दिलीप कुमार ने अपनी पसंदीदा अभिनेत्रियों के साथ काम किया, जिनमें से कामिनी कौशल और मधुबाला से उनके अंतरंग रिश्ते बने। देव आनंद से प्रेम करने वाली सुरैया ऐसी समकालीन अभिनेत्री थीं, जिन्होंने दिलीप कुमार के साथ काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जबकि ऐसी कई अभिनेत्रियाँ आपको मिल जाएँगी, जो जीवन में एक बार, सिर्फ एक बार दिलीप कुमार की नायिका बनने की मुराद रखती थीं।
अभिनेत्री नूतन अपनी युवावस्था में दिलीप के साथ नायिका नहीं बन सकीं। दिलीप-नूतन को लेकर एक फिल्म (शिकवा) का काम शुरू हुआ था, लेकिन वह फिल्म अधूरी रही। वर्षों बाद 1986 में सुभाष घई ने इन्हें अपनी फिल्म 'कर्मा' में अधेड़ पति-पत्नी के रूप में पेश किया। 1989 में 'कानून अपना-अपना' में भी वे साथ आए। दिलीप कुमार ने सर्वाधिक (सात-सात) फिल्में नरगिस और वैजयंतीमाला के साथ की।
नरगिस के साथ वे 1948 से 51 के बीच अनोखा प्यार, मेला, अंदाज, बाबुल, जोगन, दीदार और हलचल में आए। वैजयंतीमाला के साथ उन्होंने 1955 से 1968 के बीच जो फिल्में की, उनके नाम इस प्रकार हैं : देवदास, नया दौर, मधुमती, पैगाम, गंगा-जमना, लीडर और संघर्ष।
इनके बाद वे छह अभिनेत्रियाँ हैं, जिनके साथ दिलीप ने चार-चार फिल्में की। ये हैं कामिनी कौशल, मधुबाला, मीना कुमारी, निम्मी, वहीदा रहमान और सायरा बानो।
कामिनी कौशल के साथ दिलीप के रोमांस के किस्से खूब उड़े थे। इनकी ये चार फिल्में 1948 से 50 के बीच प्रदर्शित हो गई थीं। ये हैं : नदिया के पार, शहीद, शबनम और आरजू। यह वही समय था, जब वे नरगिस के साथ द्वितीय अभिनेत्री थीं, जबकि 'आन' में नादिरा उनके साथ द्वितीय नायिका बनीं। ये सब 1955 से पहले की फिल्में हैं।
1957 में बीआर चोपड़ा की फिल्म 'नया दौर' से दिलीप कुमार ने सचमुच में अपनी अभिनय-यात्रा का नया दौर शुरू किया था, जिस दौर में उनकी अपनी सिटीजन फिल्म्स की 'गंगा-जमना' भी शामिल थी। इस दौर में वैजयंतीमाला उनकी प्रमुख नायिका थीं। इस बीच वहीदा रहमान के साथ उन्होंने 1966, 67 और 68 में लगातार तीन फिल्में दीं। ये थीं- दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम और आदमी। राम और श्याम हर दृष्टि से एक जीवंत फिल्म थी। वहीदा के साथ चौथी फिल्म 'मशाल' उन्होंने अस्सी के दशक में की। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने बुजुर्ग रोल किया था।
सायरा बानो ने गोपी, बैराग, सगीना और दुनिया फिल्मों में काम किया। इनमें से पहली तीन फिल्में सत्तर के दशक में प्रदर्शित हुई थीं, जबकि अंतिम 1984 में आई। कमोबेश यह कहा जा सकता है कि नायिका सायरा बानो ने दिलीप कुमार का नायक का दर्जा कायम रखने में अपने शौहर का अच्छा साथ निभाया।
नलिनी जयवंत और नूतन सिर्फ दो फिल्मों में दिलीप के साथ आईं। नलिनी जयवंत को भी निम्मी की तरह आजकल के लोग कम ही पहचानते हैं। हिरनी जैसी बड़ी-बड़ी आँखों वाली नलिनी अशोक कुमार की प्रिय नायिकाओं में गिनी जाती थीं। उन्होंने दिलीप-नरगिस की सबसे पहली फिल्म 'अनोखा प्यार' में द्वितीय नायिका की भूमिका निभाई थी, जबकि 1953 में प्रदर्शित रमेश सैगल की फिल्म 'शिकस्त' में वे पूर्णकालिक नायिका थीं।
करीब एक दर्जन अभिनेत्रियों ने दिलीप कुमार के साथ सिर्फ एक ही फिल्म की, जबकि उनमें से कई ने अन्य अभिनेताओं के साथ दर्जनों फिल्में की। उनकी पहली तीन फिल्मों की नायिकाओं की शक्ल तक अब किसी को याद नहीं होगी।
ये हैं- ज्वार-भाटा की मृदुला, 'प्रतिमा' की स्वर्णलता और 'मिलन' की मीरा मिश्रा। 'जुगनू' की नूरजहाँ को इसलिए जाना जाता है, क्योंकि वे आला दर्जे की गायिका थीं। 'घर की इज्जत' में उनके साथ मुमताज शांति थीं। 'देवदास' में उनके साथ वैजयंतीमाला के अलावा सुचित्रा सेन भी थीं। दक्षिण भारत की उनकी यह फिल्म 'इंसानियत' में बीना रॉय नायिका थीं। 'दास्तान' की नायिका शर्मिला टैगोर थीं।