जया बच्चन ने फिल्म 'जंजीर' में महत्वहीन रोल इसीलिए स्वीकारा था ताकि अमिताभ की इस फिल्म को बड़ा सितारा मिल जाए। जंजीर के पहले रिलीज अमिताभ की अधिकांश फिल्में फ्लॉप रही थीं और जया उनसे बड़ा सितारा थीं।
जया की यह मदद दर्शाती है कि वे अमिताभ को कितना चाहती हैं। जैसे ही जया ने अमिताभ की लाइफ में एंट्री ली उनका सितारा शिखर पर पहुंच गया। वे सुपरस्टार बन गए।
सुपरस्टारडम के इसी दौर में अमिताभ बच्चन ने रेखा के साथ कुछ फिल्में की। तब रेखा काफी आंकी-बांकी थीं। कच्ची थीं। अनगढ़ थीं। व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं था। जीवन के प्रति इतनी समझ नहीं थी। किस तरह से करियर गढ़ा जाए, नहीं जानती थीं।
दूसरी ओर अमिताभ एक पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखते थे। हरिवंश राय और तेजी बच्चन के गुणों का प्रभाव उनमें था। हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ थी। तेजी बच्चन के प्रभाव के कारण वे बेहद व्यावहारिक भी हैं।
विज्ञान में कहा जाता है कि 'पॉजिटिव' 'निगेटिव' की ओर आकर्षित होता है। चुंबक में भी हम यह प्रभाव देखते हैं कि विपरीत ध्रुव एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। यही प्रभाव जिंदगी में भी लागू होता है।
अमिताभ और रेखा बिलकुल अलग थे और इसी बात ने उन दोनों को आकर्षित किया। अमिताभ-रेखा की फिल्में पसंद की जाने लगी और वे लगातार साथ में शूटिंग करते थे। अमिताभ के संपर्क में आकर रेखा में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिला। जैसे किसी पारखी नजर ने उन्हें तराश दिया हो।
वे सुंदर नजर आने लगीं। समझदारी भरी बातें करने लगीं। लोगों को परखना उन्होंने सीख लिया। अमिताभ ने उनका कायाकल्प कर दिया और यह करते-करते वे खुद रेखा पर मोहित हो गए। अक्सर मूर्तिकार अपनी बनाई मूर्ति को चाहने लगता है। फिल्मकार अपनी हीरोइन के किरदार पर मर मिटते हैं।
रेखा और अमिताभ के चर्चे गली-गली गूंजने लगे। इसी को भुनाने के लिए यश चोपड़ा ने 'सिलसिला' बनाई। पहले इस फिल्म में अमिताभ के साथ स्मिता पाटिल और परवीन बॉबी थी, लेकिन बाद में रेखा और जया बच्चन ने फिल्म में जगह ले ली।
कहा जाता है कि जया यह फिल्म करने के लिए तैयार नहीं थीं, लेकिन अमिताभ ने उन पर दबाव डाल कर राजी कर लिया। इस फिल्म में जया की नजरों के सामने रेखा के साथ अमिताभ रोमांस करते नजर आए और संभवत: इनको अभिनय की जरूरत ही नहीं पड़ी। उनके भाव एकदम वास्तविक लगे।
दर्शकों को यह हरकत पसंद नहीं आई और सिलसिला बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटी। लोगों को यह बात रास नहीं आई कि जया जैसी पत्नी के होते हुए उनका प्रिय नायक किसी और से रियल लाइफ में रोमांस करे।
आज भले ही दर्शकों को किसी स्टार की रियल लाइफ से मतलब नहीं होता, लेकिन तब के दर्शकों की सोच काफी अलग थी। आज तो एक अपराधी भी परदे पर ईमानदार व्यक्ति की भूमिका निभाता है और दर्शक तालियां पीटते हैं।
अमिताभ और रेखा के बारे में तो यह भी कहा जाने लगा कि दोनों ने गुपचुप विवाह रचा लिया है। इस रोमांस के चर्चे से जया बच्चन विचलित जरूर हुई होंगी।
बहरहाल भाग्य कुछ और मंजूर था। बेंगलौर में अमिताभ अपने प्रिय निर्देशक मनमोहन देसाई की फिल्म 'कुली' की शूटिंग कर रहे थे।
26 जुलाई 1982 को अमिताभ और पुनीत इस्सर पर बैंगलोर यूनिवर्सिटी केम्पस में एक फाइट सीन फिल्माया जा रहा था। इस फाइट सीन में टाइमिंग गड़बड़ा गई और अमिताभ के पेट में टेबल का कॉर्नर लग गया।
सीन तो उन्होंने पूरा कर लिया लेकिन बाद में उनकी ऐसी हालत हुई कि महीनों तक वे जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे। पूरा देश उनके लिए प्रार्थना कर रहा था।
इस दौरान जया बच्चन ने अपनी मानसिक मजबूती का प्रदर्शन किया। वे साये के साथ अमिताभ के साथ रही। उनकी देखभाल की और व्यवस्था संभाली। अमिताभ मौत के मुंह से वापस लौटे। जया ने जिस तरह से पत्नी धर्म निभाया, इस बात ने उन पर गहरा असर डाला।
अमिताभ 'स्वस्थ' हो गए और यह प्रेम-त्रिकोण टूट गया। रेखा से अमिताभ ने दूरी बना ली, भले ही वे एक-दूजे को आज तक भूला नहीं पाए हों।
कहते हैं कि रेखा तो आज भी अमिताभ के नाम का सिंदूर लगाती हैं। एकतरफा प्रेम करती हैं। अमिताभ के मन की थाह लेना आसान नहीं है।
पुनीत इस्सर की कोई गलती नहीं थी, लेकिन रेखा उनसे नाराज रहती हैं। पुनीत जब बिग बॉस शो का हिस्सा थे तब रेखा भी इस शो में बतौर मेहमान आई थीं और उन्होंने पुनीत की तरफ देखा तक नहीं था।