Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

गीता दत्त : एक सुन्दर सपना बीत गया...

पुण्यतिथि : 20 जुलाई

Advertiesment
हमें फॉलो करें गीता दत्त

समय ताम्रकर

FC
पार्श्व गायिका गीता दत्त को हमारे बीच नहीं रहे पैंतीस साल गुजर गए, मगर लगता है वे हमारे इर्दगिर्द ही कहीं मौजूद हैं और उनकी दर्दभरी कसक हमें सुनाई दे रही है- ‘वक्त ने किया क्या हँसीं सितम, तुम रहे न तुम, हम रहे न हम...

गीता दत्त की जादुई आवाज सबसे पहले ‘जोगन’ में सुनने को मिली। इस फिल्म में उन्होंने मीरा के आर्त्तनाद को उंडेलकर श्रोताओं को विरही बना दिया है। वे खुलकर गाती हैं- ‘मैं तो गिरधर के घर जाऊँ। घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे।‘ और गीता के पिया उससे नौ साल पहले चले गए। वे गाती रहीं - ‘जोगी मत जा, मत जा...।‘

फिल्मकार गुरुदत्त के जीवन में गीता अपनी आवाज की वजह से आईं। कुछ बरसों तक ठीक-ठाक रहा। फिर आ गईं वहीदा रहमान। गुरुदत्त ने कागज के फूलों में खुशबू तलाशी और उन्हें ‘चौदहवीं का चाँद’ बना दिया, लेकिन गुरुदत्त आखिर तक 'प्यासे' रहे। न वहीदा मिलीं और गीता भी दूर होती चली गईं।

गीता दत्त ने गुरुदत्त की फिल्मों में क्या खूब गाया है। गले से नहीं, एकदम दिल से। उनके मन की बेचैनी तथा छटपटाहट एक-एक शब्द से रिसती मिलती है। फिल्म चाहे ‘बाजी’ हो या ‘आरपार’, ‘सीआईडी’ हो या ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’ हो या ‘चौदहवीं का चाँद’, उनके स्वर की विविधता का कायल हो जाता है श्रोता। ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले’ (बाजी), ‘बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना...हाँ बड़े धोखे हैं इस प्यार में’। सचमुच उन्होंने प्यार में धोखा खाया। फिर भी गाती रहीं - ‘ये लो मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे।‘

‘साहब बीवी और गुलाम’ फिल्म भले ही छोटी बहू यानी कि मीना कुमारी की फिल्म रही हो, लेकिन छोटी बहू का दर्द, शिकायत, अकेलेपन की पीड़ा, पति की बेवफाई को गीता की आवाज ने परदे पर ऐसा उतारा कि मीना अमर हो गईं। ‘न जाओ सैंया, छुड़ा के बैंया, कसम तुम्हारी मैं रो पड़ूँगी।‘ और मीना के साथ सिनेमाघर के अँधेरे में डूबे हजारों दर्शक रोए।

गीता दत्त ने हर तरह के गाने गाए हैं। फिल्म ‘बाजी’ के गीत ‘जरा सामने आ, जरा आँख मिला’ में श्रोताओं को उन्मादी स्वर मिलते हैं। ‘भाई-भाई’ का गीत ‘ऐ दिल मुझे बता दे, तू किसपे आ गया है’ सुनकर मन प्रेम की सफलता से भर जाता है। ‘प्यासा’ की गुलाबो का जीवन संगीत सुनकर मन अतृप्त प्यास में खो जाता है- ‘आज सजन मोहे अंग लगा ले, जनम सफल हो जाए।‘ लेकिन गीता ने जिन्दगीभर जिन्दगी का जहर पिया- ‘कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी।‘ वह शराब का जहर रोजाना गले के नीचे उतारती रहीं और एक दिन सबको अकेला छोड़कर चली गईं।

सत्ताईस वर्ष तक चलता रहा हँसीं सितम
गीता के साथ जमाने ने, अपने-परायों ने बहुत नाइंसाफी की है। एक और नाइंसाफी फिल्म ‘सुजाता’ के गीत की उनके साथ हुई जो सत्ताईस बरस तक लगातार चलती रही। ‘सुजाता’ का एक गाना है ‘तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार।‘

सचिन देव बर्मन ने यह गाना गीता के अलावा आशा से भी गवाया था। ऐनवक्त पर गीता की आवाज फाइनल हुई, मगर ग्रामोफोन कंपनी को नाम आशा का चला गया। सत्ताईस वर्ष तक यह गीत आशा के नाम से बजता रहा।

एक बार जब आशा अमेरिका टूर पर गईं तो वहाँ के एक रेडियो स्टेशन पर उनका इंटरव्यू हुआ। वहाँ के अनाउंसर ने उन्हें ‘सुजाता’ का गीत आशा को सुनाकर पूछा- ‘बताइए किसकी आवाज है?’ आशा का जवाब था- ‘गीता की।‘

गलतफहमी इतने वर्षों तक चली। गीता के जीते जी और मौत के बाद भी। वाकई वक्त ने गीता के साथ कई हँसीं सितम किए। लगता है आवाज और शख्सियत का एक सुंदर सपना सचमुच में बीत गया।

गीता दत्त : क्लोज-अप
पूरा नाम : गीता रॉय (शादी के बाद दत्त)
जन्म : 23 नवम्बर 1930
जन्म स्थान : बेजिनपुरा गाँव (बंगाल का फरीदपुर जिला)
विवाह : 26 मई 1953 फिल्मकार गुरुदत्त से
पहला गीत : ‘सुनो-सुनो हरि की लीला सुनाएँ (‘भक्त प्रहलाद’ : 1946)
लोकप्रियता मिली : ‘मेरा सुंदर सपना बीत गया’ (दो भाई : 1947)
निधन : 20 जुलाई 1973

गीता दत्त : सदाबहार गीत
* खयालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते (बावरे नैन : 1950)
* सुनो गजर क्या गाए (बाजी : 1951)
* न ये चाँद होगा, न ये तारे रहेंगे (शर्त : 1954)
* कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी (बादबान : 1954)
* जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी (मिस्टर एंड मिसेस 55 : 1955)
* जाता कहाँ है दीवाने (सीआईडी : 1956)
* ऐ दिल मुझे बता दे, तू किसपे आ गया है (भाई-भाई : 1956)
* आज सजन मोहे अंग लगा ले (प्यासा : 1957)
* मेरा नाम चिन-चिन चू (हावड़ा ब्रिज : 1958)
* वक्त ने किया क्या हँसीं सितम (कागज के फूल : 1959)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi