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जॉय मुखर्जी ने किया फिल्मों को एंजॉय

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समय ताम्रकर

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फिल्म फारमूलों के आदि-गुरु शशधर मुखर्जी का पूरा परिवार फिल्मी रहा मगर उनके बेटे जॉय मुखर्जी को फिल्म अभिनेता बनना कतई पसंद नहीं था। अपने पिता के आसपास मौजूद रहकर उनकी फिल्म एक्टिविटी को बालक जॉय नजदीक से देखता रहता था। शूटिंग के तमाम सीन उसे तमाशे की तरह लगते थे।

जॉय का इरादा टेनिस खिलाड़ी बनकर अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि पाने का था। जब वह बी.ए. की पढ़ाई कर रहा था, तो एक दिन पिताजी ने पूछ लिया कि आखिर वह अपनी जिंदगी में करना क्या चाहता है? इस सवाल के साथ ही उन्होंने फिल्म 'हम हिंदुस्तानी' का कांट्रेक्ट भी जॉय के सामने रख दिया।

जॉय ने अनमने भाव से फिल्म यह सोचकर साइन कर ली कि चलो पॉकेटमनी के लिए अच्छी रकम मिल जाएगी। जब फिल्म का ट्रायल शो हुआ, तो प्रिव्यू थियेटर से वह भागकर घर आ गया। परदे पर अपनी एक्टिंग तथा लुक को वह बर्दाश्त नहीं कर पाया था।

बी.ए. में थर्ड क्लास
जॉय की किस्मत में टेनिस खिलाड़ी बनने की लकीरें नहीं थी। उसे दो-तीन फिल्मों के और ऑफर मिले। शुरू-शुरू में झिझक रही। धीरे-धीरे उसकी फिल्मों में दिलचस्पी बढ़ती चली गई। नतीजा सामने आया कि वह अपनी बी.ए. की पढ़ाई में पिछड़ गया और थर्ड क्लास में पास हो पाया।

उन्हीं दिनों फिल्मकार बिमल राय फिल्म परख बनाने जा रहे थे। उन्होंने जॉय की कुछ फिल्में देखी और परख के लिए नायक का रोल ऑफर किया। अपनी जरुरत से ज्यादा व्यस्तता के चलते जॉय ने मना कर दिया। बिमल ने बसंत चौधरी को लेकर वो फिल्म पूरी की।

लव इन शिमला
जॉय मुखर्जकी दूसरी फिल्म थी लव इन शिमला। इसे नए डायरेक्टर आरके नय्यर निर्देशित कर रहे थे। एक सिंधी फिल्म में काम कर चुकी साधना को नायिका के बतौर लिया गया था। इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग शिमला में हुई थी। शूटिंग के दौरान आसपास के दर्शकों की जमा भीड़ में से कुछ तानाकशी की आवाजें जॉय के कानों में गूँजती थी- ये क्या हीरो बनेगा? ये क्या एक्टिंग करेगा? आइने में इसने अपनी सूरत देखी है? यह सब सुनकर जॉय चुप रहते क्योंकि जवाब के लिए कोई सुपरहिट फिल्म उनके पास नहीं थी।

लव इन शिमला फिल्म सुपरहिट साबित हुई। जॉय को स्टार का दर्जा मिला। साधना ने बालों की नई स्टाइल इजाद की, जो लड़कियों में 'साधना कट' नाम से लोकप्रिय हुई। लव इन शिमला के दौरान ही आरके नय्यर और साधना को भी प्यार हो गया। आगे चलकर वह शादी में बदला।

लव स्टोरीज से परेशान
लव इन शिमला के बाद इसे महज संयोग ही मानना होगा कि जॉय मुखर्जी को लगातार लव-स्टोरीज की फिल्में करना पड़ी। जैसे लव इन टोकियो (आशा पारिख), शागिर्द (सायरा बानो), एक मुसाफिर एक हसीना और एक बार मुस्करा दो।

शागिर्द फिल्म के तमाम गाने शिमला में फिल्माए जाने थे। लगातार बारह दिनों तक पूरी यूनिट के लोग प्रातः जल्दी से तैयार होकर बर्फीले पहाड़ों पर पहुँचते, लेकिन बादलों की लुकाछिपी में सूरज डूबता-तैरता चलता था। सारा समय बरबाद हुआ। यूनिट को इस बहाने इस खूबसूरत शहर में ठहरने और पिकनिक मनाने का मौका मिल गया।

जॉय मुखर्जी की अधिकांश फिल्मों की कहानी प्रेम पर आधारित थी। इसलिए तमाम फिल्मों को कश्मीर के सुंदर लोकेशन पर फिल्माया गया। प्रकृति के सुंदर दृश्य तो जॉय को आनंद से भर देते थे, मगर बार-बार और हर बार हीरोइन को देख नकली मुस्कराहटें चेहरे पर लाना। गाने गाना। पेड़ों के इर्दगिर्द घूमकर नाचना उन्हें कतई रास नहीं आता था। वे जिंदगी का ट्रेक बदलना चाहते थे। उन्होंने फिल्म हमसाया का निर्देशन किया, लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई। इस पर जॉय का सोचना था कि यह उनका गलत समय में लिया गया गलत फैसला था।

ग्रेगरी पैक और वैजयंतीमाला
अपनी जिन समकालीन तारिकाओं के साथ जॉय को काम करने का मौका मिला, उनमें वैजयंतीमाला के प्रति हमेशा उनके मन में आदर भाव रहा। माला सिन्हा, शर्मिला टैगोर, आशा पारिख और सायरा बानो सबसे उनके अच्छे संबंध रहे, लेकिन ये तमाम संबंध या दोस्ती फिल्म शूटिंग शुरू होने से लेकर द एंड तक बनी रही। इसके बाद कहीं कोई धुआँ नहीं उठा।

विदेशी कलाकारों में जॉय को ग्रेगरी पैक ने आकर्षित किया। देव आनंद जिस तरह ग्रेगरी को कॉपी करते थे और अपनी हेअर स्टाइल भी वैसी ही रखते थे, कुछ इस तरह के रोल मॉडल का भाव जॉय के मन में बराबर बना रहा।

अपने प्रशंसकों से लगातार मिलना या हाथ मिलाना अथवा ऑटोग्राफ देना जॉय को पसंद नहीं था। उनका मानना था कि दो-चार प्रशंसकों से तो शेक हैंड किया जा सकता है, लेकिन सौ-दो सौ के साथ कोई कलाकार ऐसा नहीं कर सकता। प्रेस से भी जॉय ने दूरी बनाए रखी। वे एक्टर नहीं बनना चाहते थे मगर बना दिए गए इसलिए ग्लैमर वर्ल्ड के लटकों-झटकों से अनजान थे।

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हम साया के बाद राजेश खन्ना-जीनत अमान को लेकर उन्होंने छैला बाबू फिल्म भी निर्देशित की मगर नाकामयाबी हाथ लगी। माता-पिता की मौत से जॉय को जिंदगी का नया चेहरा देखने को मिला। उसके बाद वे फिल्मों से दूर हो गए। जॉय के दो बेटे और एक बेटी है, जो घर-गृहस्थी का सुख ले रहे हैं। एक बेटे को फिल्म में लांच किया था। फिल्म भी नहीं चली और वह भी नहीं चल पाया।

जीवन की शाम में जॉय ने अपना ज्यादातर वक्त पत्नी नीलम के साथ गुजारा और अपनी पुरानी स्मृतियों (फिल्मों) को देख एंजॉय किया।

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