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राज कपूर, नरगिस और कृष्णा कपूर के बारे में: प्यार बांटते चलो, राज कपूर की हीरोइन

हमें फॉलो करें राज कपूर, नरगिस और कृष्णा कपूर के बारे में: प्यार बांटते चलो, राज कपूर की हीरोइन

WD Entertainment Desk

, बुधवार, 11 दिसंबर 2024 (19:50 IST)
राज कपूर की रचना प्रक्रिया का एक अविभाज्य हिस्सा उनकी नायिकाएँ रही हैं, लेकिन रील लाइफ और रियल लाइफ को उन्होंने अलग-अलग बनाए रखा। इसमें उनकी धर्मपत्नी कृष्णा का भी योगदान रहा। वे अभिनेता प्रेमनाथ की बहन और रीवा रियासत के पुलिस महाधीक्षक करतारनाथ मल्हौत्रा की पुत्री हैं। करतारनाथ पृथ्वीराज कपूर के मामा थे। राज कपूर प्रेम के असाध्य रोगी थे। बचपन में अपने पिता से मिलने आई एक शुभ्रवस्त्रावता स्त्री का सौंदर्य देखकर उनके होश उड़ गए थे। स्कूलमें अध्यापिका से एकांगी प्रेम की दास्तान उन्होंने 'मेरा नाम जोकर' में पेश की है। मुंबई में युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही वे अभिनेत्री हेमावती से प्रेम करने लगे, जो जेल यात्रा (1947) में उनकी सह-अभिनेत्री थीं। हेमावती ने उनका दिल तोड़ दिया और अभिनेता सप्रू का वरण किया तो पापा ने कृष्णा से संबंध जोड़कर इस समस्या को निबटाया। लेकिन शायद यह जिंदगी भर का रोग था। राज कपूर और नरगिस की प्रेम गाथा पीढ़ी दर पीढ़ी लोग पढ़ते चले आ रहे हैं। 
 
गली-गली में न‍रगिस-राज कपूर
नरगिस 1943 में 14 साल की उम्र में अभिनेता मोतीलाल के साथ पहली बार नायिका बनी थीं। उन्हें वास्तविक ब्रेक राज कपूर ने अपनी पहली फिल्म 'आग' और महबूब ने 'अंदाज' (1949) में दिया। 'अंदाज' में वे आधुनिका के रूप में आईं, जिन्हें दिलीप कुमार और राज कपूर दोनों चाहते हैं। नरगिस अन्य बैनरों की फिल्मों में में अन्य अभिनेताओं के साथ आती रहीं, पर अंतत: 'आवारा' (1951) से आर.के.कैम्प की होकर रह गईं। 
 
'जागते रहो' (1956) तक उन्होंने राज कपूर के साथ कुल 16 फिल्मों में काम किया। लगभग इसी समय निर्माता-निर्देशक महबूब उन्हें 'मदर इंडिया' (1957) के लिए ले गए, तो घटनाओं ने ऐसा मोड़ लिया कि फिण नरगिस और राज कपूर साथ-साथ काम नहीं कर सके। नरगिस के बारे में राज कपूर ने अपनी भावनाओं को कभी नहीं छुपाया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था - 'नरगिस मेरी प्रेरणा और स्फूर्ति रही हैं, लेकिन नरगिस सबसे ज्यादा मायने रखती थी। मैं उससे कहा करता था कि कृष्णा मेरे बच्चों की माता है, तुम मेरी फिल्मों की जननी बन जाओ।' 
 
नरगिस के बाद पद्‍मिनी और वैजयंतीमाला उनकी प्रिय नायिकाएँ रहीं। मीना कुमारी, माला सिन्हा, वहीदा रहमान जैसी अभिनेत्रियों के साथ उन्होंने काम किया, जिनसे राज कपूर के रिश्तों के बारे में काफी कौतूहल बना। इस बारे में ‍शशि कपूर ने एक बार कहा था कि राज कपूर भगवान कृष्ण के आधुनिक अवतार हैं। यह कहना कि राज कपूर और उनकी नायिकाएँ एक-दूसरे से प्यार करते हैं, पूरा सच नहीं है। हकीकत यह है कि वे पूरी यूनिट से प्यार करते हैं और पूरी यूनिट उन्हें प्यार करती है।
 
राज कपूर विलक्षण हैं। कोई भी उन्हें किसी चीज से इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि वे भी किसी को कभी 'ना' नहीं कहते। बहरहाल, यह जानना दिलचस्प होगा कि प्रेम के बारे में राज कपूर का दर्शन क्या था और नरगिस तथा कृष्णा के बारे में उनके क्या विचार थे। 
 
प्यार बाँटते चलो
राज कपूर ने कहा था : 'दुनिया में प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं। इसे फैलाते रहना चाहिए। इससे जिंदगी बेहतर बनती है। स्वार्थ संकीर्ण प्रेम है, इससे किसी का फायदा भले हो जाए, पर महत्व घट जाता है। मैं एक असाध्य रोमांटिक हूँ, प्रेम की अवधारणा से अभिभूत हूँ। यह मेरे व्यक्तित्व का हिस्सा है। इसीलिए मैं उत्कट प्रेम संबंधी फिल्में बनाता हूँ। सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब में होता है और बिरले ही यह रोग बन पाता है। इसका इलाज असंभव है। प्रेमी ईश्वर और प्रेमिका का भेद भूल जाता है। मैं चाहता हूँ मेरे दर्शक प्यार को सिर्फ देखें ही नहीं, महसूस भी करें। दृश्य सुंदर होना चाहिए। लड़का लड़की सुंदर होने चाहिए। सुंदरता ही प्रेम की आत्मा होती है।'
 
'प्रेम के कई रूप हैं। दु:ख-दर्द में स्वाहा हो जाने वाले प्रेम में मेरी रुचि नहीं है। इसे मैंने एक बार फिल्म 'आह' में आजमाया था, जिसमें बुरी तरह विफल रहा। मुझे उदात्त प्रेम चाहिए। सफलता मेरा सिद्धांत है। मैंने लोगों को, चीजों को, स्थानों को, फूलों को, पहाड़ियों को और अपने परिवेश को बहुत चाहा। प्रेम से रचनात्मकता को बल मिलता है। व्यापार-व्यवसाय की दुनिया में भी प्रेम चमत्कारिक परिणाम दे सकता है। नफरत के साथ सौदेबाजी नहीं हो सकती। आजकल फिल्मों में गुस्सा, नफरत, हिंसा, प्रतिशोध (बदले की भावना) और कटुता बहुत बढ़ गई है। मेरी फिल्में प्रेम के आसपास मँडराती रहीं। मैं अपने आप को खुश करने के लिए फिल्में बनाता हूँ - स्वांत: सुखाय। अगर इन फिल्मों से मुझे खुशी होती है, तो समझो दूसरे भी इसे पसंद करेंगे।'
 
नरगिस के बारे में
'जब मैंने अपनी पहली फिल्म 'आग' (1948 ) बनाई तब तक मैं पति और पिता बन चुका था। मैं बाईस साल का था और नरगिस सोलह की। हुआ यूँ कि मैंने महालक्ष्मी स्थित फैमस स्टूडियो में 'आग' की शूटिंग का निश्चय किया था।
 
यह स्टूडियो शिराज अली हाकिम ने नया-नया ही बनवाया था। बहुत कम निर्माताओं ने इसका उपयोग किया था। मैं इस स्टूडियो की अकॉस्टिक-क्वालिटी परखने के लिए गया था। मुझे पता चला कि जद्‍दनबाई (नरगिस की माता) यहाँ 'रोमियो-जुलियट' की शूटिंग करवा चुकी हैं। इसलिए मैं उनसे मिलने उनके मरीन ड्राइव स्थित फ्लैट पर गया। मैंने घंटी बजाई तो उनकी बेटी ने द्वार खोला। वह किसी परी से कम नहीं थी। बालों की एक लट उसकी दायीं आँख पर आई और लगा कि वह सिर्फ एक आँख से मुझे देख रही है। वह भजिए बनाने में लगी थी। उसका एक हाथ बेसन से सना था और अचकचाहट में उसने वही हाथ अपनी पेशशनी में लगा लिया था, जिससे उसका माथा सन गया था। 
 
मैंने कहा - मैं पृथ्‍वीराज कपूर का बेटा हूँ, तब यही मेरी पहचान थी। उसने कहा कि वह मुझे जानती  है, क्योंकि उसने मुझे 'दीवार' नाटक के मंच पर देखा था। उसने बताया कि बीबीजी (जद्‍दनबाई) घर पर नहीं है। घर में कोई नहीं है, मैं अकेली हूँ। उसने मुझे अंदर चलकर बैठने का कहा, लेकिन मैं चला आया। मैं उसे पीछे ही नहीं छोड़ आया था। उसकी छवि मेरी आँखों में बस गई थी। मैं सीधे कार से अंदर राज आनंद के पास गया और कहा कि लड़की मेरी फिल्म में होनी चाहिए। 
 
तुम फिल्म की कहानी में उसका रोल डालो। 'आग' में उसकी झलक पाने के लिए दर्शकों को खासा इंतजार करना पड़ा। वह नौवीं रील में परदे पर आई थी।' 
 
'मेरे पास नरगिस और उसके साथ काम करने की बहुत सुंदर यादें हैं। उसकी आकृति, उसकी चाल और उसकी बोली में एक खास लुभावनापन था। आप उसे 'चाहे जो रोल' नहीं दे सकते थे, वह काफी ग्रहणशील थी। वैसी क्षमता वाले लोग अब कहाँ? हम दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह समझते थे। मैं उसके प्रति अपनी भावनाओं का ठीक-ठीक बयान नहीं कर सकता। मैं उसे बहुत पसंद करता था, लेकिन यह सिर्फ प्यार नहीं था। यह दो कलाकारों का एक-दूसरे के प्रति अहसास था। उसने जब मेहबूब की फिल्म 'मदर इंडिया' साइन की, तब शायद वह अपने जीवन की सबसे बड़ी दुविधा का हल ढूँढ चुकी थी कि हमारे संबंधों का कोई भविष्य नहीं है।'
 
कृष्णा के बारे में 
'क्या आपको मालूम है कि कालिदास ने आदर्श पत्नी के क्या-क्या गुण बताए हैं? उसे अपने पति की मित्र, पथ-प्रदर्शक और दार्शनिक होना चाहिए। दुख में सहारा देने वाली बीमारी में तीमारदारी करने वाली होना चाहिए। कृष्णा में ये सब गुण थे। कृष्णा मेरी शक्ति है। उसने अर्धांगिनी का कर्तव्य पूरी तरह निभाया। भले-बुरे में साथ निभाया। वह मेरी एंकर है। कृष्णा जैसी पत्नी भाग्यशाली लोगों को ही मिलती है। 
 
मेरे परिवार के बुजुर्गों ने उससे शादी कर लेने को कहा था। उसे देखने के लिए मैं उनके घर इस बहाने से गया था कि 'आग' फिल्म के रोल के बारे में प्रेमनाथ से बात करनी है। जब मैं उसके घर पहुँचा तब सितार बज रहा था। मैं उस कमरे की तरफ गया, जहाँ से आवाज आ रही थी। दरवाजे पर पहुँचकर मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया। यह खूबसूरत युवती संगीत की आराधना में खोई हुई थी। 
 
पहली ही नजर में मुझे उससे प्यार हो गया। मैंने उसे जो भी तकलीफें दीं, उसके लिए मुझे दुख है, पर क्या करूँ, मेरा व्यवसाय ही ऐसा रहा कि भावनात्मक उलझनें आती-जाती रहीं। हमारे जैसे लोगों की पत्नियों को कृष्णा की तरह समझदार होना चाहिए। उन्होंने मेरा घर बनाया, बसाया, सजाया और सँवारा।
 
ईमानदारी की बात तो यह है कि मैं कभी भी एक अच्छा पारिवारिक आदमी नहीं बना और अगर मेरा परिवार है तो इसका सारा श्रेय श्रीमती राजकपूर को जाता है। उसने मुझे खूब बर्दाश्त किया और अपने जीवन में मैंने जो कुछ भी किया, सब उसकी बदौलत है। कभी-कभी हमारे संबंधों में खटास भी आई, लेकिन हम सदा साथ रहे। इसका श्रेय भी उसे ही है। वह बहुत दयालु और सहनशील स्त्री है। वह मेरे माता-पिता की महान बहू है, जिसने उनकी अच्छी देखभाल की।

राज कपूर और उनकी फिल्मों में उनकी नायिकाएं 
 
* नरगिस : आग/अंदाज/बरसात/जान-पहचान/प्यार/आवारा/अम्बर/अनहोनी/ आशियाना/बेवफा/आह/धुन/पापी/श्री 420/चोरी-चोरी और जागते रहो। 
 
* मधुबाला : नीलकमल/चित्तौड़ विजय/दिल की रानी/जेलयात्रा/ अमर प्रेम/दो उस्ताद
 
* नूतन : अनाड़ी/कन्हैया/छलिया/दिल ही तो है।
 
* माला सिन्हा : परवरिश/फिर सुबह होगी/मैं नशे में हूँ।
 
* पद्‍मिनी : जिस देश में गंगा बहती है/आशिक/मेरा नाम जोकर।
 
* वैजयंती माला, रेहाना, निम्मी, कामिनी कौशल, मीना कुमारी, वहीदा रहमान और जीनत अमान के साथ राज कपूर ने दो-दो फिल्में की हैं - वैजयंती माला (नजराना, संगम) * रेहाना (सुनहरे दिन, सरगम) * निम्मी (बरसात, भँवरा) * कामिनी कौशल (जेल यात्रा, आग) * मीना कुमारी (शारदा, चार दिल चार राहें) * वहीदा रहमान (एक दिन सौ अफसाने, तीसरी कसम) * जीनत अमान (गोपीचंद जासूस, वकील बाबू)
 
* सिर्फ एक फिल्म : नंदा (आशिक)। तृप्ति मित्रा (गोपीनाथ)। गीताबाली (बावरे नैन)। सुरैया (दास्तान)। शकीला (श्रीमान सत्यवादी)। साधना (दूल्हा-दुल्हन)। सायरा बानो (दीवाना)। राजश्री (अराउंड द वर्ल्ड)। हेमामालिनी (सपनों का सौदागर)। निगार सुल्ताना (आग)। सिमी (मेरा नाम जोकर)।
 
(राज कपूर ग्रेटेस्ट शोमैन: फिल्म संस्कृति से साभार) 

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