'तैमूर को अपने आप को कैमरा में देखना बहुत पसंद है। शायद ये उनके ख़ून में है। वह कैमरा पर पोज और लुक्स भी देते हैं। मुझसे पूछेंगे तो मैं ये कह सकता हूं कि तैमूर तो स्टार है। मैंने हाल ही में अपनी फिल्म शेफ का प्रमोशन किया था और उस दौरान करीना और तैमूर मेरे साथ थे। करीना कहने लगी कि प्रमोशन में तैमूर को कैमरा के सामने बैठा दो, फिर किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ेगी।" इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर लोगों की पसंद बन कर उभरने वाले तैमूर को ले कर जब भी सैफ से बातें करो तो अच्छे पापा की तरह वो बातें बताते जाते हैं।
वेबदुनिया संवाददाता रूना आशीष ने सैफ और उनके लिए पैरेंटहुड क्या है ये जानने की कोशिश की। सैफ आगे बताते हैं कि "तैमूर बहुत लकी है जो उनके जन्म से ही वो बड़े-बड़े होटल में घूम रहे हैं, लेकिन उन्हें समझना होगा कि किसी भी मकाम पर पहुंचने में उनके पापा और मम्मा ने बहुत मेहनत की है। हमारे भी पैरेंट्स ने हमें बहुत सारे संस्कार दिए हैं। वे बहुत कड़क मिजाज नहीं थे, लेकिन हमें भी कई चीजें करना मना होती थीं। वैसे तैमूर को सही बनाए रखने में तो मीडिया भी एक बड़ा रोल निभाने वाली है क्योंकि कैमूर को बड़ा होने के बाद समझना होगा कि अगर वो पब्लिक प्लेस पर हैं तो किस तरह पेश आना होगा या फिर कैसे बातें कहनी होंगी वरना उसकी बहुत बुराई हो सकती है।"
'आप तो हाल ही में मामा भी बने हैं। सोहा ने एक खूबसूरत बेटी को जन्म दिया है।' यह सुनते ही सैफ कहते हैं, 'हां, मैं जन्म के अगले ही दिन मिलने भी गया था। उनकी बेटी बहुत छोटी हैं। छोटे छोटे हाथ पांव हैं। जब मैं उससे मिला तो मुझे हाथ लगाने मे डर लग रहा था। नवजात बच्चों को इन्फेक्शन जल्दी हो जाता है। एक बार अब्राहम को हो गया था, जब उनका जन्म हुआ था। मेरा मानना है कि बच्चे कुछ महीने के हो जाए तब उनके साथ खेलना चाहिए। तब तक दूर रहो। गोदी में मत लो उनको।'
'आपकी बेटी सारा जल्द ही पर्दे पर होंगी, वहीं तैमूर अभी छोटे हैं, यानी पैरेंटहुड का दायरा बहुत बड़ा है आपके लिए?' पूछने पर सैफ कहते हैं 'नहीं, मेरे हिसाब से सब कुछ सारा निर्धारित कर रही हैं। बचपन में सारा बहुत खूबरबरत और क्यूट बच्ची थीं। मैं सोचता रहता हूं कि जब सारा, तैमूर की उम्र की थीं तो क्या करती थीं या फिर इब्राहिम की उम्र की हुईं तो क्या किया और अब क्या कर रही है।'
पैरेंटहुड कभी थकाता है? 'अगर मुझे कोई मदद ना मिले तो मैं तो पागल हो जाऊंगा। मेरे विदेश में रहने वाले कई दोस्त आया नहीं रख सकते हैं। वहां बहुत महंगा है। एक सलीम मियां हैं, वे तो सब अकेले करते हैं। उनकी पत्नी ही बच्चों को तैयार करती हैं। नहला-धुला कर स्कूल छोड़ना। फिर खाना बनाना। फिर बच्चों को वापस घर लाना। पूरा दिन इसी में बीत जाता है। मुझे भी कभी मदद ना मिलती तो एक्टिंग छोड़ देनी पड़ती। एक बार तैमूर अपनी कुर्सी से गिर गए थे तो हमें ध्यान रखना पड़ा। फिर जब वह एक जगह से दूसरी जगह गुलाटी मारते थे तो और भी ध्यान देना पड़ता था। मुझे तो समझ नहीं आता कि कैसे लोग ये सब कर लेते हैं। नौकरी भी करते हैं और बच्चे भी पालते हैं। मुझे तो लगता है पैरेंटहुड इस दुनिया का सबसे कठिन काम है।