1) राजा हरिश्चन्द्र को भारत की पहली फीचर फिल्म माना जाता है। कुछ और फिल्मों के भी दावे थे, लेकिन भारत सरकार ने इसे पहली फिल्म माना।
2) राजा हरिश्चन्द्र फिल्म का प्रीमियर ओलम्पिया थिएटर मुंबई में 21 अप्रैल 1913 को हुआ, जिसमें समाज के गणमान्य नागरिक, डॉक्टर, पब्लिक वर्कर, स्कॉलर, जज, समाचार-पत्रों के संपादक आदि को आमंत्रित किया गया।
3) 3 मई 1913 को मुंबई के कोरोनेशन थिएटर में फिल्म रिलीज की गई। उस समय कोई भी फिल्म (मूक फिल्में, शॉर्ट फिल्में) तीन-चार दिन से ज्यादा नहीं चलती थी। राजा हरिश्चन्द्र पूरे तेईस दिन चली जो एक रिकॉर्ड था।
4) शो के टाइम थे- शाम 6 बजे, रात 8 बजे, रात 10 बजे और रात 11.45 बजे। 'द बॉम्बे क्रोनिकल' में फिल्म का विज्ञापन भी दिया जाता था और उसमें लाइन होती थी कि जल्दी देखिए वरना टिकट रेट दोगुने होने वाले हैं।
5) इस फिल्म के निर्माण, निर्देशन और स्क्रीनप्ले लिखने की जवाबदारी दादा साहब फालके ने निभाई थी।
6) फिल्म में दत्तात्रय दामोदार दबके ने हरिश्चन्द्र और अण्णा सालुंके ने हरीश्चन्द्र की पत्नी तारामती की भूमिका निभाई थी।
7) अण्णा सालुंके पुरुष थे और उन्हें महिला पात्र निभाना पड़ा क्योंकि कोई भी महिला फिल्म में काम करने के लिए राजी नहीं हुईं। यहां तक की वेश्याओं ने भी फिल्म में काम करने से मना कर दिया था।
8) अण्णा सालुंके से दादा साहब फालके की मुलाकात एक ढाबे में हुई थी जहां दादा चाय पीने रूके थे। वेटर अण्णा जब चाय लेकर दादा के पास पहुंचे तो दादा ने देखा कि उनकी अंगुलियां नाजुक है और चालढाल में जनानापन है। अण्णा को पांच रुपये महीने मिलते थे। दादा ने पांच रुपये रोज देने का वादा कर अण्णा को अपनी फिल्म की हीरोइन बना दिया।
9) राजा हरिश्चन्द्र में एक फिल्म की तमाम खूबियां हैं। फिल्म का सेट है। आउटडोर लोकेशन है। कास्ट्यूम है और कलाकारों का अभिनय है।
10) भारत के कुछ शहरों में प्रदर्शन के बाद इसे लंदन, कोलंबो और रंगून में भी दिखाया गया।