अपने दौर की कोई हीरोइन शायद ही छूटी हो जिसने देव साहब के साथ काम नहीं किया हो। ‘सीआईडी’ फिल्म में शकीला का साथ दिया, तो फिल्म ‘राही’ और ‘मुनीमजी’ में नलिनी जयवंत का। ‘मुनीमजी’ में देव का डबल रोल था। नूतन के साथ देव की जोड़ी दर्शकों को बहुत रास आई। बारिश, पेइंग गेस्ट, मंजिल और तेरे घर के सामने में इस जोड़ी ने दर्शकों का रोमांस से भिगो दिया। उषा किरण ‘पतिता’ और ‘दुश्मन’ फिल्म में देव की दोस्त थीं। पतिता का यह गीत आज भी हवा में मौजूद है-‘अंधे जहान के अंधे रास्ते।‘ फिल्म ‘लव मैरिज’ में देव माला सिन्हा के नायक बनें। ‘बम्बई का बाबू’ में बंगाल की स्टार तारिका सुचित्रा सेन के साथ काम किया। साठ के दशक की चुलबुली नायिका आशा पारेख भी देव साहब की पसंदीदा अभिनेत्री रही हैं। ‘कहीं और चल’ और ‘महल’ फिल्म के जरिए उन्होंने दर्शकों को लुभाया। फिल्म ‘हम दोनों’ में नंदा भी कुछ समय के लिए देव की हमसफर रहीं। दम मारो दम...
सत्तर का दशक देव आनंद के निर्देशक बन जाने का सफर है। इस दशक में जो भी तारिकाएँ उनके साथ आईं वे रोमांस के चक्कर से अपने को बचा नहीं सकीं। उनका आँचल देव की अंगुलियों में उलझता रहा। मुमताज दारासिंह की पहलवानी फिल्मों के अखाड़े से निकलकर जब देव के दायरे में आईं तो लोकप्रिय अभिनेत्री बन गईं। ‘हरे रामा हरे कृष्णा’, ‘तेरे मेरे सपने’ के जरिए मुमताज आगे चलकर राजेश खन्ना कैम्प में चली गईं, मगर अपने पीछे देव के लिए बोल्ड एंड ब्यूटीफुल वेस्टर्न कल्चर की तारिका जीनत अमान को छोड़ गई। देव-जीनत की जोड़ी ने रोमांस की तमाम सीमाएँ तोड़ दी क्योंकि दम मारो दम का दौर शुरू हो गया था। हीरा पन्ना, इश्क-इश्क-इश्क, प्रेम शास्त्र, वारंट, डार्लिंग-डार्लिंग, कलाबाज जैसी फिल्मों में जीनत का जादू देव के सिर चढ़कर बोला। इसी बीच हेमा मालिनी का प्रवेश देव के लिए सोने में सुहागा साबित हुआ। ‘जॉनी मेरा नाम’ में पद्मा खन्ना के कैबरे डांस और हेमा-देव के रोमांस को शिखर सफलता मिली। छुपा रुस्तम, जोशीला, शरीफ बदमाश, अमीर-गरीब, जानेमन तक यह जोड़ी दर्शकों को गरमाती रही।
फिल्म ‘देस-परदेस’ में टीना मुनीम को खोज की तरह पेश करते देव आनंद बाद में हर नई फिल्म में नया चेहरा तलाशते रहे। ‘लूटमार’ और ‘मनपसंद’ फिल्में टीना के साथ करते हुए देव आनंद जोड़ी जमाने के चक्कर में पिछड़ते गए क्योंकि उनकी उम्र इतनी अधिक हो गई थी कि वे हीरोइन से रोमांस करते समय उनके पिता जैसे नजर आने लगे थे। उन्होंने रिचा शर्मा (हम नौजवान), एकता (अव्वल नंबर), फातिमा (सौ करोड़), मनु गार्गी (गैंगस्टर), सेबरीना (मैं सोलह बरस की) जैसी कई अभिनेत्रियों को पेश कर नई हीरोइन का प्रयोग जारी रखा।
देव आनंद हिन्दी सिनेमा में रोमांस के बादशाह कहे जा सकते हैं। उन्होंने अपनी आत्मकथा भी ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ शीर्षक से लिखी है, जिसका देश-विदेश में स्वागत हुआ।