेरे साथ ऐसा किया। 
 
वहीं वरुण के साथ मैं काम कर रहा था तो मजा आ गया कि वह शख्स बिल्कुल भी इनसिक्योर नहीं है। वरना मैं कई ऐसे कलाकारों को जानता हूं जो फिल्म में छा जाना चाहते हैं। यह सीन मेरे नाम का हो जाइए सोच कर के सीन करते हैं। सीन में कुल पांच पंच है तो धीरे से जाकर निर्देशक निर्माता को बोलेंगे कि ऐसा करो दो पंच मुझे दे दो। वरुण का ऐसा नहीं है वह आता है और खुलकर बोलता है पाजी अपने आपको रोक क्यों रहे हो? खेलो ना यह सीन आपका है और आपका ही रहेगा या फिर कभी कोई पंच उसे दे दिया गया तो वह आकर बोलता है कि देखो यह पंच तो बहुत अच्छा है, लेकिन यह मेरे किरदार के लिए फिट नहीं बैठता। ऐसा करो यह मनीष को दे दो। 
 
जब आप ऐसे लोगों के साथ काम करते हैं तो अलग मजा आता है और मैंने देखा चाहे वह नीतू जी हो या अनिल जी या कियारा या वरुण की प्राजक्ता हो किसी ने अपने लिए तो सिर्फ खुद के लिए काम नहीं किया है। हर किसी ने इस फिल्म की बेहतरी के लिए काम किया है और जब ऐसे साथ में मिल जाए तो मजा आ जाता है। 
 
हाल ही में अनिल कपूर एक रियलिटी शो में गए थे जहां पर एक बच्चा गा रहा था। उसे गाता और देख अनिल कपूर जी बहुत इमोशनल हो गए थे और मैंने शायद पहली बार अनिल जी को इस तरीके से इमोशल देखा था क्या अनिल बदल गए हैं या वह अपनी बातें अब लोगों के सामने खुले तौर पर रखने लगे हैं। 
वो बहुत इमोशनल है। अभी हाल ही में मैं एक अवॉर्ड शो कर रहा था। उन्हें वहां पर अवॉर्ड मिला था। उन्हें एक या दो लाइन कही और मैं समझ गया कि वो बहुत ज्यादा इमोशनल हो चुके हैं। उनकी आवाज में और उनकी बातों में वह फर्क नजर आ रहा था। यही होता यह है जब आप जब इतने सारे समय तक काम करते हैं और आपसे उसी में सफर को जीते हैं तब आप इमोशन हो जाते हैं। 
 
अनिल जी बोल रहे थे कि मैं 40 45 साल से इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं और मैं हर एक्टर को यही बात बताना चाहता हूं कि जितना दोगे उतना मिलेगा यानी मेहनत करो और मेहनत का फल जरूर मिलेगा। हाल ही में एक बार मैं और अनिल जी साथ में बैठे थे। तब वह मुझे अपनी पहेली फिल्म की बात बता रहे थे। इसमें नवीन निश्चल जी मैं लीड में थे और वो खुद तीसरे हीरो बन कर आए थे। वह पीछे कहीं डांस कर रहे थे। मैंने अनिल जी को एक बात कही कि आप अभी भी ऐसे ही नाचते हो आप सिर्फ सोच इस बारे में कि कैसे एक व्यक्ति 40-45 साल से इस इंडस्ट्री में काम कर रहा है। रोज शूट करने के लिए सेट पर आता है और उतनी ही हिम्मत के साथ आता है तो कुछ तो बात रही होगी उनमें। 
 
अब मेरी ही बात में बताऊं, अनिल जी की सारी बातें सुनने के बाद मेरे दिमाग में क्या आया कि मैं वह लड़का हूं जो दिल्ली के मालवीय नगर में रहता था। आज जिन कलाकारों को मैं देख रहा हूं या जिन लोगों के साथ स्टेज नहीं बल्कि स्क्रीन शेयर कर रहा हूं। यह वह कलाकार हैं जिन्हें की फिल्म देखने के लिए मैं कभी लाइनों में खड़ा रहता था ताकि टिकट मिल जाए। कभी-कभी तो ब्लैक में टिकट खरीद कर इनकी फिल्में देखा करता था। और आज मैं इनके साथ हूं। अपने आप को चिकोटि काटता हूं और सोचता हूं कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा और फिर भगवान को धन्यवाद करता हूं कि तूने मुझे कहां से कहां पहुंचा दिया? 
 
आप कई सालों से इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। कहां से लाते हैं यह एनर्जी? 
मुझे मेरा काम बहुत पसंद है। मैं अपने काम को बहुत ज्यादा प्यार करता हूं। आप मुझे वर्कहॉलिक भी कह सकती हैं। दो शूट के बीच का गैप हो या शूटिंग नहीं हो और फिर मैं घर पर बैठा हूं तो समझ में आता है लेकिन अपने काम को पीछे छोड़ दूं और फिर मैं छुट्टी करूं मुझे वह समझ में ही नहीं आता है। कई बार घर वाले भी बोलते हैं। लेकिन फिर मैं समझाता हूं सबको कि काम है तो सब कुछ है। यह सब कहने के बावजूद भी मैं अपने घर में अपने पत्नी और अपने बच्चों ज्यादा कभी मिस नहीं करता। इस बार जरूर ऐसा हुआ कि मैं अपने बच्चे का बर्थडे मिस कर गया। फिर मैंने उसे समझाया कि इस वजह से नहीं आ पाऊंगा और वह भी अच्छे से समझ गया। 
 
हाल फिलहाल तो अभी जो मैंने हुलिया बना रखा है, उसमें मैंने अपनी मूंछे बढ़ा रखी है तो मेरे बच्चों को यह मूंछे मेरे चेहरे पर पसंद नहीं आ रही है। उन्होंने पूछा, क्यों मूंछे बढ़ा ली है तो मैंने बताया कि यह मेरा नहीं मेरे कैरेक्टर का चेहरा है। फिर वह मान गए और बोले कि पर बाद में तो काट लोगे। इस पर मैंने अपने बच्चों को बोला कि ट्रिमर तुम्हें दे दूंगा तुम्ही काट देना तो वह अभी इस बात को लेकर खुश हैं कि हम पापा की शेव करके उनकी मूछें खुद काटने वाले हैं। यह सब देखने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि जब आपके इमोशंस सही जगह पर बैठे हो तो सब सही होता है और आप काम करते रहते हैं। जिंदगी सुकून से चलती रहती है।
 

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