‘इकबाल’ से चर्चा में आए श्रेयस तलपदे ने धीमे-धीमे एक अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बना ली है। हाल ही में प्रदर्शित ‘ओम शांति ओम’ में शाहरुख के दोस्त की भूमिका में श्रेयस को सराहा गया। अब वे निर्माता भी बन गए हैं। पेश है श्रेयस से बातचीत : नागेश कुकुनुर के निर्देशन में आप एक बार फिर ‘बॉम्बे टू बैंकॉक’ में नजर आने वाले हैं। नागेश के साथ काम करने में कैसा अनुभव करते हैं? नागेश पटकथा और भूमिका के रूप में मुझे हर बार सरप्राइज देते हैं। उनकी सोच बहुत मौलिक है। वे बहुत सहज हैं, इसलिए मुझे नागेश के सामने अपने विचार व्यक्त करने के पहले कभी सोचना नहीं पड़ता। उनके साथ काम करते समय आपको हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है। जैसे-जैसे हम साथ काम करते जा रहे हैं, हमारी ट्यूनिंग भी बढ़ती जा रही है। नागेश मेरी खूबियों और कमजोरियों से अच्छी तरह वाकिफ हो गए हैं। अब तक निभाया गया कौन-सा किरदार आपको चुनौतीपूर्ण लगा? मेरे खयाल से ‘बॉम्बे टू बैंकॉक’ का किरदार बहुत चुनौतीपूर्ण है। इसमें मैं एक छोटे-से रेस्तराँ का शेफ बना हूँ, जो एक डॉन के पैसे चुरा लेता है। इसके बाद उसकी जिंदगी में मुसीबतें आने लगती हैं। यह एक रोमांटिक हास्य कथा है। मैंने परदे पर बहुत कम रोमांस किया है, लेकिन इस फिल्म में मैं रोमांस करता नजर आऊँगा। आप मराठी फिल्म बना रहे हैं, क्या हिंदी में भी फिल्म बनाएँगे? फिल्म बनाना बेहद कठिन काम है। मैं इस समय मराठी फिल्म का निर्माण कर रहा हूँ और रोजाना समस्याओं से दो-चार हो रहा हूँ। खैर, इसमें भी मुझे आनंद मिल रहा है। फिल्म बनाना एक बच्चे को पालने जैसा है। विषय अच्छा मिलेगा तो मैं हिंदी या मराठी किसी भी भाषा में फिल्म बनाऊँगा।एक्शन भूमिका में आप अब तक नहीं दिखाई दिए हैं? मुझे एक ही तरह की भूमिका निभाने से नफरत है। मैं हर प्रकार के चरित्र निभाना चाहता हूँ। यदि मुझे अवसर मिला तो मैं एक्शन करते हुए भी दिखाई दूँगा।आजकल सभी सितारे अपनी फिल्म का जोर-शोर से प्रचार करते हैं, क्या आप भी अपनी फिल्मों का इस तरह से प्रचार करना पसंद करेंगे?मैं अपनी क्षमतानुसार प्रचार करता हूँ। इवेंट और शो में भाग लेना। इंटरव्यू देना। मैं चाहता हूँ कि लोगों को फिल्म और उसके प्रदर्शित होने की तारीख के बारे में पता चले। इसके बाद यह उन पर छोड़ देना चाहिए कि वे फिल्म देखना पसंद करते हैं या नहीं।क्या आपको लगता है कि प्रचार के अभाव में फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन कमजोर रहता है? बिलकुल रहता है। मुझे अपनी फिल्म के प्रचार के लिए रियलिटी शो में भी भाग लेना पड़े तो मैं लूँगा, क्योंकि इससे दर्शकों से सीधे संवाद होता है। मुझे सस्ते तरीके से की गई पब्लिसिटी से नफरत है। ‘ओम शांति ओम’ फिल्म को हमने कई अलग-अलग तरीकों से प्रमोट किया था।
एक छोटे से अंतराल में आपकी एक अभिनेता के रूप में पहचान बन गई है। इस बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
मेरे भाग्य में अभिनेता बनना लिखा था, इसलिए गैर फिल्मी परिवार से होने के बावजूद मैं अभिनेता बन गया। पहले मैं पायलट, डॉक्टर या सीए बनने के बारे में सोचता था। अब अभिनेता बनकर मैं ये सब बन सकता हूँ। भगवान की कृपा से मुझे बहुत अच्छे निर्देशकों के निर्देशन में उम्दा भूमिकाएँ निभाने को मिली हैं। एक अभिनेता के रूप में लोगों का ध्यान आकर्षित करने में मैं सफल रहा हूँ और आगे भी उनकी अपेक्षा पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूँगा।