sawan somwar

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

रॉय हर दर्शक देखना चाहेगा : विक्रमजीत सिंह

Advertiesment
हमें फॉलो करें रॉय
फिल्म 'रॉय' के लेखक व निर्देशक विक्रमजीत सिंह से खास बातचीत :  
 
आपके बारे में बताइए।
बचपन से ही फिल्म देखने और फिल्मों में ही कुछ करने की तमन्ना रही है, लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं पहले अपनी पढ़ाई पूरी करूं, उसके बाद फिल्मों में करियर बनाने को लेकर कोई निर्णय लूं। पिता के आदेश का पालन करते हुए पढ़ाई करने के लिए मैं अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर गया। वहां पर मैंने 4 साल तक बिजनेस मैंनेजमेंट की पढ़ाई की, फिर 2 साल तक अमेरिका में ही नौकरी की। उसके बाद फिल्मों का चाव मुझे वापस मुंबई खींच लाया। मेरे इस कदम से मेरे पिता भी मुझसे नाराज हुए। काफी मेहनत, मशक्कत व संघर्ष के बाद अब मेरी पहली फिल्म 'रॉय' दर्शकों के सामने आने जा रही है।
 
फिल्म 'रॉय' का कॉन्सेप्ट क्या है?
यह कहानी दो निर्देशकों कबीर और आयशा की है। कबीर के चरित्र में अर्जुन रामपाल, आयशा के चरित्र में जैकलीन हैं जबकि रॉय एक चोर है। रॉय के चरित्र में रणबीर कपूर हैं। 
विक्रमजीत सिंह, भूषण कुमार और रणबीर कपूर
क्या ऐसी बाते हैं जिनके कारण 'रॉय' दर्शकों को पसंद आएगी?
इस वक्त पूरी कहानी बताकर मैं दर्शकों का फिल्म देखने का मजा किरकिरा नहीं करना चाहता। पर मेरा यकीन कहता है कि फिल्म 'रॉय' की कहानी ऐसी है जिसे हर दर्शक देखना चाहेगा। हर फिल्मकार के कहानी कहने का तरीका अलग होता है। इसी तरह मेरी फिल्म की कहानी रॉय और कबीर नामक दो इंसानों की है। रॉय और कबीर का रिश्ता क्या है? वे किस तरह से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं? यही कहानी ट्विस्ट है। इस कहानी के पीछे एक फिलॉसॉफी यह है कि हर इंसान में दो- तीन आवाजें छिपी होती हैं। आपके अंदर भी, मेरे अंदर भी। इस फिल्म में भी एक ही इंसान की दो आवाजें हैं- एक कबीर और एक रॉय। इसके अलावा मैंने अपनी फिल्म को मलेशिया की खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माया है, इसके भी दर्शकों को नया फील मिलेगा।
 
आप फिल्म 'रॉय' को वियतनाम में फिल्माना चाहते थे?
जी हां! वियतनाम में घने जंगल हैं। वहां के समुद्री बीच बहुत अलग हैं। वहां की प्राकृतिक छटा बहुत अलग है, पर तमाम लोगों को यह बात बहुत अजीब-सी लगी। अंत में मैंने इस फिल्म को मलेशिया में फिल्माने की सोची। लोगों की राय थी कि वियतनाम ऐसी जगह है, जहां हर कोई नहीं जा सकता। हमारी फिल्म में जैकलीन और अर्जुन के पात्रों की मुलाकात जिस माहौल में होती है, वह माहौल मुझे वियतनाम में ज्यादा अच्छा नजर आ रहा था। खैर, अब हमारी फिल्म में, फिल्म बनाने के लिए दोनों मलेशिया पहुंचते हैं। जैकलीन के पास कहानी है। अर्जुन के पास कहानी नहीं है। दोनों एक-दूसरे के पूरक बनकर फिल्म शुरू करते हैं। उनके बीच किस तरह की जिंदगी बीतती है, वे क्या लम्हें होते हैं, वह फिल्म में देखिएगा।
 
अर्जुन रामपाल व रणबीर कपूर को फिल्म में लेने की वजह? 
'बर्फी' देखकर मैं रणबीर कपूर से काफी प्रभावित हुआ था। 'बर्फी' में जिस तरह गूंगे का किरदार उसने निभाया, वह हर कलाकार नहीं निभा सकता। जब मैंने स्क्रिप्ट पूरी लिख ली, तब मुझे अहसास हुआ कि हमारी फिल्म में रणबीर कपूर जैसा कलाकार चाहिए। मैंने उसके पास अपनी स्क्रिप्ट भेजी। स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद रणबीर कपूर ने खुद फोन करके कहा कि वह 'रॉय' का किरदार निभाना चाहेगा। मुझे आश्चर्य भी हुआ, क्योंकि हमारी फिल्म में रॉय लीड किरदार नहीं है, पर यह कुछ अलग तरह का किरदार है। उसके इस निर्णय से मुझे अहसास हुआ कि उसे चरित्रों की कितनी अच्छी समझ है। फिर मैंने कबीर के किरदार के बारे में सोचना शुरू किया। मैंने अर्जुन रामपाल का काम 'रॉक ऑन' और 'राजनीति' में देखा हुआ था, तो मुझे लगा कि मेरी फिल्म में इस तरह के कलाकार का होना बहुत जरूरी है। मैंने अर्जुन से संपर्क किया। उसने भी तुरंत हां कर दी। जैकलीन की मैंने कोई फिल्म नहीं देखी, लेकिन मैंने जैकलीन के साथ एक बार 3-4 कप कॉफी पी थी। उस दौरान उनका व्यक्तित्व पसंद आया था तो मैंने उनसे संपर्क किया। मैंने कहा कि मैं तुम्हारी फिल्म नहीं देखना चाहता। जब आप मेरे सेट पर आएंगी तो अब तक जो काम किया है, वह भूलकर आएंगी। हम नए सिरे से इस फिल्म में काम करेंगे। 
 
फिल्म के संगीत को लेकर क्या कहेंगे?
फिल्म की कहानी के मूड के अनुरूप इसमें 5 गाने हैं। फिल्म के निर्माता भूषण कुमारजी ने मुझे 50 चुनिंदा गाने सुनाए, उसमें से मैंने 5 गाने चुने। मुझे अपनी फिल्म का गीत 'सूरज डूबा...' सबसे ज्यादा पसंद है।
 
आपको फिल्में देखने का बेहद शौक रहा है तो मनपसंद निर्देशक कौन हैं?
राकेश ओमप्रकाश मेहरा, फरहान अख्तर, दिबाकर बनर्जी। पर 'रॉय' में मैंने किसी निर्देशक की नकल नहीं की। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi