पिछले एक-दो साल व्यवसाय की दृष्टि से बॉलीवुड के लिए अच्छे रहे हैं और 2019 भी बेहतरीन रहा। इस साल सफल फिल्मों का प्रतिशत बढ़ा, हालांकि फ्लॉप फिल्मों की संख्या कहीं ज्यादा है। 2019 का सकारात्मक पहलू यह रहा कि 'कंटेंट' स्टार रहा। कंटेंट ड्रिवन फिल्मों का बोलबाला होने के कारण कई बेहतरीन फिल्में देखने को मिली और ये बॉक्स ऑफिस पर सफल भी रही। साफ बात है कि दर्शक भी अब फॉर्मूला फिल्मों से उकता चुके हैं।
आमिर खान और शाहरुख खान जैसे सितारों की कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई। सलमान खान और अजय देवगन बड़ी सफलता नहीं हासिल कर पाए। दूसरी ओर फ्लॉप माने जाने वाले शाहिद कपूर, नवोदित विक्की कौशल और दमदार कलाकार आयुष्मान खुराना ने सफल फिल्में दीं। अक्षय कुमार समझ गए हैं कि कुछ अलग करना होगा और इस कारण उनकी फिल्में भी सफलता हासिल करती रहीं। अनोखी कहानी और प्रस्तुतिकरण के बलबूते पर कुछ फिल्में सफल हुईं।
टिकट के बढ़ते दाम, घटते दर्शक चिंता का विषय हैं। सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की हालत और खराब है क्योंकि उनके दर्शकों के पसंद के अनुरूप फिल्में बहुत कम बन रही है। मल्टीप्लेक्स को साल में कुछ ऐसी फिल्में आकर बचा लेती हैं जो टिकट खिड़की पर अच्छे खासे दर्शक जुटा लेती है। कुल मिलाकर सिनेमाघर तक दर्शकों को खींचना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। बड़े स्टार्स भी अब हांफ जाते हैं।
ब्लॉकबस्टर फिल्में
ब्लॉकबस्टर फिल्में वो होती हैं जिससे फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हर वर्ग को भरपूर पैसा मिले, चाहे वो निर्माता हो, डिस्ट्रीब्यूटर्स हो, सिंगल स्क्रीन के मालिक हों या मल्टीप्लेक्स वाले हों। इन फिल्मों को देखने के लिए खूब दर्शक आते हैं जिससे कैंटीन वाला भी कमा लेता है और साइकल-कार स्टैंड वाला भी। इस कैटेगरी में सरप्राइज देखने को मिला है। उरी द सर्जिकल स्ट्राइक में कोई बड़ा स्टार नहीं था, बावजूद इसके फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार सफलता हासिल की और 244.06 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर सभी को चौंका दिया। फिल्म केवल अपने विषय के बूते पर चली।
शाहिद कपूर ने आखिरी सफल फिल्म कब दी थी वे खुद भूल गए, लेकिन 2019 में रिलीज हुई कबीर सिंह ने बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए 278.24 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। फिल्म की खूब आलोचना भी हुई। इस बारे में काफी लिखा और कहा गया। महिलाओं के खिलाफ यह मानी गई, लेकिन इसे पसंद करने वाले भी कम नहीं थे।
वॉर 2019 की सर्वाधिक कलेक्शन करने वाली फिल्म बनी। 318 करोड़ रुपये का कलेक्शन फिल्म ने किया। हालांकि फिल्म की लागत भी बहुत ज्यादा थी, लेकिन इस फिल्म से सबने कमाया इसलिए इसे ब्लॉकबस्टर कहा गया। यह कमर्शियल फिल्म थी जिसकी स्टोरी लाइन कमजोर थी, लेकिन एक्शन और रितिक-टाइगर के स्टारडम के कारण यह फिल्म खूब चली।
सुपरहिट फिल्में
सुपरहिट फिल्मों की श्रेणी में आयुष्मान खुराना का बोलबाला रहा। उनकी बाला और ड्रीमगर्ल दोनों ही फिल्म सुपरहिट रही। बाला में जहां एक ऐसे युवा की कहानी थी जिसके बाल कम उम्र में ही झड़ जाते हैं और इस वजह से उसकी शादी नहीं हो पाती। साथ ही सांवली लड़कियों को भी समाज किस तरह से देखता है, यह भी फिल्म में दर्शाया गया।
ड्रीमगर्ल में आयुष्मान ऐसे युवा बने जो कॉल सेंटर से लड़कियों की आवाज में बात करता है और लड़के उसके दीवाने हो जाते हैं। दोनों ही फिल्मों को सराहा गया और सफल भी रहीं।
मिशन मंगल में कई सितारे थे और रिलीज के पहले किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि यह फिल्म इतनी सफल रहेगी। फिल्म की कहानी में बड़ी खामियां थीं, लेकिन प्रस्तुतिकरण मजेदार होने के कारण दर्शकों का मनोरंजन इस फिल्म से हुआ और उन्होंने खामियों की तरफ ध्यान नहीं दिया।
हिट फिल्में
यहां भी कंटेंट का बोलबाला है। हाउसफुल 4 को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर फिल्मों ने अपने विषय और कहानी के बूते पर सफलता पाई। केसरी, बदला, आर्टिकल 15, गली बॉय, बाटला हाउस, लुका छिपी, पति पत्नी और वो, छिछोरे और द ताशकंद फाइल्स खूब पसंद की गई।
साहो का हिंदी वर्जन सफल रहा। लुका छिपी और पति पत्नी और वो कॉमेडी फिल्में थीं। आर्टिकल 15 मुद्दापरक। केसरी में इतिहास में घटी गौरवगाथा को दर्शाया गया। बदला में थ्रिल था। द ताशकंद फाइल्स में उन बातों पर प्रकाश डाला गया जो अंधेरे में छिपी थीं। गली बॉय एक अलग तरह की फिल्में थी। इन फिल्मों का बजट कहानी और बॉक्स ऑफिस पर संभावना को देखते हुए तय किया गया और नतीजा बेहतरीन रहा।
औसत फिल्में
इस श्रेणी में शामिल फिल्मों ने लागत पर थोड़ा मुनाफा कमाया। कुछ को विभिन्न राइट्स की कीमतों ने बचाया। अजय देवगन की दे दे प्यार दे को उम्मीद से कम कामयाबी मिली। टोटल धमाल ने अच्छा बिज़नेस किया, लेकिन ज्यादा लागत होने के कारण इसकी सफलता औसत रही।
मरजावां एक कमजोर फिल्म थी। ईद पर रिलीज भारत का बिज़नेस सलमान की ख्याति के अनुरूप नहीं रहा। मर्दानी 2, कमांडो 3, सुपर 30, पीएम नरेंद्र मोदी, ठाकरे की सफलता औसत रहीं।
फ्लॉप फिल्में
फ्लॉप फिल्मों की सूची तो बहुत लंबी है, लेकिन बात करते हैं उन फिल्मों की जिनसे बहुत आशा थी। कलंक, जबरिया जोड़ी, इंडियाज मोस्ट वांटेड, पानीपत, स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जजमेंटल है क्या, मेड इन चाइना, रोमियो अकबर वॉल्टर, पागलपंती, खानदानी शफाखान, लाल कप्तान, गेम ओवर, सांड की आंख, ज़ोया फैक्टर, अर्जुन पटियाला, द स्काई इज़ पिंक, मणिकर्णिका, पल पल दिल के पास वो फिल्में हैं जो आशा को पूरी नहीं कर पाईं।
इसमें सांड की आंख, गेम ओवर और मणिकर्णिका जैसी फिल्में भी हैं जो अच्छी होने के बावजूद विभिन्न कारणों से चल नहीं पाईं। पर ज्यादातर फिल्में असफल होने के लायक ही थीं। दर्शक अब अपना फैसला स्पष्ट तरीके से दर्शाने लगे हैं।
हॉलीवुड का दबदबा
साल दर साल हॉलीवुड फिल्मों का दबदबा भी बढ़ता जा रहा है। क्या आप यकीन करेंगे कि अवेंजर्स : एंडगेम के डब वर्जन का भारत से बिज़नेस 365.50 करोड़ रहा। इतना बिज़नेस तो किसी हिंदी फिल्म ने भी इस वर्ष नहीं किया।
जुमांजी द नेक्स्ट लेवल, फ्रोज़न 2, जोकर, फास्ट एंड फ्यूरियस : हॉब्स एंड शॉ, द लॉयन किंग, स्पाइडर मैन: फॉर फ्रॉम होम, एनाबेल कम्स होम, अलादीन, कैप्टन मार्वल ने भी अच्छे खासे दर्शक बटोरे। अब हॉलीवुड फिल्में हिंदी फिल्मों को जोरदार टक्कर देने लगी हैं और इनकी पहुंच अब भारत के भीतरी इलाकों में भी होने लगी है।
सामने आए टिनी स्टार्स
बड़े सितारों में ज्यादातर का प्रदर्शन फीका रहा। आमिर खान, शाहरुख खान, रणबीर कपूर की कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई। अजय देवगन की फिल्मों का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा। यही हाल सलमान खान का भी रहा। उनकी फिल्मों ने उनके स्टारडम के अनुरूप सफलता नहीं पाई। बड़े स्टार्स में अक्षय कुमार छाए रहे जिनकी तीन फिल्मों ने शानदार कामयाबी हासिल की। गुड न्यूज की भी हिट होने की संभावना है।
रितिक रोशन ने लंबे समय बाद बड़ी सफलता हासिल की। 'वॉर' ब्लॉकबस्टर रही और सुपर 30 भी पसंद की गई। इन दोनों फिल्मों की सफलता से रितिक के अंदर का अभिनेता जागा है और अब वे ज्यादा से ज्यादा फिल्म करेंगे। वरुण धवन अपनी 'चॉइस' का खामियाजा भुगत रहे हैं। 'कलंक' जैसी फिल्म ने उन्हें दौड़ में पीछे धकेल दिया है।
अब नए टिनी स्टार्स उभर गए हैं जो बड़े स्टार्स की चमक को फीका कर रहे हैं। आयुष्मान खुराना दनादन हिट दे रहे हैं। इस वर्ष रिलीज उनकी तीनों फिल्में सफल रहीं। क्रिटिक्स से लेकर आम जनता तक उनकी फिल्मों के दीवाने हैं। कार्तिक आर्यन भी तेजी से उभरे हैं और 2019 में उनका कद काफी ऊंचा हुआ है।
विक्की कौशल ने भी उरी जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म देकर दर्शाया है कि आने वाले समय में वे भी चुनौती देने के लिए तैयार हैं। रणवीर सिंह की गली बॉय हिट रही। जॉन अब्राहम ने भी अपना दबदबा कायम रखा है। सुशांत सिंह राजपूत और शाहिद कपूर को खत्म मान लिया गया था, लेकिन उन्होंने जोरदार तरीके से इस वर्ष वापसी की है।
अमिताभ बच्चन इस उम्र में भी हिट फिल्म दे रहे हैं। अर्जुन कपूर तेजी से नीचे पहुंच गए हैं। उनकी फिल्में लगातार पिट रही हैं। राजकुमार राव इस साल खाली हाथ रहे। टाइगर श्रॉफ बराबरी पर रहे। वॉर हिट रही तो स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 फ्लॉप।
परदे की परियां
हीरोइनों की कमी बॉलीवुड महसूस कर रहा है। बड़े स्टार्स के अपोजिट नायिकाओं की कमी खासी खल रही है। दीपिका पादुकोण और अनुष्का शर्मा ने शादी के बाद फिल्म करना बहुत कम कर दिया है। दोनों की एक भी मूवी नहीं आई। प्रियंका चोपड़ा की तीन वर्ष बाद कोई हिंदी फिल्म रिलीज हुई।
आलिया भट्ट ने भी काम की स्पीड घटा दी है और इस साल वे महज दो फिल्मों में नजर आईं। तापसी पन्नू और भूमि पेडणेकर इस वर्ष छाई रहीं। एक सशक्त अभिनेत्रियों के रूप में उन्होंने तेजी से पहचान बनाई है और जब भी किसी किरदार के लिए दमदार अभिनेत्रियों की जरूरत पड़ती है तो इन दोनों को याद किया जाता है।
कृति सेनॉन कमर्शियल फिल्मों के जरिये आगे बढ़ रही हैं और यह वर्ष उनके लिए अच्छा रहा। सोनाक्षी सिन्हा की फिल्में तो खूब आईं लेकिन वे कोई असर नहीं छोड़ पाईं। श्रद्धा कपूर के खाते में दो हिट फिल्में आई हैं, वे बहुत चर्चा में नहीं रहती हैं, लेकिन फिल्में लगातार उन्हें मिल रही हैं। परिणीति चोपड़ा फ्लॉप पर फ्लॉप दिए जा रही हैं।
सोनम कपूर की दो फिल्में रिलीज हुईं जो कि असफल रहीं। वैसे भी अब उनका मन फिल्मों में कम लगता है। कंगना रनौट कुछ हट कर करने में विश्वास रखती हैं। फिल्में भी उनकी उसी तरह की ही आती हैं, लेकिन इस साल उनके हाथ असफलता लगी। विद्या बालन अब कभी-कभी ही नजर आती हैं।
किआरा आडवाणी और अनन्या पांडे ने इस साल अपनी स्थिति मजबूत की है और आने वाले समय में उनका दबदबा नजर आ सकता है। रानी मुखर्जी ने मर्दानी 2 के जरिये प्रभाव छोड़ा, लेकिन वे बहुत ज्यादा सिलेक्टिव हैं। तारा सुतारिया भी अपनी पहचान बना रही हैं, हालांकि वे दो फिल्मों में खास असर नहीं छोड़ पाईं।