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ताजगी और मिठास के महारथी : सुधीर फड़के

पुण्यतिथि : 29 जुलाई

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सुधीर विनायक फड़के संपूर्ण महाराष्ट्र के घर-घर में मराठी-हिन्दी गायक तथा संगीतकार के रूप में एक परिचित नाम है। पाँच दशक तक गीत-संगीत की दुनिया में सक्रिय रहने वाले सुधीर का जन्म 25 जुलाई 1919 को कोल्हापुर के एक सफल वकील परिवार में हुआ था।

गीत-संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने पंडित वामनराव पाध्ये से प्राप्त की। पिता का अचानक निधन हो जाने से संगीत शिक्षा ठहर गई और उन्हें आजीविका के लिए प्रयास करने पड़े।

कोल्हापुर छोड़कर मुंबई आए और फिर उत्तर भारत का दो साल तक दौरा कर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसका सीधा लाभ यह मिला कि उन्हें अलग-अलग क्षेत्र के लोक संगीत तथा राग-रागनियों की जानकारी हुई और वे लोकप्रिय सुगम संगीतकार-गायक के रूप में प्रसिद्ध हुए।

सुधीर फड़के ने लगभग 110 फिल्मों में संगीत दिया है, जिनमें अधिकांश मराठी फिल्में हैं। इनमें से 20 फिल्में हिन्दी में हैं। इसके अलावा कई दर्जन भाव गीत, भक्ति गीत और लावणियाँ उनकी मधुर धुनों से सजी-धजी हैं, जिन्होंने संगीत श्रोताओं को संतुष्टि दी।

सुधीर फड़के का संगीत अनेक दिग्गज गायकों की गायकी में सुना गया। उनमें प्रमुख नाम हैं- बाल गंधर्व, पं. भीमसेन जोशी, हीराबाई बड़ोदेकर, माणिक वर्मा, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी और मन्नाडे।

सन 1941 में उन्होंने ग्रामोफोन रिकॉर्ड कंपनी एचएमवी के साथ अपने सरगम के सफर की शुरुआत की। पाँच साल बाद प्रभात फिल्म कंपनी के वी. शांताराम ने उनकी सेवाएँ प्राप्त कर अपने साथ काम करने का मौका दिया। उनके समकालीन संगीतकारों- वसंत देसाई, वसंत पँवार, स्नेहल भाटकर, दत्ताजी देवजीकर- के बीच उन्होंने अपने मधुर संगीत से अपना प्रतिष्ठाजनक स्थान बनाया।

गायक-संगीतकार के अलावा सुधीर फड़के अच्छे अभिनेता भी थे। उनके उम्दा अभिनय के लिए मराठी की ये फिल्में हमेशा याद की जाती हैं- सुहासिनी, आमी जातो आमचा गाँव, लाखा ची गोष्ठ, जगा चा पाठीवर। उनका गाया यह मराठी गीत- 'एक धागा हा सुखाचा' को बेहद लोकप्रियता मिली थी।

इसी तरह हिन्दी फिल्म भाभी की चूड़ियाँ का गीत- 'ज्योति कलश छलके' आज भी श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। फिल्म ‘पहली तारीख’ का किशोर कुमार की आवाज में यह गीत बरसों तक रेडियो सीलोन से पहली तारीख को बजता रहा है- 'खुश है जमाना आज पहली तारीख है'।

वाल्मीकि रामायण पर आधारित जी.डी. माडगुलकर के 56 गीतों के लिए सुधीर फड़के द्वारा रचित संगीत एक अनूठा प्रयोग माना जाता है। उन्होंने गीत-रामायण के देश-विदेश में 1800 कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। गीत-रामायण ने आकाशवाणी पर 56 सप्ताह तक प्रसारित होकर एक कीर्तिमान बनाया है। गीत-रामायण भारत की अनेक भाषाओं में अनूदित है।

सुधीर फड़के ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखते हुए एक अनूठा प्रयोग किया। ‘वीर सावरकर’ फिल्म बनाने के लिए कूपन बेचकर और कार्यक्रम प्रस्तुति के माध्यम से धन जुटाया। यह फिल्म पिछले साल प्रदर्शित की गई।

उनकी संगीत सेवाओं के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें स्वामी हरिदास सम्मान, सुर सिंगार सांसद पुरस्कार, जीवन गौरव पुरस्कार, लता मंगेशकर पुरस्कार शामिल हैं। 1991 में संगीत नाटक अकादमी ने भी अवार्ड प्रदान किया था। महाराष्ट्र शासन ने मुंबई की फिल्मसिटी को दादा साहेब फालके चित्र नगरी नाम दिए जाने के अवसर पर उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया था।

संगीतकार खय्याम उनके संगीत की ताजगी और मिठास से प्रभावित रहे हैं। आशा भोंसले उनकी विशिष्ट एवं मौलिक गायकी और धुनों की प्रशंसक हैं। 29 जुलाई 2002 को उनका निधन हो गया। पुरानी और नई पीढ़ी सुधीर फड़के के गीत-संगीत के प्रति सदैव आभारी रहेगी।

प्रमुख फिल्में
*गोकुल *रुक्मणि स्वयंवर (1947) *आगे बढ़ो (1947) *सीता स्वयंवर *जीवाचा सखा *वंदेमातरम्‌ (1948) *अपराधी *जय भीम *माया बाजार *रामप्रतिज्ञा *संत जनाबाई (1949) *श्रीकृष्ण दर्शन *जौहर माईबाप (1950) *पुढ़ाचा पाउळ (1950) *मालती माधव *मुरलीवाला *जशांच तंस (1951) *लाखाची गोष्ठ *नरवीर तानाजी (1952) *सौभाग्य *वाहिनी च्या बांगड्या (1953) *पहली तारीख *इन-मीन-साढ़े तीन *ऊन पाऊस (1954) *गंगेत घोड़ा नहाला *शेवग्याचा शेंगा (1955) *सजनी *अंधाळा मागतो एक डोळा *देवधर, *माझे घर माझी माणसं (1956) *गणगौरी (1958) *जगाच्या पाठीवर (1960) *भाभी की चूड़ियाँ (1961) *गुरु किल्ली (1966) आमी जातो आमचा गाँव (1968) *दरार (1972) *आराम हराम आहे (1976) *आपलेच दात आपलेच ओंठ (1982) *माहेरची माणसं (1984) *धाकटी सून *शेर शिवाजी (1987)।

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