पटना के सुशांत सिंह राजपूत का जीवन मात्र 34 वर्ष का रहा। उनके जीवन पर नजर दौड़ाई जाए तो उन्हें ढेर सारी सफलताएं मिलीं। पढ़ाई के क्षेत्र में झंडे गाड़ दिए। लोगों से एक इंजीनियरिंग एंट्रेंस एक्ज़ाम क्लियर नहीं होती, सुशांत ने सात-सात एक्ज़ाम पार कर ली।
पढ़ाई करते-करते एक डांस क्लास में दाखिला ले लिया। डांस में इतने माहिर हो गए कि फिल्म फेअर अवॉर्ड्स में बैकग्राउंड डांसर बने। कॉमनवेल्थ गेम्स में डांस करने का मौका मिला।
इसी बीच एक्टिंग का चस्का लगा जो इंजीनियरिंग पर भारी पड़ा तो चार साल का कोर्स थर्ड ईयर के बाद ही छोड़ दिया और अभिनय की दुनिया में जा पहुंचे। पहला विज्ञापन किया और लोकप्रिय हो गए।
टीवी की दुनिया में ऐसे छाए कि घर-घर पहचाने जाने लगे। फिर अचानक टीवी धारावाहिक को छोड़ने का फैसला लिया और बड़े परदे पर किस्मत आजमाने पहुंच गए। वहां भी सफलता मिली। काई पो छे, पीके, छिछोरे, एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी जैसी फिल्में छोटे से करियर में कर ली। यानी कि जहां चाहा वहां सफलता मिली।
इसके बावजूद सुशांत अधूरे रह गए और आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। छिछोरे में सुशांत ने ऐसे पिता का रोल निभाया था जिसका बेटा असफलता से घबराकर आत्महत्या करने का प्रयास करता है। पिता बने सुशांत समझाते हैं कि आत्महत्या ही एकमात्र विकल्प नहीं है। क्या सुशांत रियल लाइफ में छिछोरे में अपने बेटे के किरदार के ज्यादा निकट नहीं थे?
अब तक उन्होंने सफलता ही सफलता देखी। चाहे वो पढ़ाई हो, डांस हो, टीवी हो या फिल्म हो। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि जीवन खत्म करने पर मजबूर हुए। हो सकता है कि उनके जीवन में कुछ अनहोनी हुई हो, असफलता मिली हो, जो चाहा वो नहीं हो पाया हो और इसलिए वे आत्महत्या कर बैठे।
दरअसल सुशांत भी छिछोरे में अपने बेटे के किरदार जैसे ही थे। अब तक सफल होते आए थे और असफलता या निराशा मिलते ही यह कदम उन्होंने उठा लिया। साथ ही सुशांत लगातार और अचानक परिवर्तन करते रहे।
इंजीनियरिंग अधूरी छोड़ी और अभिनय में आ गए। टीवी अचानक छोड़ा और फिल्मों में आ गए। फिल्मों में लंबे समय तक टिके रहे और आगे कुछ नजर नहीं आया तो संभव है कि निराशा छा गई।
उनके जीवन की ये घटनाएं उनके आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता के साथ-साथ अधीरता को भी दिखाती है और शायद यही अधीरता हावी हो गई हो।
सुशांत का जन्म 21 जनवरी 1986 को पटना में हुआ था। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स के लिए उनका दाखिला हुआ। वे अपनी मां के बहुत निकट थे। जब वे 15-16 साल के थे तब मां नहीं रही और इससे सुशांत को गहरा धक्का पहुंचा। इसके बाद उनका परिवार पटना से दिल्ली शिफ्ट हो गया।
पढ़ाई करते-करते सुशांत ने श्यामक डावर की डांस क्लास में दाखिला ले लिया और बेहतरीन डांस करने लगे। इस दौरान उन्हें कई बड़े प्लेटफॉर्म्स पर डांस करने का अवसर मिला। सुशांत ने देखा कि उनके डांस क्लासेस के साथी एक्टिंग भी सीखते हैं तो सुशांत को भी एक्टिंग का चस्का लग गया। नादिरा बब्बर की क्लास के वे स्टूडेंट बन गए।
डांस, एक्टिंग और पढ़ाई का साथ-साथ चलना मुश्किल था। सुशांत ने थर्ड ईयर में पढ़ाई से नाता तोड़ लिया। यह उनका आत्मविश्वास ही था कि वे एक अच्छा भला करियर छोड़ ऐसे क्षेत्र में दाखिल हुए जहां पर सफलता का प्रतिशत बहुत कम होता है।
बालाजी टेलीफिल्म्स वालों ने सुशांत सिंह राजपूत को एक नाटक में देखा और सुशांत की एक्टिंग से प्रभावित हुए। उन्होंने राजपूत को अपने धारावाहिक 'किस देश में है मेरा दिल' में एक रोल ऑफर किया।
सुशांत ने इस शो के लिए हामी भर दी। यह किरदार कुछ एपिसोड बाद मारा जाता है। सुशांत का काम खत्म हो गया, लेकिन अपनी एक्टिंग से उन्होंने इस किरदार को इतना लोकप्रिय कर दिया कि दर्शक इस किरदार की मौत से दु:खी हो जाते हैं।
दर्शकों की यह हालत देख सुशांत को एक बार फिर सीरियल में एक आत्मा के रूप में एंट्री दी जाती है। ऐसा उदाहरण बिरला ही है।
जून 2009 में सुशांत को जी टीवी का धारावाहिक 'पवित्र रिश्ता' मिला। इसमें उनके साथ अंकिता लोखंडे थी। दोनों की जोड़ी बहुत लोकप्रिय हुई और सुशांत घर-घर पसंद किए जाने वाले चेहरे बन गए।
पवित्र रिश्ता में सुशांत ने मानव देशमुख नामक मैकेनिक का किरदार निभाया था जो बहुत सुलझा हुआ शख्स रहता है और अपने परिवार की यथासंभव मदद करता है। कई अवॉर्ड्स सुशांत को इस धारावाहिक के लिए मिले। साथ में कुछ डांस रियलिटी शोज़ भी सुशांत करते रहे।
दो साल बाद अचानक सुशांत ने पवित्र रिश्ता छोड़ने का निर्णय ले लिया। उन्हें लगा कि उनका विकास बतौर अभिनेता इस शो के जरिये रूक गया है। वे अब फिल्मों में जाना चाह रहे थे और पवित्र रिश्ता उन्हें पैर में बंधी बेड़ी महसूस हो रहा था।
फिल्म निर्देशक अभिषेक कपूर, चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित फिल्म काई पो छे (2013) बना रहे थे। उन्हें नए कलाकारों की जरूरत थी। सुशांत इस फिल्म के लिए चयनित हो गए। यह फिल्म दर्शकों के साथ-साथ फिल्म समीक्षकों को भी पसंद आई।
फिल्म समीक्षकों ने राजपूत के अभिनय की तारीफ करते हुए उन्हें आत्मविश्वास से भरपूर और शानदार स्क्रीन प्रेजेंस वाला कलाकार बताया। इसी बीच उन्हें यशराज फिल्म्स की 'शुद्ध देसी रोमांस' (2013) मिली। इतने बड़े बैनर की फिल्म का हिस्सा बनना सुशांत के लिए बहुत बड़ी बात थी। लेकिन यह फिल्म असफल रही, हालांकि सुशांत के अभिनय की खूब प्रशंसा हुई।
इसी बीच 2014 में रिलीज हुई ब्लॉकबस्टर फिल्म पीके में भी सुशांत नजर आए। राजकुमार हिरानी की फिल्म में उन्होंने सरफराज़ युसूफ नामक किरदार निभाया जो कि अनुष्का शर्मा का प्रेमी रहता है। आमिर और अनुष्का जैसे कलाकारों के बीच छोटे से रोल में भी सुशांत अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। इस फिल्म ने उन्हें ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचाने में मदद की।
शुद्ध देसी रोमांस के असफल होने के बावजूद यशराज फिल्म्स ने 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्षी' नामक फिल्म में उन्हें दोबारा अवसर दिया। दिबाकर बैनर्जी जैसे काबिल निर्देशक की फिल्म का हिस्सा बनने का सुशांत को अवसर मिला।
ब्योमकेश बक्षी बंगाल का एक लोकप्रिय जासूसी किरदार है और इस भूमिका के साथ सुशांत ने पूरी तरह न्याय किया। लेकिन यह फिल्म खास पसंद नहीं की गई। चूंकि सुशांत एक काबिल अभिनेता थे इसलिए उनकी फिल्मों की असफलता में उनका किसी तरह का दोष नहीं माना गया और उन्हें लगातार अवसर मिलते रहे।
2016 में रिलीज हुई एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी सुशांत के लिए बड़ा अवसर थी। भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेटर्स में से एक महेंद्र सिंह धोनी का किरदार उन्हें निभाना था। नीरज पांडे की यह फिल्म मिलते ही सुशांत रोमांचित हो उठे।
इस भूमिका के लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया। महेंद्र सिंह धोनी के साथ खासा वक्त गुजारा और उनकी बॉडी लैंग्वेज और आदतों को बारीकी से देखा। पसीना भी बहाया। स्क्रीन पर उनका क्रिकेट एक खिलाड़ी की तरह लगे इसके लिए सुशांत ने मैदान में एक खिलाड़ी की तरह प्रैक्टिस की।
एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी रिलीज हुई। सुपरहिट रही। बतौर हीरो सुशांत सिंह की सौ करोड़ क्लब में शामिल होने वाली यह पहली फिल्म थी। अभिनय भी उनका बढ़िया था। परदे पर उन्हें देख दर्शक भूल गए कि यह धोनी नहीं सुशांत है। धोनी के संघर्ष, निजी जीवन और क्रिकेट मैदान के खिलाड़ी अवतार को सुशांत ने अपने अभिनय से बखूबी दर्शाया।
2017 में सुशांत राब्ता में नजर आए। चूंकि फिल्म खराब बनी थी इसलिए सुशांत भी इसे डूबने से नहीं बचा पाए। लेकिन 2018 में रिलीज फिल्म 'केदारनाथ' सेमी हिट रही और सुशांत फिर से रेस में बने रहे। इस फिल्म के जरिये उनके साथ सारा अली खान ने डेब्यू किया था।
2019 में उनकी फिल्म छिछोरे, सोनचिड़िया और ड्राइव सामने आईं। छिछोरे में उनकी अदाकारी बहुत पसंद की गई। एक कॉलेज स्टूडेंट से लेकर तो एक युवा स्टूडेंट के पिता तक का रोल उन्हें निभाना था। काबिल सुशांत को इस रोल को निभाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
सोनचिड़िया बुरी तरह फ्लॉप रही और ड्राइव तो इतनी बुरी फिल्म थी कि इसे सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया। दिल बेचारा नामक फिल्म वे कर रहे थे जो ' द फॉल्ट इन अवर स्टार' का रीमेक है।
कुल मिलाकर सुशांत ने बतौर हीरो दस फिल्में की, जिसमें से पीके में हीरो नहीं थे। इनमें से 4 सफल रही। यह रिकॉर्ड बहुत बुरा नहीं है। इसके बावजूद सुशांत के हाथ में फिल्में नहीं थी। उनको लेकर कुछ फिल्में रद्द भी हुई। उनका फिल्म इंडस्ट्री में कोई गॉडफादर नहीं था और यह भी उनकी परेशानी का सबब बना।
बहरहाल छोटे से करियर में सुशांत राजपूत ने आदित्य चोपड़ा, करण जौहर, साजिद नाडियाडवाला, विधु विनोद चोपड़ा जैसे निर्माताओं और नीरज पांडे, नितेश तिवारी, अभिषेक कपूर, अभिषेक चौबे, राजकुमार हिरानी जैसे निर्देशकों के साथ काम किया। यह उनके लिए बड़ी सफलता थी।