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सुषमा-ममता-सोनिया से प्रेरणा ली : जूही चावला

'गुलाब गैंग' की विलेन जूही चावला से खास बातचीत

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अपने अभिनय करियर में कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी जूही चावला पहली बार किसी फिल्म में नेगेटिव किरदार में नजर आने वाली हैं।


फिल्म' गुलाब गैंग' क्या है?
यह एक आम मसाला फिल्म है। हमारी इस फिल्म में भी पुरुष पात्र भी हैं। यह गांव की पृष्ठभूमि पर फिल्म है। इसमें संदेश भी है। यह नारी इम्पॉवरमेंट की बात करती है। औरतों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के खिलाफ बात करती है। लड़कियों को अच्छी शिक्षा और अच्छी परवरिश दी जानी चाहिए। इस फिल्म में मैंने एक पोलीटिशियन का नेगेटिव किरदार निभाया है।

आप नकारात्मक और वह भी पोलीटिशियन का किरदार निभाने के लिए कैसे तैयार हो गई?
फिल्म के निर्देशक सौमिक सेन जब मेरे पास इस फिल्म का ऑफर लेकर आए तो मुझे लगा कि इनका दिमाग खराब हो गया है। मैंने साफ-साफ कह दिया कि यह किरदार आपने मुझे ध्यान में रखकर नहीं लिखा है। मैं इस ढंग की फिल्म क्यों करूंगी? मैंने उनसे कहा कि वे मुझे ध्यान में रखकर दुबारा किरदार व स्क्रिप्ट लिखकर लाएं तो मैं सोचूंगी। दो-तीन हफ्ते बाद किरदार को सॉफ्ट करके उन्होंने मुझे सुनाया तो मुझे लगा कि किरदार में तो कुछ दम ही नहीं रह गया। तब मुझे लगा कि मैंने अच्छी-भली चीज को गड़बड़ कर दिया और मैंने उनसे कहा कि मैं फिल्म करूंगी तो पुरानी स्क्रिप्ट वाली, क्योंकि उसमें एक तंज था। फिर निर्देशक से लंबी-चौड़ी बातचीत हुई। उन्होंने मुझे समझाया कि इस किरदार में आपको डूबकर मजा लेते हुए काम करना है। निर्देशक से कई दिन की बातचीत के बाद मुझे लगा कि यह जो स्क्रिप्ट है, इसके जो पात्र हैं, यदि इन्हें मैंने व माधुरी दीक्षित ने मिलकर अच्छे ढंग से निभाया तो फिल्म की बात कुछ और हो जाएगी।

क्या अब आपको लगता है कि आपके प्रशंसक नकारात्मक किरदार में आपको पसंद करेंगे?
मुझे भी ऐसा ही लगा था कि लोग मुझ पर हंसेंगे और मेरा मजाक उड़ाएंगे। पर जब निर्देशक सौमिक सेन ने मुझे किरदार को विस्तार से समझाया तो मेरा विश्वास बढ़ा। मेरा इतना दावा है कि लोग पहली बार एक अलग तरह के विलेन को पर्दे पर देखेंगे।

खलनायक को लोग ज्यादा पसंद करते है। इसी वजह से आपने यह किरदार चुना?
देखिए, मुझे रज्जो का किरदार तो ऑफर हुआ नहीं था। रज्जो के किरदार का ऑफर तो माधुरी दीक्षित को मिला था। मुझे जो ऑफर हुआ, वही मैंने निभाया। इसमें किसी पर भी भारी पड़ने की बात नहीं है। सच कहूं तो मुझे डर लग रहा था कि लोग मुझे पसंद करेंगे या नहीं। लेकिन मुझे खुशी है कि ट्रे‌लर आने के बाद लोग मुझे पसंद कर रहे हैं। मुझे तो यह डर सता रहा था कि लोग कहीं यह न कहे कि यह किस तरह का डायलॉग बोल रही हैं? ऐसा तो होता ही नहीं है।

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एक पोलीटिशियन के किरदार में खुद ढालना कितना आसान रहा?
आसान तो नहीं रहा, क्योंकि इस तरह का किरदार इससे पहले मैंने कभी निभाया ही नहीं था। इस किरदार को निभाने के लिए मैंने सुषमा स्वराज, ममता बनर्जी और सोनिया गांधी से प्रेरणा ली। मैंने इन तीनों को बहुत बारीकी से ऑब्जर्व कर उनके मैनेरिज्म को अपनाने का प्रयास किया है। इसके अलावा निर्देशक सौमिक सेन की मदद से मैं अपने किरदार को निभा पाई।

फिल्म' गुलाब गैंग' के निर्देशक सौमिक सेन की यह पहली फिल्म है। उन पर आपको यकीन कैसे हुआ?
सौमिक सैन ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है। इसके संवाद लिखे हैं। इस फिल्म को संगीत से भी संवारा है। इसके अलावा उन्हें फिल्मों की बहुत अच्छी जानकारी है। जिन्होंने फिल्मों को निचोड़कर अपने अंदर रख लिया है, वह अच्छा निर्देशक न हो, यह तो हो ही नहीं सकता है। उन्होंने नारी सशक्तिकरण को लेकर काफी कुछ सोचा है। काफी रिसर्च किया है।

माधुरी दीक्षित के साथ काम करने के अनुभव कैसे रहे?
माधुरी दीक्षित मेरी सर्वश्रेष्ठ सह-कलाकार हैं। वंडरफुल अनुभव रहे। हम दोनों एक-दूसरे से परिचित भी रहे हैं। शुरू से ही लोगों ने हमारे बीच तुलना की थी जबकि उन्हें किसी बात की परवाह नहीं थी। आज भी वे किसी बात की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देती हैं।

लोग माधुरी दीक्षित के साथ आपकी तुलना करेंगे, आप इसे कैसे लेंगी?
कोई तुलना नहीं होगी। मैं तो यहां विलेन हूं।


इन दिनों भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ आंदोलन के जरिए यानी कि बिना हथियार के लड़ाई हो रही है, जबकि आपकी फिल्म 'गुलाब गैंग' में डंडा उठाकर लड़ाई हो रही है?
हम अपनी फिल्म में दिखा रहे हैं कि सिस्टम से लड़ने के लिए आपको सिस्टम का हिस्सा बनना होगा।

अब आप किस हिसाब से फिल्में चुनती हैं?
मुझे अच्छी फिल्मों का हिस्सा बनना है। मैं यह नहीं देखती कि फिल्म में मैं हीरोइन हूं या नहीं।

आपके पसंदीदा निर्देशक कौन से रहे हैं?
यश चोपड़ा, अजीज मिर्जा, महेश भट्‌ट जैसे निर्देशकों के साथ काम करते हुए मैंने हमेशा एंजॉय किया है।

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