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अहान शेट्टी ने तड़प, पिता सुनील शेट्टी तथा अपने एक्टिंग करियर के बारे में वेबदुनिया को बताया इस Exclusive Interview में

हमें फॉलो करें अहान शेट्टी ने तड़प, पिता सुनील शेट्टी तथा अपने एक्टिंग करियर के बारे में वेबदुनिया को बताया इस Exclusive Interview में

रूना आशीष

, शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021 (12:52 IST)
मुझे मेरे पापा और मम्मी ने बहुत कुछ सिखाया है। मैं बिल्कुल भी इस बात को किसी प्रश्न या तनाव की तरह नहीं लेता हूं कि मैं सुनील शेट्टी का बेटा हूं। मुझे बहुत अच्छा लगता है कि हां हूं, मैं अपने पापा का बेटा। पापा को जब मैंने बताया था कि मुझे फिल्म इंडस्ट्री में काम करना और एक्टर बनना है। तब उन्होंने मुझे एक ही बात कही थी कि देखो बेटा तुम बहुत अच्छे एक्टर नहीं भी कहलाओगे, तो चल जाएगा, लेकिन एक अच्छा इंसान जरूर बन कर दिखाना। 

 
वह बात हमेशा मेरे जेहन में रहती है। मैं मेरी मां की बात कहूं तो वह एक ऐसी शख्स है जो बॉलीवुड के बारे में कुछ भी नहीं जानती हैं। हां, वह सुनील शेट्टी की पत्नी है, लेकिन हम हमेशा मुंबई में एक ऐसे हिस्से में रहे हैं जहां पर फिल्मस्टार कम रहते थे। आमतौर पर स्टार्स, जुहू या बांद्रा इलाके में रहते हैं और मैं मुंबई के टाउन इलाके में रहता था। कोई बहुत बॉलीवुड पार्टी मैंने अटेंड नहीं की। मां को जब मालूम पड़ा कि मुझे एक्टिंग करनी है तब उन्होंने जितना मेरी मदद कर सकती थी, वह करती आई है और अभी भी करती है। यह कहना है अहान शेट्टी का जो कि जाने-माने एक्शन हीरो सुनील शेट्टी के बेटे हैं। अहान तड़प के जरिए अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रहे हैं।
 
पत्रकारों से बातचीत करते हुए आहान ने बताया कि मैंने अपनी मां से बहुत कुछ सीखा है, सच यह है कि मैं अपनी मां की ही कॉपी हूं। हालांकि जब कोई यह कहता है कि तुम अपने पापा जैसे दिखते हो तो मेरी मां बड़ी रूठ जाती हैं। वह बोलती है मेरा बेटा मेरे जैसा दिखता है ऐसा कोई क्यों नहीं कहता। मेरी मां से मैंने सब्र रखना सीखा है। शांत रहना सीखा है। हर बात को तरीके से देखना सोचा परखना सीखा है जबकि मेरे पापा और मेरी बड़ी बहन बिल्कुल भी ऐसे नहीं है।
 
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मैं अपनी निजी बात कहूं तो मैं अमेरिकन स्कूल में पढ़ा हूं। वहां किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मैं हीरो का बेटा हूं। कुल जमा इन सब चीजों से मुझे बहुत फायदा होता है। मैं जब भी शूट पर से घर पहुंचता हूं तो मेरी मां है जैसे बॉलीवुड का क ख ग नहीं आता तो इतने अलग विषय पर हम लोग बात करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है।
 
क्या आपको हमेशा से एक्टिंग करते थे या खेल का भी शौक है?
मैं तो बचपन में आर्मी जॉइन करना चाहता था सेना में जाना चाहता था। फिर कक्षा छठी में एक बार एक ड्रामा किया। मैं ठहरा एक अंतर्मुखी बच्चा ऐसे में जब मैंने ड्रामा किया, तुम यह मेरे लिए किसी थेरेपी से कम नहीं था। मैं नाटकों के जरिए अपने अंदर की बहुत सारी बातें बाहर ला पाता था। उन भावों को अच्छे से समझा पाता था। 
 
उस समय लगा कि शायद मुझे यही काम करना है और फिर अनजाने में ऐसा होता ही है कि आप जब पापा को देखते हैं, उनको एक्टिंग करते हुए देखते हैं या उनका नाम पढ़ते हैं तब आपके दिमाग में एक बात छप जाती है कि कहीं अपने पापा के जैसा बनना है। एक्टिंग के अलावा मुझे फुटबॉल खेलना पसंद है और मैं संगीत का काफी अच्छा खासा शौक रखता हूं। कभी ऐसा हुआ कि मुझे कहीं गाने का मौका मिला किसी फिल्म में तो मैं गाना भी गाने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका हूं।
 
भले अपने आप को यह कहते हैं कि मैं बॉलीवुड पार्टी भी नहीं गया, लेकिन आपके दोस्त तो होंगे?
दोस्त रहे हैं मेरे यहां, लेकिन बात इतनी है कि मैं अमेरिकन स्कूल में पढ़ा हूं तो वहां हर तीन साल में काफी सारे लोग छोड़कर कहीं और चले जाते हैं। और जब 2014 में ग्रेजुएशन भी मैंने खत्म किया, उस समय तो यह हुआ कि मेरे सारे ही दोस्त छोड़ कर चले गए थे। मेरे पास उस समय कोई नहीं था। बहुत अकेलापन था। फिर मैंने सोचा फिल्म इंडस्ट्री जॉइन करनी है तो अपने आप को मैं तैयार करूं तो इस तैयारी के दौरान भी मैं जितनी क्लासेस के लिए जाता था, वहां पर भी मैं बैठकर एक या दो लोगों से ही बातें करता थश। उसी से सीखता था तो मेरा कोई सर्कल बन ही नहीं पाया। इस दौरान मैं और मेरा एक का चचेरा भाई है जिससे मैं बहुत करीबी हूं। उससे ही मेरी बातें होती थी। 
 
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तो अभी भी कोई दोस्त नहीं है आपका?
जैसे मैंने आपको बताया कि मैं फुटबॉल खेलता हूं। तो अर्जुन कपूर है या रणबीर कपूर है, कार्तिक आर्यन है हम सब लोग कई बार फुटबॉल खेलते हैं तो तब मैं उनसे मिलता हूं। मेरी उनसे दोस्ती हुई है। इब्राहिम है और आर्यन है इनको मैं बचपन से जानता हूं। 
 
यह की पहली फिल्म है सेट पर कितना सहज महसूस करते थे। 
सेट पर बहुत ही सहज था मैं। कभी नहीं लगा कि पहली फिल्म है। मिलन सर जो निर्देशक है उन्होंने मुझे कभी असहज महसूस नहीं होने दिया। वह बहुत ज्यादा विश्वास करते हैं मुझ पर। वो मुझे कहते थे, यह फिल्म है यह कैरेक्टर है कैरेक्टर के साथ जो करना है, तुम कर सकते हो। यह कभी नहीं मुझे महसूस कराया कि यह कैरेक्टर है और इस तरीके से ही आपको इस कैरेक्टर को निभाना है। 
 
जब आपका निर्देशक आप पर इतना विश्वास करता है तो आपको अच्छा लगता है। सेट की बात बताऊं तो इतना कह सकता हूं। वहां पर कई लोग ऐसे रहे हैं जो मेरे पिताजी के साथ भी काम कर चुके हैं। कुछ स्पॉट दादा थे या फिर कुछ लाइटमैन थे जो मेरे पिताजी के साथ कई सालों पहले किसी फिल्म में पर्दे के पीछे काम चुके थे तो जब मैं सेट पर होता था तो एक अलग ही तरह का प्यार मुझे मिलता था।
 

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