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असित सेन : टोप, हाफ पेंट धारी और 'घोंघा छाप' संवाद अदायगी वाले हंसोड़ सम्राट

हमें फॉलो करें असित सेन : टोप, हाफ पेंट धारी और 'घोंघा छाप' संवाद अदायगी वाले हंसोड़ सम्राट
, शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020 (12:29 IST)
सबसे अच्छा हास्य कलाकार वह होता है जो खुद हंसे बगैर लोगों को खिलखिलाने पर मजबूर कर दे। असिन सेन इस कसौटी पर खरे उतरते हैं। उन्हें परदे पर देखते ही दर्शकों के पेट में गुदगुदी होने लगती थी खास तौर से महाद्वीपीय आकार वाला उनका शारीरिक भूगोल, कमर की भूमध्य रेखा से झूलती तम्बूनुमा हाफ पेंट और रफ्तार में बैलगाड़ी को मात करने वाली मरियल संवाद अदायगी- दर्शकों की हास्य चेतना पर मार करने वाले अचूक हथियार रहे हैं, जिनसे उन्होंने करीब 250 फिल्मों में अभिनय के जौहर दिखला कर 'हंसोड़ सम्राट' की पदवी पाई। 

कैमरामेन से बने एक्टर 

इंडस्ट्री में 'अशित दा' के नाम से मशहूर असित सेन का जन्म 13 मई 1917 को गोरखपुर में हुआ था। जहां उनके पिता फोटोग्राफर का काम करते थे। कैमरा तकनीक में पारंगत होने के बाद 'असित' बंबई चले आए, और 'बिमल राय' के 'न्यू थिएटर' में कैमरामेन की नौकरी कर ली। 
 
उनके व्यक्तित्व को देखते हुए बिमल ने, अपनी फिल्म 'सुजाता' में एक झक्की प्रोफेसर का रोल दे दिया। असित के अभिनय करियर की यह शुरूआत थी। बिमल राय के सान्निध्य में ही उन्होंने दो फिल्मों 'परिवार' और 'अपराधी कौन' का निर्देशन भी किया।

सौतेला भाई ने किया विख्यात 

'सुजाता' के बाद उन्हें महेश कौल की 'सौतेला भाई' में काम मिला। इसी फिल्म में असित सेन ने अपनी मशहूर 'घोंघा छाप' संवाद अदायगी का पहली बार प्रयोग किया, जो अत्यंत प्रभावशाली रही, और सौतेला भाई से असित एक स्थापित हास्य अभिनेता के रूप में विख्यात हो गए। 
 
असित दा की यादगार फिल्में दुश्मन, धर्मा, गोपीचंद जासूस, बीस साल बाद, जरूरत और जंगली मानी जाती है।  गोपीचंद जासूस में तो उन्होंने राज कपूर के साथ कमाल ही किया था। हिन्दी सिनेमा के इतिहास में इसे सर्वोत्तम हास्य फिल्मों की श्रेणी में रखा गया है। 

विलेनगीरी 

असित सेन की चिरपरिचित छवि को देखते हुए शायद कोई विश्वास न करे किंतु हास्य भूमिकाओं के अलावा वह 'डाग्दर बाबू' तथा कुछ बंगला फिल्मों में विलेन का रोल भी कर चुके हैं। हालांकि 'डाग्दर बाबू', फिल्म के हीरो उत्तम कुमार की मृत्यु हो जाने के कारण पूरी नहीं बन पाई। लेकिन समीक्षकों के अनुसार असित सेन ने इस फिल्म में गजब का प्रभावशाली अभिनय किया था। 18 सितम्बर 1993 को 76 वर्ष का आयु में कोलकाता में इस कलाकार ने अपनी अंतिम सांस ली। 

प्रमुख फिल्में : 

जानवर, मेरे सनम, शहीद (1965), लव इन टोकियो, तीसरी कसम (1966), उपकार (1967), आराधना, इंतकार (1969), आनंद, पहचान, पूरब और पश्चिम (1970), लाल पत्थर, मेरा गांव मेरा देश (1971), अनुराग (1972), अमानुष (1975), बैराग (1976), अनुरोध (1977), तेरे मेरे बीच में (1984), आरपार (1985) 
 
(पुस्तक 'नायक महानायक' से साभार) 

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