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किशोर कुमार : कभी अलविदा ना कहना

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‘बीच राह में दिलबर बिछड़ जाए कहीं हम अगर

और सूनी सी लगे तुम्हे जीवन की ये डगर

हम लौट आएंगे तुम यूं ही बुलाते रहना

कभी अलविदा ना कहना’


FC
जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिने जगत के महान पार्श्व गायक किशोर कुमार का नजरिया उनकी गाई इन पंक्तियो में समाया हुआ है। मध्यप्रदेश के खंडवा में चार अगस्त 1929 को अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जन्मे आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही पिता के पेशे वकालत की तरफ न होकर संगीत की ओर था। के.एल.सहगल के गीतों से प्रभावित किशोर कुमार उनकी ही तरह के गायक बनना चाहते थे। सहगल से मिलने की चाह लिए किशोर कुमार मुंबई पहुंचे।

किशोर कुमार को बतौर पार्श्व गायक सबसे पहले 1948 में बॉम्बे टाकीज की फिल्म जिद्दी में अभिनेता देवानंद के लिए ‘मरने की दुआएं क्यूं मांगू’ गाने का मौका मिला। किशोर कुमार ने वर्ष 1951 में बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म ‘आन्दोलन’ से अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म ‘लड़की’ बतौर अभिनेता उनके करियर की पहली हिट फिल्म थी।

किशोर कुमार ने 1964 में फिल्म ‘दूर गगन की छांव में’ के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने के बाद हम दो डाकू, दूर का राही, बढ़ती का नाम दाढ़ी, शाबास डैडी, दूर वादियों मे कहीं, चलती का नाम जिंदगी और ममता की छांव में जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया।

निर्देशन के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में संगीत भी दिया जिनमें झुमरू, दूर गगन की छांव में, दूर का राही, जमीन आसमान और ममता की छांव में जैसी फिल्में शामिल हैं। बतौर निर्माता किशोर कुमार ने दूर गगन की छांव में और दूर का राही जैसी फिल्मे भी बनाईं।

वर्ष 1969 में निर्माता-निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म आराधना के जरिये किशोर कुमार गायकी के दुनिया के बेताज बादशाह बने। किशोर कुमार को उनके गाए गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिले।

किशोर कुमार ने अपने सम्पूर्ण फिल्मी करियर में हिंदी के अलावा बंगला, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी और उड़िया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिये श्रोताओ को भाव विभोर किया।

वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने निर्णय लिया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जाएंगे। वे अक्सर कहा करते थे ‘दूध जलेबी खाएंगे खंडवा में बस जाएंगे’। उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। किशोर कुमार को 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ा और वे इस दुनिया से विदा हो गए।

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